मुंबई: ऐसे समय में जब महा विकास अघाड़ी (एमवीए) केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उसके नेताओं को निशाना बनाए जाने पर, भारी नाराज़गी जता रही हैं, शरद पवार ने, जिन्हें गठबंधन का आर्किटेक्ट माना जाता है, कहा है कि केंद्र में पूर्व की संयुक्त प्रगतशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कई मंत्री, नरेंद्र मोदी को इसी तरह निशाना बनाते थे जब वो मुख्यमंत्री थे. हालांकि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख ने आगे कहा कि उन्हें और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ये पसंद नहीं था.
बुधवार को मराठी समाचार पत्र लोकसत्ता द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में, अख़बार के प्रधान संपादक गिरीश कुबेर से बात करते हुए पवार ने कहा कि उस समय वो अकेले केंद्रीय मंत्री थे जो मोदी से बातचीत करते थे और राज्य सरकार के निमंत्रण पर उन्होंने गुजरात का दौरा किया था जिसपर यूपीए मंत्रिमंडल के उनके कांग्रेसी सहयोगियों ने सवाल खड़े किए थे.
राजनीतिक विरोधियों की जांच के लिए यूपीए द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल के बारे में एक सवाल के जवाब में पवार ने कहा, ‘मैं और पीएम अड़े हुए थे कि हमें बदले की राजनीति का सहारा नहीं लेना चाहिए. हम जितना चाहे आलोचना कर सकते हैं लेकिन एक सीमा होती है जिसे हमें लांघना नहीं चाहिए लेकिन हमारे कुछ कैबिनेट सहयोगियों ने तब की गुजरात सरकार को लेकर एक अलग और ऊपरी तौर से प्रासंगिक रुख़ इख़्तियार कर लिया था. उनका वो रुख़ हमारी सोच के अनुरूप नहीं था’.
हालांकि, पवार ने उन नेताओं का नाम नहीं लिया.
2004 से 2014 के बीच यूपीए के शासन काल में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मोदी के क़रीबी कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की 2002 के गुजरात दंगों और इशरत जहां, सोहराबुद्दीन शेख़ और तुलसी प्रजापति के कथित मुठभेड़ जैसे मामलों में उनकी कथित संलिप्तता की जांच की थी. बतौर गुजरात सीएम मोदी ने सीबीआई पर जमकर बरसते हुए उसे ‘कांग्रेस ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन’ क़रार दिया था.
सत्ताधारी एमवीए ने, जिसमें शिवसेना, एनसीपी, और कांग्रेस सहयोगी पार्टियां हैं, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर केंद्र सरकार में अपनी सत्ता का दुरुपयोग करते हुए, केंद्रीय एजेंसियों के सहारे महाराष्ट्र में राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है.
प्रवर्त्तन निदेशालय ने एमवीए पार्टियों से जुड़े कम से कम आधा दर्जन नेताओं के खिलाफ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्रवाई की है और धन शोधन के आरोप में एनसीपी लीडर और महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को गिरफ्तार भी कर लिया.
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‘सिर्फ मैं था जो मोदी से बात कर सकता था’
लोकसत्ता के आयोजन में बोलते हुए पवार ने कहा कि जब भी पीएम मनमोहन सिंह राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक बुलाते थे तो मोदी सबसे तीखे अंदाज़ में केंद्र को निशाना बनाते थे और सभी बीजेपी-शासित राज्यों के मुख्यमंत्री मिलकर केंद्र पर हल्ला बोलते थे.
उन्होंने आगे कहा कि कांग्रेस में नेता इस हमले का पूर्वानुमान लगा लेते थे और ऐसी बैठकों के समय पहले से तैयारी कर लेते थे कि इसका जवाब कैसे देना है और वो जवाब किसे देना चाहिए.
पवार ने कहा, ‘मोदी और केंद्र सरकार के बीच की दूरी बहुत बढ़ गई थी. मेरे अलावा केंद्रीय मंत्रिमंडल में एक भी मंत्री नहीं था जो नरेंद्र मोदी से बातचीत कर सकता था. इसका कारण ये था कि वो मेरे पास आया करते थे’.
पवार ने कहा, ‘कुछ कांग्रेस नेताओं ने ये मुद्दा उठाया और मैंने उनसे कहा कि नरेंद्र मोदी की पार्टी, उनकी राजनीति का आपसे या मुझसे कोई लेनादेना नहीं है लेकिन वो एक सूबे के सीएम हैं. उस सूबे के लोगों ने उन्हें सत्ता सौंपी है और जब वो उनके कल्याण से जुड़े मुद्दे लेकर आते हैं तो ये सुनिश्चित करना हमारा दायित्व बनता है कि हमारे सियासी मतभेद उसमें आड़े न आएं’.
उन्होंने आगे कहा, ‘और मुझे ये बात साझा करने में कोई दिक़्क़त नहीं है कि मनमोहन सिंह मेरे विचारों का समर्थन करते थे’.
अस्सी साल के पवार ने कहा कि वो अकेले केंद्रीय मंत्री थे जो राज्य सरकार के अनुरोध पर गुजरात का दौरा करते थे और वहां के लोगों की समस्याओं को देखते थे. उन्होंने बताया कि कैसे वो महाराष्ट्र और गुजरात को एक मेज़ पर लेकर आए ताकि नर्मदा नदी के पानी के बटवारे पर दोनों सूबों के बीच मनमुटाव को दूर करने की कोशिश की जा सके.
‘देशमुख के खिलाफ 7,000 पन्नों की चार्जशीट एक चरम सीमा है’
पवार ने कहा कि वो बदले की राजनीति में विश्वास नहीं रखते और देशमुख जैसे एमवीए नेताओं को निशाना बनाना भी एक चरम सीमा है.
देशमुख को राज्य के गृह मंत्री पद से उस समय इस्तीफा देना पड़ा था जब पूर्व मुंबई पुलिस प्रमुख परमबीर सिंह ने इस साल मार्च में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया कि देशमुख ने मुंबई पुलिस अधिकारियों को शहर के शराबख़ानों और रेस्टोरेंट्स से हर महीने 100 करोड़ रुपए उगाहने का निर्देश दिया था.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सीबीआई को एक प्रारंभिक जांच का आदेश दिया जिसके बाद केंद्रीय एजेंसी ने मामले में एक एफआईआर दर्ज कर ली और ईडी ने भी धन शोधन के आरोपों की जांच शुरू कर दी.
पवार ने कहा, ‘देशमुख के खिलाफ लगाए गए तमाम आरोपों में सिर्फ एक ऐसा था जिसके बारे में आप सोच सकते हैं. वो आरोप ये है कि उन्होंने अपने से जुड़े एक शिक्षण संस्थान की सहायता के लिए एक कंपनी से पैसा लिया और ऐसा करने के लिए उन्होंने सरकार में अपनी हैसियत का दुरुपयोग किया’.
पवार ने कहा, ‘जांच एजेंसियों ने इसकी तफतीश की और उनके खिलाफ अदालत में एक 7,000 पन्नों की एक चार्जशीट दाख़िल कर दी. मेरी समझ से बाहर है कि सिर्फ एक मामला है और उस पर एक 7,000 पन्नों की चार्जशीट तैयार कर ली जाती है. इससे ज़ाहिर हो जाता है कि ये कितना चरम पर पहुंच चुका है’.
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