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Sunday, 17 November, 2024
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‘ऐरा, गैरा नत्थू खैरा’ तंज के बाद कांग्रेस के सुखपाल खैरा ने मान पर ‘सिख हीरो’ के अपमान का आरोप लगाया

रविवार को पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कांग्रेस के सुखपाल खैरा को 'ऐरा, गैरा, नत्थू खैरा' कहा. बाद में सुखपाल खैरा ने मान पर 'मूर्ख और अहंकारी' होने का आरोप लगाया.

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चंडीगढ़: पंजाब सरकार के पुलिस भर्ती अभियान के चलते मुख्यमंत्री भगवंत मान और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुखपाल सिंह खैरा के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया है.

खैरा ने मान से उन्हें “ऐरा, गैरा, नत्थू खैरा” (मोटे तौर पर ‘टॉम, डिक और हैरी’ का अनुवाद) कहने के लिए बिना किसी शर्त के माफी मांगने की मांग की है.

दरअसल, मान के इस बयान को 18वीं सदी के पंजाब के एक ग्रामीण नत्था खैरा का अपमान बताया गया, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने मुगलों के खिलाफ सिखों के संघर्ष में बड़ी भूमिका निभाई थी.

यह मामला पिछले हफ्ते शुरू हुआ जब खैरा सहित कई विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया कि पंजाब पुलिस के उप-निरीक्षकों की भर्ती कई ऐसे लोग पुलिस में भर्ती हुए जो पंजाब के बाहर के रहने वाले थे. खैरा ने सात नियुक्तियों की एक लिस्ट सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट की, जिसमें कहा गया कि इसमें छह हरियाणा से हैं और केवल एक पंजाब के बठिंडा से है.

हालांकि, मान ने इन आरोपों से इनकार किया. नव-नियुक्त उप-निरीक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपने के लिए रविवार को जालंधर में एक समारोह में बोलते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा कि चुने गए लोगों में से 95 प्रतिशत राज्य के भीतर से थे और पंजाब के बाहर से चुने गए लोग भी पंजाबी परिवारों से ताल्लुक रखते हैं.

उन्होंने अपनी आलोचना करने वाले विपक्षी नेताओं पर भी निशाना साधा. मुख्यमंत्री ने कहा, “मैं पंजाब से कितना प्यार करता हूं, मैं पंजाबियत से कितना प्यार करता हूं और मैं अपने राज्य की मिट्टी से कितना प्यार करता हूं, इसके लिए मुझे किसी ‘ऐरे गैरे नत्थू खैरे’ से एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) की जरूरत नहीं है.” सुखपाल खैरा पर कटाक्ष करने के बाद मुख्यमंत्री के भाषण काफी तालियां बटोरीं.

हालांकि, एक्स पर एक पोस्ट में, खैरा ने बाद में कहा कि मान सिख इतिहास के बारे में “मूर्खतापूर्ण रूप से अनभिज्ञ” थे और उन्हें पंजाब के “गौरवशाली अतीत” के बारे में बुनियादी ज्ञान का अभाव था.

खैरा के अनुसार, मुख्यमंत्री ने जो कहा वह नत्था खैरा जैसे “बहादुरों का घोर अपमान” था.

खैरा ने लिखा, “आज उन्होंने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए नत्था खैरा का मजाक उड़ाया.” उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को नत्था खैरा के बारे में पढ़ने के लिए सिख इतिहास की किताबों को खंगालना चाहिए.


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‘सीएम सत्ता के नशे में चूर’

अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किए गए एक लंबे वीडियो मैसेज में, खैरा ने उस भूमिका के बारे में बात की, जो अमृतसर के मीरान कोट कलां गांव के निवासी नत्था खैरा ने मुगलों के खिलाफ सिख संघर्ष में निभाई थी. खासकर, उन्हें 18वीं सदी के सिख योद्धा मेहताब सिंह के 7 वर्षीय बेटे राय सिंह को बचाने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए जाना जाता है.

उन्होंने वीडियो में कहा, “यह तब हुआ जब 18वीं सदी के मध्य में मुगलों और तानाशाह नादिर शाह की सेनाओं द्वारा पंजाब में सिखों का शिकार किया जा रहा था और उन्हें मार डाला जा रहा था. मस्सा रंगहार एक सैन्य कमांडर था और उसे अमृतसर में स्वर्ण मंदिर का प्रभारी बनाया गया था. उसने मंदिर में नृत्यांगनाओं को आमंत्रित करके सिखों को भड़काने के लिए मंदिर को अपवित्र करना शुरू कर दिया था.”

उन्होंने कहा कि फिर जाकर दो सिख योद्धाओं मेहताब सिंह और सुक्खा सिंह ने मस्सा रंगहार की हत्या कर दी.

उन्होंने आगे कहा, “इससे लाहौर के गवर्नर क्रोधित थे और उन्होंने अपने लोगों से मेहताब सिंह और भाई सुक्खा सिंह को खोजने और मारने के लिए कहा. हालांकि गवर्नर के लोग उन्हें ढूंढ नहीं पाए, लेकिन उन्हें पता चला कि भाई मेहताब सिंह का 7 वर्षीय बेटा राय सिंह नत्था खैरा नाम के एक व्यक्ति के संरक्षण में था. जब गवर्नर के सैनिकों ने नाथा के गांव को घेर लिया और उससे बच्चे को उन्हें सौंपने के लिए कहा, तो उसने इनकार कर दिया.”

खैरा ने कहा, “सैनिकों ने नाथा और उसके परिवार पर हमला किया. नाथा अपने बेटे, भतीजे और नौकर के साथ 7 वर्षीय राय सिंह की रक्षा करते हुए शहीद हो गए. राय सिंह घायल हो गए और गवर्नर के सैनिकों ने सोचा कि वह मर गया है और उन्हें वहीं छोड़ दिया.”

खैरा ने कहा कि मुख्यमंत्री “सत्ता के नशे में इतने चूर हैं कि उन्हें बोलते समय कुछ भी होश नहीं रहता है”.

उन्होंने कहा, “वह उन लोगों के योगदान का मजाक उड़ा रहे हैं जिन्होंने पंजाब के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया.”

खैरा ने कहा, “आप विपक्ष की लाख बार आलोचना कर सकते हैं. यहां तक ​​कि हमें गालियां भी दे सकते हैं लेकिन कम से कम आपको उन लोगों के बारे में मजाक नहीं करना चाहिए जिन्होंने सिख धर्म के लिए अपनी जान दे दी है.”

उन्होंने कहा कि वास्तविक कहावत है “ऐरा, गैरा, ने नत्थू खैरा”. इसका मतलब है कि हर “टॉम, डिक और हैरी नाथू खैरा नहीं हो सकते”.

खैरा ने कहा, “हम नत्था खैरा के पैरों के बराबर भी नहीं हैं.”

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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