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Saturday, 4 May, 2024
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‘लोग उनमें इंदिरा को देखते हैं’, यूपी से निकलने के बाद प्रियंका बन गईं हैं कांग्रेस की स्टार प्रचारक

जब से उन्होंने यूपी के प्रभारी और महासचिव के पद से इस्तीफा दिया है, तब से प्रियंका हिमाचल से लेकर कर्नाटक तक और मध्य प्रदेश तक, हर चुनाव वाले राज्य में प्रमुख प्रचारक के तौर पर कमान संभाल रहीं हैं.

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नई दिल्ली: जब केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रियंका गांधी वाड्रा के “मौसमी हिंदू” होने की बात कही, तभी कांग्रेस के कुछ नेता चुपके चुपके हंस पड़े. सूत्रों के अनुसार, प्रियंका की बढ़ती राजनीतिक उपस्थिति को भाजपा आलाकमान द्वारा स्वीकार किए जाने के रूप में देखा है.

राजनाथ की टिप्पणी 13 जून को आई थी, जिसके एक दिन बाद प्रियंका गांधी ने कांग्रेस के कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे दिग्गजों के बिना ही मध्य प्रदेश के चुनाव अभियान का बिगुल फूंक दिया था. जबलपुर की एक रैली में, उन्होंने राज्य में पार्टी की पांच गारंटी की घोषणा की और इस यात्रा के दौरान नर्मदा के तट पर पूजा भी की.

इस प्रकार, जब मध्य प्रदेश के राजगढ़ में किसानों के साथ अपनी जनसभा के दौरान रक्षा मंत्री ने मौसमी हिंदुओं को “नर्मदा को अचानक याद करने” का उल्लेख किया, तो कांग्रेस ने इसे एक संकेत के रूप में व्याख्या की कि उसे गंभीरता से लिया जा रहा है.

यूपी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन के महीनों बाद, जब से प्रियंका ने पिछले अक्टूबर में पार्टी के उत्तर प्रदेश प्रभारी महासचिव के पद से इस्तीफा दिया, तब से उन्हें सभी चुनावी राज्यों में ‘स्टार प्रचारक’ के रूप में आगे बढ़ाया जा रहा है.

फरवरी में, छत्तीसगढ़ के नया रायपुर में पार्टी के पूर्ण अधिवेशन के बाद, प्रियंका ने एक सार्वजनिक रैली को संबोधित किया था, जबकि सोनिया और राहुल गांधी दिल्ली लौट आए थे.

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कर्नाटक में, वह चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आरोप का नेतृत्व कर रही थीं, जिसने पिछले महीने कांग्रेस को जीतते देखा था.

फिर, कर्नाटक में अपना काम पूरा करने के ठीक बाद, वह हैदराबाद में एक रैली के साथ राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान को शुरू करने के लिए तेलंगाना में थीं. उनका अगला पड़ाव मध्य प्रदेश था. तीनों राज्यों- छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में आने वाली सर्दियों में मतदान होगा.

इन राज्यों के अलावा, कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि वह आगामी राजस्थान चुनावों में भी प्रमुख भूमिका निभाएंगी. उनका दावा है कि इससे पहले कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश में उनके अभियान “प्रभावी” थे और इससे पार्टी को बहुत जरूरी जीत दर्ज करने में मदद मिली.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला ने कहा, “लोग उनसे बहुत प्यार करते हैं और स्नेह रखते हैं. ”

चेन्निथला भी प्रियंका और उनके भाई राहुल गांधी के साथ अप्रैल में उनके निर्वाचन क्षेत्र वायनाड गए थे. मानहानि के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद संसद से राहुल की अयोग्यता के तुरंत बाद यह दौरा हुआ.

चेन्निथला ने कहा, “मैं वायनाड में था और लोग उन्हें देखकर मंत्रमुग्ध थे. जब भी लोग उन्हें देखते हैं, वे इंदिरा गांधी को देखते हैं.” उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में वह निश्चित रूप से पार्टी का एक महत्वपूर्ण प्रचारक चेहरा होंगी.’

राजनीतिक विश्लेषक और दिल्ली विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. चंद्रचूड़ सिंह के अनुसार, जब गांधी भाई-बहनों की बात आती है, तो ऐसा लगता है कि कांग्रेस दोतरफा रणनीति अपना रही है.

जहां राहुल भ्रष्टाचार, बढ़ते दामों और नीतिगत मामलों जैसे मुद्दों पर बात करते हैं, वहीं प्रियंका अधिक भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश करती हैं.

सिंह ने कहा, उनके भाषणों में बहुत ज्यादा ‘मेरी मां’ या ‘मेरा भाई’ होता है. यदि आप इसे एक औसत मध्यवर्गीय परिप्रेक्ष्य से देखते हैं, तो बहुत महत्वपूर्ण दिखाई देता है कि भाई-बहनों को एक विधवा मां ने पाला था और दोनों के बीच बहुत अच्छा तालमेल है. यह लोगों, विशेषकर महिलाओं के साथ बहुत अधिक जुड़ाव बनाता है. ”

जबकि यूपी में प्रियंका के नेतृत्व वाली महिला-केंद्रित दृष्टिकोण ने पार्टी को चुनावी रूप से लाभ नहीं मिल सका था, कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि वे मतदाताओं के साथ जुड़ने के लिए काफी कुछ सीखा है.

File photo of Rahul Gandhi and Priyanka Gandhi | PTI
फाइल फोटो: राहुल गांधी और प्रियंका गांधी/पीटीआई

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‘रणनीतिक युद्ध’ लड़ रहे हैं?

दिप्रिंट ने जब पिछले हफ्ते खबर दी कि प्रियंका गांधी ने पिछले अक्टूबर में चुपचाप यूपी के कांग्रेस के प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया है, तो इससे पार्टी में उनकी भविष्य की भूमिका के बारे में कई सवाल उठे थे.

क्या दूसरे राज्य की प्रभारी महासचिव बनेंगी? क्या वह 2024 में लोकसभा चुनाव लड़ेंगी? या वह बिना किसी सांगठनिक भूमिका के चुनाव प्रचार पर ध्यान देंगी?

प्रियंका के साथ मिलकर काम करने वाले एआईसीसी के एक पदाधिकारी ने कहा, “उनकी एक भूमिका बहुत स्पष्ट है, जो यह है कि वह चुनाव वाले राज्यों में बड़े पैमाने पर प्रचार करेंगी.”

कार्यकारी ने कहा,“उनका ध्यान स्पष्ट रूप से उत्तर प्रदेश से चुनाव जीतने पर रहा है. उनका मानना है कि जहां एक वैचारिक युद्ध चल रहा है, वहीं एक रणनीति युद्ध भी चल रहा है – और भाजपा को हराने के लिए उस युद्ध को जीतने की जरूरत है. ”

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, चुनाव के लिए प्रियंका गांधी का “रियलपोलिटिक” दृष्टिकोण पार्टी में कई लोगों को पसंद आता है, खासकर वो जो उसके भाई से असंतुष्ट हैं.

उन्होंने कहा, “जो लोग राहुल गांधी को पसंद नहीं करते हैं, वे उनकी ओर आकर्षित होते हैं. वह दोनों में अधिक सुलभ भी है और महत्वाकांक्षी लोगों से उन्हें फर्क नहीं पड़ता है.”

इस नेता ने दावा किया कि प्रियंका के लोकसभा चुनाव लड़ने की संभावना थी और अगर वह ऐसा करती हैं, तो यह पार्टी को “बढ़ावा” मिलेगा.

Priyanka in hyderabad
प्रियंका गांधी हैदराबाद/ Twitter/@revanth_anumula

प्रियंका के चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर उनके साथ काम करने वाले सूत्र ने कहा, ‘बहुत कुछ वायनाड पर निर्भर करेगा.’ राहुल गांधी के लोकसभा से अयोग्य ठहराए जाने के बाद केरल की लोकसभा सीट खाली हो गई है. वह वायनाड से दोबारा चुनाव लड़ेंगे या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि उन्हें न्यायिक समाधान मिलता है या नहीं.

उन्होंने कहा, “इस बात की संभावना नहीं है कि वह अमेठी या रायबरेली (उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के दो पारिवारिक गढ़) से चुनाव लड़ेंगी. अगर वह चुनाव लड़ती हैं, तो वह कर्नाटक या छत्तीसगढ़ जैसे राज्य से चुनाव लड़ेंगी, जहां वह जिस सीट से चुनाव लड़ रही हैं, उसके अलावा वह आसपास की पांच से छह सीटों के नतीजों को भी प्रभावित कर सकती हैं.

विश्लेषक सिंह के अनुसार, अभियानों के दौरान महिलाओं से जुड़ने की रणनीति प्रियंका “जानबूझकर” करती हैं.

उन्होंने कहा, “उन्हें भाजपा के खिलाफ राहुल के कवच (ताबीज) के रूप में देखा जा रहा है.”

1962 के बाद से, जब चुनाव आयोग ने लिंग के आधार पर मतदाता के आंकड़े को अलग अलग करना शुरु कर दिया है. कांग्रेस पार्टी ने हमेशा अन्य पार्टियों की तुलना में महिलाओं के वोटों का बड़ा हिस्सा हथिया लिया. लेकिन यह पैटर्न 2019 में टूट गया जब मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को महिलाओं ने सबसे अधिक वोट किया.

इसके अलावा, 2022 के पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में, पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाओं ने कथित तौर पर भाजपा को वोट दिया.

मुख्य क्षण, लेकिन कोई बड़ी जीत नहीं

यूपी के प्रभारी महासचिव के रूप में, प्रियंका ने 2022 के राज्य चुनावों में कांग्रेस के अभियान को “लड़की हूं, लड़ सकती हूं” पिच के साथ आगे बढ़ाया.

जिस चुनाव में कांग्रेस ने अकेले जाने का फैसला किया, उसमें 40 फीसदी टिकट महिलाओं को दिए गए. हालांकि, इस रणनीति से पार्टी को सीटें जीतने में मदद नहीं मिली. कांग्रेस ने केवल दो विधायकों को विधानसभा भेजा और पार्टी के 97 फीसदी उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई.

लेकिन दो महीनों में जब प्रियंका ने राज्य में डेरा डाला, तो उन्होंने कई सुर्खियां बटोरने में कामयाबी हासिल की.

Priyanka Gandhi Vadra addresses a public meeting in Mahoba, on 27 November 2021 | ANI Photo
प्रियंका गांधी वाड्रा 27 नवंबर 2021 को यूपी के महोबा में एक जनसभा को संबोधित कर रही हैं-एएनआई फोटो

एक उल्लेखनीय घटना तब हुई जब वह राहुल के साथ हाथरस बलात्कार पीड़िता के परिवार से मिलने गई. फिर, जब लखीमपुर खीरी में कई किसानों को कारों के काफिले ने कुचल दिया, जिसमें कथित रूप से भाजपा मंत्री अजय मिश्रा के बेटे द्वारा चलाई जा रही कार भी शामिल थी, जब पुलिस ने उन्हें मौके पर पहुंचने से रोक दिया तो प्रियंका सुर्खियों में आ गईं. बाद में उसे गेस्ट हाउस में रखा गया. वायरल वीडियो में वह इसी बिल्डिंग के फर्श पर झाड़ू लगाती नजर आ रही थीं.

इसी तरह, जब उनकी कार उत्तर प्रदेश में एक मामूली टक्कर में शामिल थी, तो व्यक्तिगत रूप से विंडशील्ड की सफाई करने वाले उनके एक वीडियो ने भी मीडिया में सुर्खियां बटोरी थीं.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रमुख शाहनवाज आलम ने कहा, “वह एक व्यक्तिगत कनेक्ट बनाना पसंद करती है. सीएए-एनआरसी के विरोध के दौरान उसने आजमगढ़ की एक छोटी बच्ची से रिश्ते बनाए. विरोध के दौरान जब प्रियंका जी उनसे मिलीं और उन्होंने नंबरों का आदान-प्रदान किया तो लड़की रोने लगी थी. अब भी वे संपर्क में रहते हैं. वास्तव में, जब लड़की का जन्मदिन होता है, तो प्रियंकाजी मुझसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहती हैं कि उन्हें एक उपहार और एक नोट भेजा जाए.” टीम प्रियंका द्वारा नियुक्त की गई थी.


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क्यों फेल हुआ यूपी का प्रयोग?

यूपी के दो पूर्व कांग्रेस नेताओं के अनुसार, प्रियंका की टीम ने उनके और अन्य नेताओं के बीच एक “बैरियर” बनाया और ये सुनिश्चित किया कि वह किसके साथ बातचीत कर सकती हैं.

इससे कई नेता असंतुष्ट हो गए और यूपी में उनके कार्यकाल में राज्य में कई बड़े नाम जैसे जितिन प्रसाद, आरपीएन सिंह और ललितेश त्रिपाठी ने पार्टी छोड़ दी.

इन्हीं में से एक नेता जो इनदिनों यूपी में समाजवादी पार्टी से विधायक हैं ने कहा, “प्रियंका संगठन को बहुत समय देती थीं, लेकिन उनकी टीम ने उनके लिए अधिकांश राजनीतिक संपर्क किया. हमें काम दिया जाएगा लेकिन हमारे फीडबैक के आधार पर हमारे लिए फैसले नहीं लिए गए.’

विधायक के मुताबिक, प्रियंका तक सिर्फ एक गिने-चुने लोगों की ही पहुंच थी, जबकि अन्य लोगों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी जाती थी.

उन्होंने आरोप लगाया, “वह केवल कुछ लोगों के साथ ही मिलती थीं. अभी भी कई ऐसे कार्यकर्ता हैं जिनके खिलाफ रेल रोको विरोध और ऐसी अन्य चीजों के मामले हैं, लेकिन पार्टी ने उनकी मदद के लिए कुछ नहीं किया है. ”.

कांग्रेस के एक और पूर्व नेता, जो अब बसपा में हैं, कुछ ज्यादा ही परोपकारी थे.

उन्होंने कहा, “प्रियंका और उनकी टीम बहुत मेहनती थी और वह खुद बहुत बहादुर हैं,” उन्होंने कहा कि वह लाठीचार्ज या अन्य कठोर परिस्थितियों का सामना करने से नहीं डरती थीं.

हालांकि इस नेता ने भी कहा कि प्रियंका और राहुल तक पहुंच एक मुद्दा है.

नेता ने कहा, “पार्टी में रहते हुए मैंने राहुल और प्रियंका दोनों को सिर्फ एक ही फीडबैक दिया था कि उन्हें लोगों से बिना अप्वाइंटमेंट के सीधे मिलने का तंत्र विकसित करना चाहिए.” “अब वे केवल उन लोगों से मिलते हैं जिन्हें उनकी टीमों ने क्लीन चिट दी होती है.”

यूपी से सीख

पार्टी सूत्रों के अनुसार, यूपी की हार से एक सबक जो प्रियंका ने पहले हिमाचल प्रदेश और फिर कर्नाटक में लिया, वह मतदाताओं के साथ सीधा जुड़ाव स्थापित करने पर जोर दिया था.

कर्नाटक में प्रियंका के साथ काम करने वाले एक कांग्रेस पदाधिकारी ने कहा,”वह करिश्माई है और कनेक्ट करने के लिए बहुत प्रयास करती है. यहां तक कि वह स्थानीय भाषा सीखती हैं और अपने भाषणों के माध्यम से इसमें छौंक लगाती हैं. ”

एक कार्यकर्ता ने बताया कि, “चुनाव प्रचार के एक दिन बाद भी, जब वह होटल वापस आती हैं, तो वह लॉबी में लोगों से मिलती हैं और उनके साथ तस्वीरें लेती हैं. गांधी परिवार के इर्द-गिर्द अभी भी एक रहस्य है और इस तरह के प्रयासों से पार्टी को मदद मिलती है.’ वह आगे कहते हैं, “वह जो कुछ दिया जाता है उस पर भी अपना दिमाग लगाती है और काम करते समय लचीली होती है. वह अपना होमवर्क करती है और ज्यादातर समय तैयार रहती है.

हिमाचल प्रदेश के कांग्रेस विधायक और हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास बोर्ड के प्रमुख, रघुबीर सिंह बाली, जिन्होंने राज्य अभियान के दौरान प्रियंका के साथ काम किया, ने समान लक्षणों का उल्लेख किया.

उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान हुई एक घटना का जिक्र किया.

बाली ने कहा,“उन्हें नगरोटा बगवा में आकर प्रचार करना था और रैली स्थल की सड़क चोक-सी थी. हम रैली शुरू होने का इंतजार कर रहे थे और देर हो रही थी. मैंने उनसे अनुरोध किया कि वह उतर जाए और बाकी दूरी पैदल पूरी करें. उस समय, उनके सुरक्षाकर्मियों, राज्य प्रभारी और यहां तक कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी उन्हें इसके खिलाफ सलाह दी थी. लेकिन वह भीड़ के बीच कुछ दूरी तक चलने के लिए कार से निकल गई. ”

उन्होंने दावा किया कि जब प्रियंका कार्यक्रम स्थल पर जा रही थीं, तो उन्होंने एक बूढ़ी महिला को देखा, जिसकी चप्पल भीड़ में उतर गई थी.

प्रियंका गांधी रुकीं, झुकीं और चप्पल महिला के पैरों में रख दीं. यह एक स्वतःस्फूर्त प्रतिक्रिया थी. न तो महिला की चप्पल गिर रही थी और न ही उनके रुकने की कोई बात ही कही गई थी.

बाली ने कहा कि प्रियंका हिमाचल अभियान की रूपरेखा और क्रियान्वयन की निगरानी में भी शामिल थीं.

वह आगे कहते हैं, “उनके फॉलो-अप ने उन्हें अलग बना दिया है. एक बार जब उन्हें काम सौंप दिया जाता है या कोई योजना या नीति बना ली जाती है, तो वह इस पर नज़र रखती हैं कि इसमें क्या हो रहा है. वह तेजी से फैसले लेती हैं और उन पर टिकी रहती हैं, लेकिन बाद में आत्मनिरीक्षण भी करती हैं कि क्या बेहतर किया जा सकता था.

प्रियंका के साथ मिलकर काम करने वाले सूत्र ने बताया कि जब हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना का वादा करने की बात आई तो हर बैठक में प्रियंका मौजूद थीं.

उन्होंने कहा, “वह स्पष्ट थीं कि हमें केवल उन योजनाओं की घोषणा करनी चाहिए जिन्हें हम लागू कर सकते हैं, अन्यथा इसका उन अन्य राज्यों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जहां चुनाव हो रहे हैं.”

प्रियंका ने कर्नाटक में 36 रैलियां कीं- राहुल की 32 रैलियों से अधिक उनकी टीम के अनुसार, उनकी 72 प्रतिशत की “स्ट्राइक रेट” है, जो उन जगहों पर दर्ज की गई जीत का एक संदर्भ है जहां उन्होंने प्रचार किया था.

मोदी को निशाने पर लिया

जबकि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आमतौर पर प्रियंका के बारे कुछ भी बोलने से बचते हैं, लेकिन वह तेजी से उनका नाम ले रही है.

हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक चुनाव में, जबकि भाजपा ने अपने अभियान के चेहरे के रूप में मोदी पर बहुत अधिक भरोसा किया, कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को अपने स्टार प्रचारक के रूप में रखा.

हालांकि, दो चुनावों में उसने जो दृष्टिकोण अपनाया, वह अलग था.

प्रियंका की टीम के एक सदस्य ने कहा, “हिमाचल में, उन्हें जो प्रतिक्रिया मिली वह स्थानीय मुद्दों पर टिके रहने और बदलाव के बारे में बात करने के लिए थी. प्रधानमंत्री मोदी का नाम न लेने की यह सोची समझी रणनीति थी. इसके बजाय, तत्कालीन जय राम ठाकुर सरकार पर ध्यान केंद्रित किया गया था और उन्होंने अपने वादों को कैसे पूरा नहीं किया.”

हालांकि, कर्नाटक में, प्रियंका मोदी के प्रति अधिक विरोधी रहीं थीं.

जब उन्होंने बीदर की एक रैली में शिकायत की कि कांग्रेस ने उन पर “91 बार गालियां” दी हैं, तो प्रियंका ने जामखंडी में एक भाषण में उन्हें आड़े हाथ लिया. उन्होंने कहा कि अगर उनके परिवार के खिलाफ भाजपा के अपमान को सूचीबद्ध किया जाता है, तो कई किताबें भरी जा सकती हैं.

उन्हें आश्चर्य हुआ कि वह पहली बार किसी पीएम को जनता के सामने “रोते हुए” देख रही हैं. उन्होंने कहा, “वह आपकी समस्याओं को सुनने के बजाय अपनी शिकायतों के बारे में बात करते हैं.”

विजयपुरा जिले में एक अन्य तीखे भाषण में, उन्होंने पूछा कि यह कैसे हो सकता है कि “सर्वज्ञ और सर्वव्यापी” पीएम कर्नाटक में भ्रष्टाचार या “40 प्रतिशत कमीशन सरकार” के कार्यों को नहीं देख पाए – कांग्रेस द्वारा अक्सर इस्तेमाल किया जाने वाला नारा सरकारी निविदाओं के बिलों को मंजूरी देने के लिए भाजपा नेताओं द्वारा 40 प्रतिशत कमीशन की कथित मांग को सामने लाते हुए.

प्रियंका की टीम के सदस्य ने कहा, “वह मोदी के भाषणों की निगरानी करती थीं और नोट्स लेती थीं. जब उन्होंने विक्टिम कार्ड खेलना शुरू किया, तो हमें पता था कि हमें आगे आना ही होगा. वह समय भी था जब बीजेपी पूरी तरह से पीएम पर भरोसा कर रही थी. हमने देखा कि हमलों की प्रतिध्वनि थी.”

वह आगे कहते हैं, “इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि मोदी उसके पीछे नहीं पड़े जैसे वह राहुल के पीछे पड़ जाते हैं.”

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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