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Sunday, 16 June, 2024
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MVA में अपने ही मंत्रियों से ‘नाराज़’ हैं कांग्रेस विधायक, सोनिया के साथ बैठक में उठाया मुद्दा

महाराष्ट्र के 28 विधायकों ने दिल्ली में कांग्रेस प्रमुख से मुलाकात की और उनमें से कुछ ने ये मुद्दा उठाया कि पार्टी के मंत्री, विकास कार्यों और वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने में सदस्यों की सहायता नहीं कर रहे हैं.

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मुंबई: कांग्रेस ने अक्सर शिकायत की है कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की अगुवाई में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ वो तीसरे पहिए की तरह महसूस करती है. और अब कुछ कांग्रेस नेताओं ने नाराज़गी का इज़हार किया है कि किस तरह एमवीए मंत्रिमंडल में उनकी अपनी पार्टी के मंत्री, गठबंधन के अंदर उनकी तथा गठबंधन के सहयोगी विधायकों की नुमाइंदगी नहीं कर रहे हैं. उन्होंने पार्टी नेतृत्व से हस्तक्षेप की मांग की है.

मंगलवार को 28 कांग्रेसी विधायकों ने नई दिल्ली में संसद के भीतर विधायकों के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम से इतर, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की.

पार्टी नेताओं ने, जिनमें इस मुलाकात में शरीक होने वाले विधायक भी शामिल थे, कहा कि गांधी के साथ हुई मुलाकात शिष्टाचार की खातिर थी लेकिन कुछ विधायकों ने ये मुद्दा उठाया कि कांग्रेस मंत्री विकास कार्यों और वित्तीय संसाधनों तक पहुंचने में पार्टी सदस्यों की सहायता नहीं कर रहे हैं.

धुले ग्रामीण से दो बार के विधायक कुंतल पाटिल ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमने मैडम (सोनिया गांधी) से इस बारे में बात की, और उन्हें बताया कि क्या चल रहा है. उन्होंने पूरी समस्या समझ ली है. उन्होंने सबसे कहा कि वो पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ इस बारे में चर्चा करेंगी’.

लेकिन, पाटिल ने आगे कहा कि ऐसा कोई अनुरोध या बात नहीं हुई कि एमवीएए सरकार में कांग्रेस मंत्रियों को बदला जाए.

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उद्धव ठाकरे की मंत्रिपरिषद में कांग्रेस के 12 सदस्य हैं. 12 में से 10 कैबिनेट मंत्री हैं, जबकि दो राज्य मंत्री हैं. पूर्व महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट और पूर्व कांग्रेस सीएम अशोक चव्हाण, कैबिनेट के सबसे वरिष्ठ कांग्रेस मंत्रियों में से हैं.


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काम न होने और फंड्स मंज़ूर न होने की शिकायतें

महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, कहा कि एक अंतर्निहित भावना ये है कि चव्हाण और थोराट जैसे मंत्री, कैबिनेट में कांग्रेस प्रतिनिधियों के नाते पर्याप्त रूप से आक्रामक नहीं हैं.

नेता ने कहा, ‘विधायकों ने कांग्रेस के सरकार का हिस्सा होने के बावजूद, अपने चुनाव क्षेत्रों में काम न होने की बात कही है. बहुत से विधायकों को ये शिकायत है कि कैसे कांग्रेस मंत्री अपने पार्टी विधायकों के चुनाव क्षेत्रों में विकास कार्यों के लिए, उन विभागों के साथ कारगर ढंग से संबंध नहीं बना पा रहे हैं, जो गठबंधन सहयोगियों के आधीन हैं’.

एमवीए सरकार के दो साल और चार महीनों में कांग्रेस नेताओं ने- जिसके सदस्यों की संख्या गठबंधन में सबसे कम है- अक्सर शिकायत की है कि उन्हें सरकार के भीतर दरकिनार किया जाता है. कांग्रेस नेताओं इसे लेकर भी चिंता जताई है कि कैसे उनके पार्टी सदस्यों के आधीन विभागों को पर्याप्त फंड्स नहीं मिल रहे हैं, अपेक्षाकृत उन विभागों के जो एमवीए के दूसरे दो सहयोगियों के अंतर्गत आते हैं.

फरवरी में, कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने इन चिंताओं पर चर्चा करने के लिए सीएम ठाकरे से मुलाकात की थी.


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सोनिया गांधी से मुलाकात बहुत समय से लंबित थी

कई पार्टी नेताओं ने दिप्रिंट से कहा, मंगलवार की मुलाकात के पीछे मुख्य मंशा ये थी कि कई पार्टी विधायक पार्टी नेतृत्व से मिल लें, जिसे 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद से ऐसी मुलाकात का अवसर नहीं मिल पाया था.

रिसोड से कांग्रेस विधायक अमीत ज़नक ने दिप्रिंट से कहा, ‘पिछले महीने हमने महाराष्ट्र बजट सत्र से इतर दिल्ली में पार्टी नेतृत्व से मुलाकात करने को लेकर चर्चा की थी, जहां हम में से अधिकतर का संसदीय प्रशिक्षण के लिए जाने का कार्यक्रम तय था. प्रोटोकॉल के तहत हमने ई-मेल के ज़रिए एक अनुरोध भेजा और सोनिया जी खुशी-खुशी हमारे लिए समय निकालने को तैयार हो गईं. उन्होंने निजी तौर पर हम में से हर किसी का हालचाल पूछा’.

कुछ विधायकों के महाराष्ट्र कैबिनेट में कांग्रेस मंत्रियों से असंतुष्ट होने की सुगबुगाहट के बारे में ज़नक ने कहा, ‘कुछ लोग हैं, कुछ पार्टी के अंदर भी हैं, कुछ विरोधी पार्टियों से हैं, जो सिर्फ निरुत्साहित करना चाहते हैं. कोई भी कभी पूरी तरह संतुष्ट नहीं होता’.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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