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Friday, 15 November, 2024
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कांग्रेस 2022 में उत्तराखंड से BJP को हटाना चाहती है, लेकिन अंदरूनी कलह बिगाड़ सकती है संभावनाएं

स्थानीय पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके समर्थकों एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह के बीच गुटबाजी दूर करने में विफल रहा है.

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देहरादून: उत्तराखंड कांग्रेस के भीतर व्याप्त तेज गुटबाजी और इसे दूर कर पाने में केंद्रीय नेतृत्व की विफलता के कारण अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी के सत्ता में वापस आने की संभावनाएं पूरी तरह से बर्बाद हो सकती है.

स्थानीय पार्टी नेताओं का कहना है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व अपनी उत्तराखंड इकाई में मुख्य रूप से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और उनके समर्थकों एवं राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता प्रीतम सिंह के बीच चल रही गुटबाजी को दूर करने में विफल रहा है.

विपक्ष के नेता की भूमिका दिए जाने से पहले सिंह इस साल 22 जुलाई तक पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे. सिंह और हरीश रावत के बीच जारी मतभेदों पर लगाम लगाने के प्रयास के तहत ही कांग्रेस ने उनकी जगह पूर्व विधायक गणेश गोदियाल को पार्टी का राज्य अध्यक्ष बनाया था.

राज्य कांग्रेस के कई नेताओं ने दिप्रिंट से अपना नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि 2022 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की एक बार फिर राज्य सत्ता में वापसी को रोकने के लिए पार्टी आलाकमान को पार्टी के भीतर युद्धरत गुटों के बीच संघर्षविराम करवाने के लिए अतरिक्त प्रयास करने की जरूरत है.

ऐसे ही एक वरिष्ठ कांग्रेस पदाधिकारी ने अपना नाम न उजागर करने की शर्त पर कहा, ‘पार्टी की पहली बड़ी चुनौती अंदरूनी कलह को दूर करना है, उसके बाद ही यह भाजपा से मुकाबला कर सकती है. यह तथ्य दुखद तो है पर सत्य भी है. उत्तराखंड में मतदाता पांच साल के इसके कुशासन के कारण भाजपा को सत्ता से बाहर देखना चाहते हैं, लेकिन यहां कांग्रेस स्वयं भी एकजुटता के संकट का सामना कर रही है क्योंकि दो गुटों के नेता एक दूसरे के सामने नहीं आना चाहते हैं. अगर हम पार्टी के अंदर उपजी इस सड़न को दूर नहीं कर पाते हैं तो हम जीतने का एक शानदार अवसर खो सकते हैं.‘


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रावत बनाम सिंह और बाकी की कांग्रेस

राज्य कांग्रेस के नेताओं का मानना है कि गोडियाल, जो हरीश रावत के वफादार माने जाते हैं, को सिंह की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से हरीश रावत गुट ने राज्य इकाई में लगभग हर महत्वपूर्ण पद पर कब्जा कर लिया है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, राजनीतिक विश्लेषक जय सिंह रावत ने कहा, ‘हालांकि सिंह गुट चार कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्तियों में अपनी बात मनवाने में सक्षम हो सका, जो उत्तराखंड कांग्रेस इकाई में अपने आप में एक अभूतपूर्व घटना है, फिर भी उनके समर्थक राज्य पार्टी कार्यालय और इसकी संगठनात्मक गतविधियों से दूरी बनाए हुए हैं.‘

उनका कहना है कि ‘चार कार्यकारी अध्यक्षों में से तीन– रंजीत रावत, भुवन कापड़ी, और जीतराम – (हरीश) रावत के विरोधियों के रूप में जाने जाते हैं और वे ज्यादातर सिंह के नेतृत्व में आयोजित होने वाले पार्टी कार्यक्रमों में ही दिखाई पड़ते हैं. इससे पहले कि यह स्थिति हाथ से निकल जाए, दिल्ली स्थित कांग्रेस नेतृत्व को इस बारे में कुछ गंभीर सोच-विचार करना होगा.‘

ऊपर उद्धृत किये गए उत्तराखंड कांग्रेस के वरिष्ठ पदाधिकारी ने यह भी कहा कि हरीश रावत को तब भी अपमान का घूंट पीना पड़ा जब अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव ने उन्हें उधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में आयोजित होने वाली परिवर्तन यात्रा रैलियों के संबंध में 17 अगस्त को हुई एक बैठक में आमंत्रित नहीं किया.

यह चार दिवसीय परिवर्तन यात्रा 3 सितंबर को सीएम पुष्कर सिंह धामी के विधानसभा क्षेत्र खटीमा से आरम्भ होकर 6 सितंबर को रुद्रपुर में समाप्त होगी.

उनका कहना है, ‘फ़िलहाल स्थिति इस हद तक बिगड़ गई है कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने इस बारे में भी बात करना शुरू कर दिया है कि अगर अंदरूनी कलह पर तत्काल लगाम नहीं लगाई गई तो हमें 2022 के चुनावों पर ध्यान देना छोड़ना होगा और इसके बजाय 2027 के चुनावों के बारे में सोचना होगा.’

‘चीजें उतनी बुरी नहीं हैं जितनी बताई जा रही हैं’

हालांकि, पार्टी के भीतर नेताओं का एक वर्ग ऐसा भी है जिसका यह मानना है कि राज्य कांग्रेस के भीतर अंदरूनी कलह की बात को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है.

उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने दिप्रिंट को बताया, ‘चीजें उतनी बुरी नहीं हैं, जितनी बताई जा रही हैं. आल इंडिया कांग्रेस कमिटी (एआईसीसी) नेतृत्व ने पहले ही राज्य कांग्रेस अध्यक्ष को बदलकर और सदन में विपक्ष का नया नेता नियुक्त करके मतभेदों को कम करने के लिए आवश्यक अपना काम कर दिया है. सभी वरिष्ठ नेताओं को उनसे संबंधित कार्य आवंटित कर दिए गए हैं और वे सब राज्य में मौजूदा भाजपा सरकार को सत्ता से हटाने के एक साझा लक्ष्य के साथ काम कर रहे हैं.‘

राज्य पार्टी इकाई के एक अन्य उपाध्यक्ष शंकरचंद रमोला ने यह तो स्वीकार किया कि कुछ कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद हैं, लेकिन उनका कहना है कि जुलाई में पार्टी की राज्य इकाई में किये गए फेरबदल के बाद से चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

उन्होंने कहा कि, ‘नए प्रदेश अध्यक्ष द्वारा अपना पदभार संभालने के बाद से ही चीजें सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं. कुछ कांग्रेस नेताओं के बीच मतभेद तो हैं लेकिन उन्हें इन सब से ऊपर उठने की जरूरत है. यह उनके व्यक्तिगत हितों के बारे में नहीं है बल्कि पूरी कांग्रेस पार्टी के लिए है. हमें उम्मीद है कि वे आने वाले दिनों में अपने साझा दुश्मन बीजेपी को हराने के लिए एक साथ आएंगे.’

वहीं उत्तराखंड कांग्रेस के प्रवक्ता मथुरा दत्त जोशी ने राज्य कांग्रेस के भीतर किसी भी तरह की गुटबाजी से साफ इनकार किया. उन्होंने कहा, ‘पार्टी में कहीं कोई गुटबाजी नहीं है. कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता और नेता हमारे साझा दुश्मन बीजेपी से लड़ने के लिए आपस में हाथ मिलाएंगे. यह सीएम के निर्वाचन क्षेत्र खटीमा से शुरू होने वाली परिवर्तन रैली के दौरान ही दिख जाएगा.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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