नई दिल्ली: गुजरात भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जैसा दिप्रिंट को मिली जानकारी में सामने आया है कि पार्टी इस बार सभी 26 सीटों पर पांच लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल करना चाहती है और जब वह कुछ कहते हैं, तो कोई उसे हल्के में नहीं लेता क्योंकि वह अपने दावों पर खरे उतरने के लिए जाने जाते हैं.
अब 2022 के गुजरात विधानसभा चुनाव को ले लीजिए, जब विपक्ष और यहां तक कि बीजेपी के भीतर भी कई लोगों ने यही अनुमान लगाया था कि पार्टी राज्य की 182 सीटों में से 120 पर जीत हासिल करेगी, लेकिन पाटिल का विश्लेषण कहता था कि भाजपा 150 सीटों पर सफलता हासिल करेगी और वह सही साबित हुए.
भाजपा ने 156 सीटें हासिल कीं और 1985 में राज्य में माधव सिंह सोलंकी के नेतृत्व में कांग्रेस के 149 सीटें जीतने के रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया. इस ऐतिहासिक जीत का सबसे ज्यादा श्रेय पाटिल, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बेहद भरोसेमंद माना जाता है और उनकी प्रभावशाली रणनीतियों को दिया गया.
अब, उनकी नज़रें लोकसभा चुनावों पर टिकी हैं, पाटिल ने पार्टी कार्यकर्ताओं से न केवल 26/26 का स्कोर कायम रखने—भाजपा ने 2014 और 2019 के चुनावों में भी सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की थी—बल्कि यह सुनिश्चित करने की दिशा में भी काम करने को कहा है कि कांग्रेस के सभी प्रत्याशियों का प्रदर्शन इतना खराब रहे कि उनकी ज़मानत तक जब्त हो जाए.
दिप्रिंट से बातचीत में पाटिल ने कहा कि उनके पास आश्वस्त होने की दो प्रमुख वजहें हैं—मोदी फैक्टर और मतदाताओं को माइक्रोमैनेज करने के लिए राज्य की ‘पन्ना समितियां.’
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री की लोकप्रियता अपने चरम पर है और सरकार के काम से जमीन पर सभी को फायदा हुआ है. गुजराती प्रधानमंत्री के साथ भावनात्मक रूप से भी जुड़े हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, कुछ फैक्टर हमारे खिलाफ हो सकते हैं लेकिन हमने स्थिति का विश्लेषण किया है और इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हमारे पन्ना समिति के सदस्य सभी उम्मीदवारों की बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित कर सकते हैं.’’
ये ‘पन्ना समितियां’ पाटिल के लिए चुनावी जंग में बेहद कारगर हथियार साबित हुई हैं. 2022 के विधानसभा चुनावों में इन पांच सदस्यीय पन्ना समितियों को मतदाता सूची के हर पन्ने के करीब 30 मतदाताओं को माइक्रोमैनेज करने के लिए तैनात किया गया था.
सभी सदस्यों—लगभग लगभग 82 लाख—को अपने रिश्तेदारों और अन्य करीबी सहयोगियों को बीजेपी को वोट देने पर राजी करने का काम सौंपा गया था.
यह रणनीति पार्टी के पन्ना प्रमुख मॉडल का विस्तार है, जिसमें एक व्यक्ति पर मतदाता सूची के एक पन्ने के प्रबंधन की जिम्मेदारी सौंपी जाती है.
दिप्रिंट से बात करने वाले भाजपा नेताओं ने कहा कि वे पाटिल की तरह ही आश्वस्त हैं कि पन्ना समितियां पिछले दो लोकसभा चुनावों में पहले ही प्रभावशाली प्रदर्शन करने वाली पार्टी को एक नया इतिहास बनाने में मदद करेंगी.
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लक्ष्य को और बड़ा बनाया
भाजपा ने 2014 में गुजरात की सभी 26 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी और फिर न केवल इस उपलब्धि को दोहराया बल्कि 2019 में अपना वोट-शेयर भी सुधारा.
2019 के चुनाव में पार्टी को कुल पड़ो वोटों में 62.2 प्रतिशत वोट मिले थे, जो कि 2014 के 60 प्रतिशत की तुलना में अधिक थे. इसके अलावा, 2014 में केवल छह की तुलना में 2019 में भाजपा के 15 उम्मीदवारों ने तीन लाख से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की. केवल चार ही निर्वाचन क्षेत्रों दाहोद, जूनागढ़, आनंद और पाटन में जीत का अंतर दो लाख के करीब रहा था.
नवसारी में तो एक नया इतिहास रचा गया, जहां सी.आर. पाटिल ने—न केवल गुजरात बल्कि पूरे देश में यहां तक कि पीएम मोदी को भी पीछे छोड़ते हुए—अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के धर्मेशभाई पटेल को 6.9 लाख से अधिक वोट से हराया.
बड़े अंतर से जीत हासिल करने वाले एक अन्य उम्मीदवार अमित शाह रहे, जो अब केंद्रीय गृह मंत्री हैं, जिन्होंने गांधीनगर सीट 5.57 लाख मतों के अंतर से जीती. वहीं, दर्शन जरदोश (अहमदाबाद पूर्व) और रंजनबेन भट्ट (वड़ोदरा) ने भी अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वियों को करीब पांच लाख मतों के अंतर से हराया. हसमुखभाई सोमाभाई पटेल (अहमदाबाद पश्चिम) चार लाख से अधिक मतों से जीते, जबकि शेष उम्मीदवार दो से तीन लाख वोटों के अंतर से जीते.
अब, पार्टी यह सुनिश्चित करके और भी बेहतर प्रदर्शन करना चाहती है कि सभी उम्मीदवार पांच लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतें.
गुजरात भाजपा के एक पदाधिकारी का कहना है कि यह ‘‘कोई बहुत मुश्किल काम भी नहीं है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत का अंतर 85 लाख था. हमने 1.67 करोड़ वोट हासिल किए और कांग्रेस को करीब 86 लाख मिले. 2019 के आम चुनाव में हमें 1.80 करोड़ वोट मिले थे. सभी लोकसभा क्षेत्रों में पांच लाख के अंतर से जीत सुनिश्चित करने के लिए हमें केवल 45 लाख और वोट जोड़ने की ज़रूरत है, जो पार्टी के लिए बहुत मुश्किल काम नहीं है.’’
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव विधानसभा चुनावों की तुलना में ‘आसान’ होते हैं क्योंकि लोगों द्वारा स्थानीय उम्मीदवार के बजाये पीएम मोदी के नाम पर वोट डालने की अधिक संभावना अधिक होती है.
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पन्ना समितियां और चुनावी गणित
पार्टी नेताओं की राय में, 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के पीछे सी.आर. पाटिल की तरफ से अपनाई गई ‘वैज्ञानिक’ और ‘मजबूत’ रणनीति का काफी योगदान रहा है. यहां तक कि पीएम मोदी ने भी पाटिल को जीत का श्रेय देने के साथ राज्य इकाई के संदर्भ में उनके प्रबंधन कौशल की सराहना की है.
पाटिल की रणनीतिक सफलता में पांच सदस्यीय पन्ना समितियों का मुख्य योगदान रहा, जिनमें कुल मिलाकर 82 लाख सदस्य पंजीकृत थे और हर समिति को एक पन्ने के 30 मतदाताओं को वोटर में बदलना सुनिश्चित करना था.
राज्य भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘‘अगर पन्ना समिति के दो सदस्य दो वोट सुनिश्चित करते हैं तो भी हम बड़ी आसानी से सभी लोकसभा सीटें जीत सकते हैं, लेकिन बड़े अंतर से जीत के लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रत्येक सदस्य अपने परिवार और दोस्तों के तीन वोट सुनिश्चित करे. यह 2.4 करोड़ वोटों में बदल जाएगा, जिसे हासिल करना असंभव नहीं है.’’
भाजपा के राज्य महासचिव भार्गव भट्ट ने दिप्रिंट से बातचीत में पार्टी के आकलन को और गहराई से समझाया.
उन्होंने कहा, ‘‘2022 के विधानसभा चुनाव में हमें 1.67 करोड़ वोट मिले थे, जो 2017 की तुलना में 27 लाख अधिक हैं. लोकसभा चुनाव में हमें आम तौर पर अधिक वोट मिलते हैं. 2019 में यह आंकड़ा 1.80 करोड़ वोट रहा था. बड़े अंतर से जीत सुनिश्चित करने के लिए हमें 40 से 45 लाख और वोट जोड़ने होंगे. अगर हमारी पन्ना समिति के 70-75 फीसदी सदस्य अच्छा प्रदर्शन करते हैं तो हम लोकसभा में बड़े अंतर से जीत का लक्ष्य हासिल कर सकते हैं.’’
भार्गव ने कहा कि लड़ाई सिर्फ जीतने के लिए नहीं, बल्कि बड़े अंतर से जीतने की है, ‘‘जैसा कि पाटिल जी ने एक बड़ा लक्ष्य निर्धारित किया है.’’
उन्होंने बताया कि विधानसभा चुनाव नतीजों का विश्लेषण किया जा चुका है और अब राज्य इकाई लोकसभा चुनाव से पूर्व और पन्ना समितियां बनाने पर काम कर रही है.
राज्य भाजपा उपाध्यक्ष गोवर्धन झड़फिया ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा कि बड़ी जीत के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए पार्टी को हर निर्वाचन क्षेत्र में कम से कम ‘‘6.4 लाख वोट’’ हासिल करने होंगे.
उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर, हर लोकसभा क्षेत्र में औसतन 15-16 लाख लोग रहते हैं, और औसत मतदान लगभग 8.40 लाख होता है. जीत का अंतर हासिल करने के लिए हमें हर लोकसभा क्षेत्र में 6.4 लाख वोट हासिल करने की जरूरत है.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘हर पेज पर औसतन 30 मतदाता होते हैं. जीत के लिए हर पन्ने पर 18 वोट चाहिए, जो कुल मतदान का 60 फीसदी होता है. पार्टी को 2019 में 62 प्रतिशत वोट मिले थे. अब, अगर हम हर पेज पर तीन और वोट जोड़ते हैं और प्रति पेज 21 वोट मिलते हैं तो हम हर लोकसभा सीट को पांच लाख के अंतर से जीतने का लक्ष्य आसानी से हासिल कर लेंगे.’’
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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