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Saturday, 2 November, 2024
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कलकत्ता HC के वकीलों ने CJI को लिखा पत्र, TMC सांसद कल्याण बनर्जी पर लगाया ‘कदाचार’ का आरोप

सांसद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए वकीलों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने राज्यपाल के खिलाफ सार्वजनिक रूप से गलत बयान देकर उच्च संवैधानिक अथॉरिटी के खिलाफ असम्मानजनक व्यवहार किया है.

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कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय के 157 वकीलों ने सीनियर एडवोकेट और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी पर ‘कदाचार’ का आरोप लगाते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव, भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को एक पत्र भेजा है.

इस पत्र में बनर्जी पर ‘महिला वकीलों का अपमान’ करने, ‘अस्पष्ट फेवर के बदले में कुछ को अनुचित विशेषाधिकार’ देने और ‘अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग’ करने का आरोप लगाया गया है. यह ऐसे समय में हुआ है जब कल्याण बनर्जी पार्टी में ममता बनर्जी के बाद दूसरे स्थान पर माने जाने वाले उनके भतीजे और टीएमसी के महासचिव अभिषेक बनर्जी के खिलाफ बयान देने के लिए तमाम पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना कर रहे हैं.

दिप्रिंट द्वारा ऐक्सेस किए गए दो पन्ने के इस लेटर में लिखा है, ‘श्री बंदोपाध्याय ने सत्ता में बैठे ताकतवर लोगों से निकटता के जरिए कानून और लोगों से अपने आपको ऊपर रखने की कोशिश की है. लोगों को अपनी मांगों और अवैध आदेशों को मानने के लिए मजबूर किया जा रहा है, क्योंकि वह जानते हैं कि लोगों का शोषण करने के लिए अपनी शक्ति का कैसे प्रयोग करना है.’

आगे इसमें कहा गया है, ‘ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें अस्पष्ट कारणों से कई महिला वकीलों को अन्य योग्य महिला वकीलों की जगह प्राथमिकता दी गई है. कई अन्य महिला वकीलों ने भी उनके ऊपर आरोप लगाए हैं कि उनका व्यवहार असम्मानजनक और अभद्रतापूर्ण रहा है.’

सांसद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए वकीलों ने यह भी दावा किया कि उन्होंने राज्यपाल के खिलाफ सार्वजनिक रूप से गलत बयान देकर उच्च संवैधानिक अथॉरिटी के खिलाफ असम्मानजनक व्यवहार किया है, जो कि किसी भी सीनियर बार मेंबर के लिए अशोभनीय है.

जब दिप्रिंट ने कल्याण बनर्जी से इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में कोई भी टिप्पणी नहीं करूंगा.’

उन्होंने कहा, ‘मैं दीदी (ममता बनर्जी) के निर्देशों का पालन कर रहा हूं. यह सब अभिषेक बनर्जी वाले हालिया एपिसोड के कारण हो रहा है. दीदी सब देख रही हैं, मैं कुछ नहीं कहूंगा.’


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‘टीएमसी सिंडिकेट उच्च न्यायालय में काम नहीं करेगा’

पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक अनिक दास ने दिप्रिंट को बताया कि हाल के दिनों में यह पहला मौका है जब कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकीलों द्वारा किसी वरिष्ठ अधिवक्ता के खिलाफ इस तरह का पत्र लिखा गया है, वह भी उनके खिलाफ जो जनता के प्रतिनिधि और लोकसभा के सदस्य हैं.

दास ने आगे कहा कि पत्र का टीएमसी के अंदर फिलहाल चल रहे घमासान से कोई लेना देना नहीं है.

दास ने कहा, ‘हम एक लंबे समय से इस पत्र पर विचार कर रहे थे, लेकिन पिछले साल 22 और 27 नवंबर के बीच आयोजित किए गए बार इलेक्शन के कारण इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. काफी वकील, कल्याण बनर्जी के व्यवहार से नाराज हैं.’

उन्होंने कहा, ‘वह शर्मनाक तरीके से महिला वकीलों का अपमान करते हैं. वह हाईकोर्ट में अपनी राजनीतिक शक्ति का दुरुपयोग करते हैं. दरअसल, उन्होंने पहले ही कोर्ट में अपने शागिर्दों के ज़रिए पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले वकीलों पर दबाव बनाने शुरू कर दिए हैं. उन्होंने कहा कि हम उनके खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं और इस टीएमसी सिंडिकेट को उच्च न्यायालय के माहौल को खराब नहीं करने देंगे.’


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अभिषेक बनर्जी विवाद

कल्याण बनर्जी का यह कहना कि यह सब हालिया पार्टी में हालिया विवाद के कारण हुआ है, दरअसल पिछले हफ्ते पार्टी के भीतर हुई उस घटना की ओर इशारा था जिसमें अभिषेक बनर्जी ने ममता बनर्जी के विचार से अलग राय रखी थी.

बढ़ते कोविड मामलों के मद्देनजर, डायमंड हार्बर से सांसद अभिषेक ने 8 जनवरी को अपने लोकसभा क्षेत्र की यात्रा के दौरान कहा था, ‘सभी राजनीतिक और धार्मिक कार्यक्रमों पर कम से दो महीने के लिए रोक लगा दी जानी चाहिए. यह मेरी निजी राय है.’

उनके इस बयान की आलोचना कल्याण बनर्जी द्वारा की गई थी जो कि सीएम ममता बनर्जी के इस मुद्दे पर राय से अलग थी. बता दें कि ममता बनर्जी के पास हेल्थ पोर्टफोलियो भी है.

13 जनवरी को एडवोकेट ने कहा था, ‘ममता बनर्जी मेरी इकलौती नेता हैं. वह सरकार की नीतियों का फैसला करती हैं और वह पार्टी की विचारधारा का फैसला करती हैं, कोई भी जो इसके खिलाफ बोलता है वह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ममता की छवि को खराब करने की कोशिश करता है.’

इस बयान की पार्टी के सहयोगियों ने आलोचना की थी, जिसके बाद बंगाल टीएमसी के महासचिव और अनुशासन समिति के प्रमुख पार्थ चटर्जी ने पार्टी नेताओं को चेतावनी दी थी कि वे ऐसा कोई सार्वजनिक बयान जारी न करें जिससे उसकी छवि को ठेस पहुंचे.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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