scorecardresearch
Saturday, 21 December, 2024
होमराजनीतिUP में गठबंधन या ‘आपसी तालमेल’ के लिए तैयार दिखती है कांग्रेस, लेकिन SP ‘2017 की गलती' नहीं दोहराना चाहती

UP में गठबंधन या ‘आपसी तालमेल’ के लिए तैयार दिखती है कांग्रेस, लेकिन SP ‘2017 की गलती’ नहीं दोहराना चाहती

यूपी कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि पार्टी के साथ गठबंधन किसी भी विपक्षी पार्टी के लिए फायदे का सौदा होगा, लेकिन सपा नेताओं का कहना है कि कांग्रेस के पास जीतने की संभावनाएं सीमित हैं. बसपा को भी इसमें दिलचस्पी नहीं

Text Size:

लखनऊ: अगले साल के शुरू में होने वाले उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनावों के लिए राजनीतिक पार्टियों ने कमर कसनी शुरू कर दी है- और ऐसे में कांग्रेस विशेष रूप से समाजवादी पार्टी (एसपी) के साथ चुनाव-पूर्व गठबंधन के लिए उत्सुक नज़र आ रही है.

पिछले सप्ताह इसका स्पष्ट संकेत देते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा लखीमपुर में दो एसपी महिला कार्यकर्त्ताओं के घर पहुंचीं जिनपर हाल ही में हुए ब्लॉक प्रमुख चुनावों के दौरान कथित रूप से हमला किया गया था. दौरे के बाद प्रियंका ने कहा कि ये ‘लोकतंत्र की लड़ाई’ है और बाद में ये भी कहा कि पार्टी गठबंधन के लिए ‘खुले विचार’ रखती है.

दिप्रिंट से बात करते हुए राज्य के कांग्रेस नेताओं (खासकर पूर्व एमएलए और एमपी) ने एसपी की ओर इशारा करते हुए कहा कि उनकी पार्टी से हाथ मिलाना किसी भी पार्टी के लिए फायदे का सौदा रहेगा. उन्होंने दावा किया कि प्रियंका की अगुवाई में उनकी इकाई जल्द ही यूपी में ‘सबसे मज़बूत विपक्ष’ बनकर उभरेगी.

लेकिन एसपी के कई नेताओं ने जिनमें पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हैं कांग्रेस के साथ गठबंधन में दिलचस्पी नहीं दिखाई, और 2017 के प्रदर्शन का हवाला दिया जब दोनों पार्टियां मिलकर चुनाव लड़ीं और बुरी तरह हार गईं. उनका मानना है कि कांग्रेस एक अच्छी सहयोगी नहीं है जिसके जीतने की संभावना बहुत कम रहती है.

इसके जवाब में कांग्रेस के कुछ पूर्व विधायकों का कहना था कि योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता से बाहर करने के प्रयासों में ‘सामरिक तालमेल’ एक बेहतर विकल्प रहेगा.


यह भी पढ़ें: प्रियंका क्यों मिल रही हैं सपा वर्कर्स से, UP चुनाव के पहले कांग्रेस के लिए क्या हैं इसके मायने


SP और BSP की रूचि नहीं

पिछले सप्ताह बीबीसी के साथ एक इंटरव्यू में एसपी प्रमुख अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ‘ये पार्टियां’ बड़ी संख्या में सीटें मांगती हैं लेकिन बहुत कम जीत पाती हैं. उन्होंने आगे कहा कि एसपी केवल ‘छोटे दलों’ के साथ हाथ मिलाएगी.

अखिलेश के निकट सूत्रों ने दिप्रिंट से पुष्ट किया कि कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोई बातचीत नहीं चल रही है. इसकी बजाय उनके अधिकतर नेता चाहते हैं कि कांग्रेस सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़े, चूंकि उन्हें लगता है कि इससे एसपी की रणनीति को फायदा पहुंचेगा.

एक वरिष्ठ पार्ती नेता ने नाम छिपाने की शर्त पर कहा, ‘कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं है. हम तो विशेष रूप से चाहते हैं कि कांग्रेस खासकर शहरों में सभी सीटों पर लड़े क्योंकि हमें लगता है कि वो बीजेपी के लिए ‘वोट कटुआ’ हो सकते हैं. वो बहुत सी सीटों पर बीजेपी के उच्च जाति के वोट काट सकते हैं इसलिए हमारे लिए वो फायदेमंद रहेगा’.

नेता ने कहा, ‘हमारा वोट बैंक कांग्रेस से अलग है…हम 2017 की गलती को नहीं दोहराएंगे’.

एक दूसरे नेता ने कहा कि कांग्रेस यूपी में कहीं नहीं है और इसके पास केवल सात विधायक और एक सांसद है. नेता ने कहा, ‘गठबंधन सहयोगी के नाते बिहार में उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं था और 2017 का हमारा अनुभव भी ऐसा ही है…बहुत से राष्ट्रीय मुद्दों पर हम उनका समर्थन कर सकते हैं लेकिन यूपी में हम कोई गठबंधन करने को तैयार नहीं हैं’.

एसपी नेता ने ये भी कहा कि पार्टी का राष्ट्रीय लोकदल और अन्य छोटे दलों के साथ गठबंधन है तो ऐसे में ‘कांग्रेस को हम उसमें कैसे समायोजित करें’. उन्होंने कहा, ‘हमें अपने कैंडिडेट भी तो लड़ाने हैं’. उन्होंने ये भी कहा कि किसान आंदोलन के बाद आरजेडी पहले ही पश्चिमी यूपी में ज़्यादा सीटें मांग रही है.

एसपी एमएलसी राजपाल कश्यप ने कहा: ‘एसपी कार्यकर्त्ताओं के घर पर प्रियंका का जाना उनका एक निजी दौरा था और मैं उसपर टिप्पणी नहीं करना चाहता…हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है कि एसपी छोटे दलों के साथ गठबंधन करेगी. किसी बड़ी ताक़त या राष्ट्रीय पार्टी को समायोजित नहीं किया जाएगा’.

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की भी कांग्रेस के साथ गठबंधन में रूचि नहीं है. एक वरिष्ठ बीएसपी पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा: ‘बहनजी (मायावती) पहले ही घोषणा कर चुकी हैं कि हम असैम्बली चुनाव अकेले लड़ेंगे इसलिए कांग्रेस या किसी भी दूसरी पार्टी के साथ गठबंधन की कोई संभावना नहीं है. कांग्रेस यूपी में मज़बूत नहीं है, हम सब जानते हैं’.

कांग्रेस बनाएगी दबाव

लेकिन कांग्रेस ने एसपी और बीएसपी को अपनी ताक़त दिखाने के लिए एक योजना तैयार की है.

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘आने वाले दिनों में आपको यूपी में प्रियंका गांधी के अधिक दौरे देखने को मिलेंगे. वो कई जिलों का दौरा करेंगी और कार्यकर्त्ताओं से मुलाकात करेंगी. वो कई किसानों के घर भी जा सकती हैं. फिलहाल कुछ लोग कह सकते हैं कि कांग्रेस मज़बूत नहीं है लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर रहा हूं कि आने वाले दिनों में हम यहां सबसे मज़बूत विपक्ष बनेंगे’.

नेता ने कहा, ‘एसपी अच्छी तरह जानती है कि हम उनके वोट बैंक को नुकसान पहुंचा सकते हैं. सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन में कांग्रेस पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी थी. प्रियंका गांधी निषाद संप्रदाय के लोगों से भी मिलीं थीं. सोनभद्र में वो दलित परिवारों के साथ खड़ी हुईं थीं’.

उन्होंने आगे कहा, ‘आने वाले दिनों में आप देखेंगे कि एसपी के लोग गठबंधन या किसी तरह के सामरिक तालमेल के लिए खुद हमारे पास आएंगे. हम यहां एक व्यापक चुनाव अभियान शुरू करने जा रहे हैं’.

‘सामरिक तालमेल’ से पार्टी नेताओं का मतलब कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के चयन में सहयोग से है जिसमें एक दूसरे का जनाधार सुरक्षित रखने के लिए पार्टियां बैठकर आपस में बात कर सकती हैं.

आपसी तालमेल एक ‘बेहतर’ विकल्प

दूसरे कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि ‘आपसी तालमेल’ एक अधिक फायदेमंद विकल्प साबित हो सकता है चूंकि गठबंधन से पार्टी काडर निरुत्साहित हो सकता है.

चुनाव की तैयारी कर रहे पूर्वी यूपी-स्थित एक कांग्रेस नेता ने कहा, ‘अगर हम गठबंधन में जाते हैं तो हमारे काडर में निराशा फैल सकती है चूंकि 2017 में भी उन्हें चुनाव लड़ने का अवसर नहीं मिला था क्योंकि हम गठबंधन का हिस्सा थे और बहुत कम सीटों पर लड़ रहे थे. इसलिए इस मरतबा वो चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं’.

एक पूर्व पार्टी विधायक ने दिप्रिंट से कहा: ‘किसी तरह का सामरिक तालमेल या गठबंधन आवश्यक है वरना अगर हमारे बहुत से नेताओं को लगेगा कि वो इस बार भी हार रहे हैं तो वो पार्टी छेड़कर चले जाएंगे. हम में से बहुतों के लिए ये करो या मरो चुनाव है चूंकि हम पिछले चुनाव भी हार गए थे…’

यूपी कांग्रेस प्रवक्ता सुधांशु बाजपेई ने कहा: ‘बीजेपी को हराने के लक्ष्य में हम गठबंधन के लिए तैयार हैं. हम किसी भी संभावना को खारिज नहीं कर रहे हैं. हमने ये नहीं कहा है कि हम केवल एसपी के साठ गठबंधन करने जा रहे हैं. ये छोटे स्थानीय दलों के साथ भी हो सकता है. हमारा लक्ष्य बीजेपी को फिर से सत्ता में आने से रोकना है’.


यह भी पढ़ें: मायावती हिन्दुत्व को अपनी दलित राजनीति के साथ जोड़ेंगी, अयोध्या में पहले ब्राह्मण सम्मेलन की तैयारी


 

share & View comments