नई दिल्ली: दिप्रिंट को पता चला है कि डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (DSSP) के प्रमुख चौधरी लाल सिंह को राहुल गांधी की अगुवाई वाली भारत जोड़ो यात्रा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किए जाने पर आलोचनाओं का सामना कर रही है. जिसके बाद कांग्रेस चौधरी लाल सिंह की यात्रा में भागीदारी को लेकर पुनर्विचार कर रही है.
जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व मंत्री सिंह को 2018 के कठुआ बलात्कार और हत्या मामले में कथित रूप से आरोपियों का समर्थन करने के लिए पार्टी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया था.
निमंत्रण की फिर से जांच किए जाने पर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस के कदम पर सवाल उठाते हुए कहा कि यात्रा को नेताओं के लिए खुद को “पाक साफ” साबित करने का अवसर नहीं बनाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को यह देखना है कि क्या कुछ लोग यात्रा में शामिल होकर अपने आपको पाक-साफ बनाने में तो नहीं जुटे हैं. उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को श्रीनगर में कहा, हम उन नेताओं को नहीं भूले हैं जिन्होंने बलात्कारियों को बचाने और पीड़ितों पर आरोप लगाने की कोशिश की. यह गलत है कि ये नेता इस यात्रा का इस्तेमाल खुद को धर्मनिरपेक्ष दिखाने के लिए करेंगे.’
2018 में, सिंह ने कठुआ में आठ वर्षीय बकरवाल लड़की के बलात्कार और हत्या के कथित अपराधियों के समर्थन में हिंदू एकता मंच द्वारा आयोजित एक रैली में भाग लिया था. सिंह, जिन्होंने उस समय बलात्कारियों के समर्थन से इनकार किया था, ने बाद में कहा कि वह केवल मामले में सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे.
सिंह, जो कभी कांग्रेस सांसद थे, ने 2014 के लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी. 2018 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) और बीजेपी गठबंधन सरकार से बेदखल किए जाने और पार्टी के भीतर दरकिनार किए जाने के बाद, उन्होंने बीजेपी छोड़ दी और डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी (डीएसएसपी) बनाई.
पिछले साल, डीएसएसपी के राजिंदर सिंह बब्बी – जो सिंह के भाई भी हैं – ने एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में कठुआ नगर परिषद का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की, और नगर निकाय का नियंत्रण भाजपा से छीन लिया. मौजूदा अध्यक्ष के इस्तीफा देने के बाद आवश्यक चुनावों में उन्होंने 21 सदस्यीय परिषद में बहुमत हासिल किया.
दिप्रिंट से बात करते हुए, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यात्रा में सिंह की भागीदारी की न तो पुष्टि की और न ही खंडन किया. उन्होंने कहा, “हम देख लेंगे हमने सभी बयानों को पढ़ा है और उसी पर गौर कर रहे हैं.’
हालांकि, जम्मू-कश्मीर में भारत जोड़ो यात्रा के समन्वय से जुड़े कांग्रेस सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि यात्रा में सिंह की उपस्थिति “विचाराधीन” है.
इस मुद्दे पर सबसे पहले जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस प्रवक्ता दीपिका पुष्कर नाथ ने इसकी आलोचना की और उस समय कठुआ बलात्कार पीड़िता के वकील ने भी आलोचना की. इसके बाद नाथ ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया.
पिछले हफ्ते कठुआ में बोलते हुए, सिंह ने घोषणा की थी कि उनकी पार्टी और उसके कार्यकर्ता कठुआ में प्रवेश करने पर राहुल गांधी की यात्रा का स्वागत करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘सभी पक्षों से संपर्क किया गया था. हमारी पार्टी, हमारे लोगों से भी संपर्क किया गया. उन्होंने हमें अपनी यात्रा में भाग लेने के लिए कहा. ” “हम सभी को भारत को एकजुट करने का प्रयास करना चाहिए. जो भी दल भारत जोड़ो का नारा देता है, वह भारत के पक्ष में होता है, उसके विरोध में नहीं. हमारी डोगरा स्वाभिमान संगठन पार्टी के पास डोगरा और देश की बेहतरी के लिए स्पष्ट दृष्टिकोण है.
इस मुद्दे पर बोलते हुए, जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को श्रीनगर में कहा, “कांग्रेस पार्टी ने न केवल भारत को आज़ाद कराने के लिए बल्कि इसे एक धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक देश बनाने के लिए संघर्ष किया है, जिसे भाजपा नष्ट करने की कोशिश कर रही है. तो, राहुल गांधी बाहर आ गए हैं और हजारों लोग उनके साथ जुड़ रहे हैं. वह देश के ताने-बाने को फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में कौन उनके साथ आता है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यात्रा का उद्देश्य क्या मायने रखता है.
कांग्रेस के पूर्व सांसद, भाजपा के बर्खास्त मंत्री
सिंह ने कांग्रेस के साथ एक युवा नेता के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया और पहली बार 1996 और 2002 में जम्मू-कश्मीर में बसोहली निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए. उसके बाद उन्हें कांग्रेस-पीडीपी सरकार (2002-2004) में स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्री के रूप में शामिल किया गया. इसके बाद, वह 2004 और 2009 में दो बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए.
2014 में टिकट न मिलने के बाद उन्होंने कांग्रेस से नाता तोड़ लिया और बीजेपी में शामिल हो गए.
कठुआ कांड में अभियुक्तों के कथित समर्थन के बाद, उन्हें पीडीपी-भाजपा सरकार से मंत्री पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा. उन्होंने अंततः 2019 में भाजपा छोड़ दी और DSSP की शुरुआत की.
(संपादनः आशा शाह)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘कैटल क्लास’ विवाद में थरूर का साथ दिया’, KPCC चीफ ने कहा- अब वह हमें बताते भी नहीं कहां दौरा कर रहे