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Friday, 19 April, 2024
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प्रियंका क्यों मिल रही हैं सपा वर्कर्स से, UP चुनाव के पहले कांग्रेस के लिए क्या हैं इसके मायने

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शनिवार को उन दो महिलाओं से मिलने पहुंची, जिनके साथ पंचायत चुनाव के दौरान कथित तौर पर मारपीट की गई थी. ये ये महिलाएं समाजवादी पार्टी की सदस्य हैं.

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लखनऊ: कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने शनिवार को उस समय सबको हैरत में डाल दिया जब वह ब्लॉक प्रमुख की उम्मीदवार रितु सिंह और उनकी प्रस्तावक अनीता यादव से मिलने के लिए लखीमपुर खीरी जिले में पहुंचीं. इन दोनों महिलाओं के साथ हाल ही ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान कथित तौर पर मारपीट की गई थी और उनकी साड़ी खींची गई थी.

गांधी ने मीडिया से कहा कि वह अपनी एकजुटता दर्शाने और राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराध का मुद्दा उठाने यहां आई हैं. यूपी में योगी आदित्यनाथ सरकार को एक ‘महिला विरोधी सरकार’ बताते हुए उन्होंने कहा, ‘यह लोकतंत्र की लड़ाई है. और स्थिति ये हो गई है कि एक महिला नामांकन पत्र दाखिल करने गई तो उसके साथ मारपीट की गई. यह लोकतंत्र नहीं है… मैं महिलाओं से मिलने आई हूं, वे मेरी बहनें हैं, और मैं (उन्हें) बताना चाहती हूं कि भारत की हर महिला उनके साथ खड़ी है. मैंने उनसे कहा कि डरो मत और भरोसा रखो.’

हालांकि, इस यात्रा ने राजनीतिक हलकों में लोगों का ध्यान आकृष्ट किया क्योंकि दोनों महिलाएं एक प्रतिद्वंद्वी दल—समाजवादी पार्टी से जुड़ी है.

यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय लल्लू ने इस बात को खारिज कर दिया कि यह दौरा राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है. लल्लू ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह एक राजनीतिक यात्रा नहीं है… उन्होंने ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान हिंसा (जब यह हुई थी) के बारे में ट्वीट भी किया था. प्रियंका जी हमेशा नारी शक्ति के समर्थन में आगे रहती हैं. यह महिला सम्मान और न्याय की लड़ाई है, इसी पार्टी से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए.’

लेकिन दिप्रिंट से बात करने वाले पार्टी नेताओं ने संकेत दिया कि यह कांग्रेस और सपा के बीच संभावित गठबंधन की दिशा में पहला कदम हो सकता है. यूपी में 2017 में हुए पिछले चुनाव के दौरान दोनों सहयोगी थे. सपा ने 298 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि कांग्रेस ने शेष 105 सीटों पर चुनाव लड़ा था. सपा ने सिर्फ 47 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि कांग्रेस ने सात सीटों पर चुनाव जीता था.

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क्या कांग्रेस, सपा के साथ गठबंधन के लिए तरस रही है?

अपना नाम न छापने की शर्त पर कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि यह दौरा कांग्रेस की तरफ से अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन के लिए दबाव की रणनीति हो सकती है.

पार्टी नेता ने कहा, ‘यह एक दबाव की रणनीति है. हो सकता है पार्टी फिर से सपा के साथ गठबंधन के बारे में सोच रही हो. आखिर में दोनों पार्टियां नहीं चाहतीं कि भाजपा दोबारा सत्ता में आए. दूसरी तरफ भाजपा के प्रति मायावती के सॉफ्ट कॉर्नर खुलकर सामने आ गया है. इसलिए समय आ गया है कि बाकी विपक्ष एक साथ आ जाए. यदि गठबंधन नहीं भी हो तो चुनाव से पहले किसी तरह का ‘समझौता’ किया जाना चाहिए.’

प्रियंका गांधी के कार्यालय के करीबी एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि गठबंधन पूरी तरह असंभव नहीं है.

उन्होंने कहा, ‘इस चुनाव में भी सपा के साथ गठबंधन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, लेकिन अभी यह कहना जल्दबाजी होगी. पहले कांग्रेस खुद को सपा के वोट बैंक के लिए खतरा साबित करे…तब शायद अखिलेश गठबंधन के बारे में सोचेंगे.’

अखिलेश यादव से तुलना करते हुए यूपी कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘प्रियंका का दौरा अखिलेश यादव के लिए एक सबक है कि अपने कार्यकर्ताओं के साथ कैसे खड़े रहना है. प्रियंका जी ने जो किया, वो अखिलेश को पहले करना चाहिए था…वे प्रियंका और राहुल की तरह भाजपा सरकार का मुकाबला नहीं कर सकते.

हालांकि, यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता सुरेंद्र राजपूत ने कहा कि पार्टी का इरादा सभी विधानसभा सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने का है. उन्होंने कहा, ‘हम सभी 403 सीटों पर अपने दम पर चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. प्रियंका जी हमेशा महिलाओं की आवाज उठाती हैं. हमें लखीमपुर की इस यात्रा को राजनीति से ऊपर उठकर देखना चाहिए. वह हमेशा किसी भी पार्टी की महिलाओं के समर्थन में खड़ी होती हैं. उन्होंने यह दौरा राजनीति में अन्य महिलाओं का समर्थन करने और (केवल) ब्लॉक प्रमुख चुनाव के दौरान हिंसा के मुद्दे को उठाने के उद्देश्य से किया.’ समाजवादी पार्टी ने इस संबंध में अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

एमएलसी राजपाल कश्यप ने दिप्रिंट को बताया, ‘हो सकता है कि यह (प्रियंका गांधी के लिए) व्यक्तिगत यात्रा हो. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन समाजवादी पार्टी भाजपा के खिलाफ लड़ रही है. पंचायत चुनाव के दौरान हमारे कार्यकर्ताओं को पीटा गया और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया गया. प्रियंका गांधी किसी के भी घर जा सकती हैं, यह उनकी मर्जी है लेकिन इसका मतलब किसी तरह का गठबंधन या सहमति बनना नहीं है.

उन्होंने कहा कि ‘हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष ने पहले ही अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है… गठबंधन में किसी भी बड़ी ताकत या राष्ट्रीय पार्टी को शामिल नहीं किया जाएगा.’

सपा के एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया कि कांग्रेस कोई भी हथकंडा आजमा सकती है, लेकिन ‘यह पहले से ही स्पष्ट है कि भाजपा और सपा के बीच लड़ाई है.’

उन्होंने कहा, ‘हम प्रियंका गांधी के खिलाफ नहीं है, लेकिन हम नहीं चाहते कि किसी को भी इस तरह की यात्राओं से सुर्खियां मिलें. यूपी चुनाव का परिदृश्य पहले से ही स्पष्ट है. हमें परवाह नहीं है कि ये (कांग्रेस) लोग क्या कर रहे हैं. कांग्रेस नेताओं को पहले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलना चाहिए.’ उन्होंने कहा कि यादव पहले ही उन दोनों महिलाओं से मिल चुके हैं जिन पर कथित रूप से हमला किया गया था. साथ ही जोड़ा, ‘सपा नेतृत्व हमेशा अपने कार्यकर्ताओं के साथ खड़ा रहता है.’


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चुनाव प्रचार के लिए जमीन तैयार की जा रही

प्रियंका गांधी इस समय तीन दिन के दौरे पर लखनऊ पहुंची हुई हैं, जो पिछले 18 महीनों में पार्टी के राज्य मुख्यालय में उनका पहला दौरा है. उन्होंने शुक्रवार को अपनी यात्रा सत्तारूढ़ भाजपा सरकार के खिलाफ महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने मौन विरोध के साथ की. इसके बाद वह पार्टी मुख्यालय पहुंची जहां उन्होंने किसान संघ के कई सदस्यों और जिला और शहर कांग्रेस इकाइयों के अध्यक्षों से मुलाकात की. वह अब युवा कांग्रेस, एनएसयूआई, महिला कांग्रेस और सेवा दल जैसी पार्टी की अन्य इकाइयों के सभी पदाधिकारियों से मिल सकती हैं.

पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, ‘यह यात्रा हमारे मिशन 2022 अभियान की शुरुआत का संकेत है. यहां तमाम पदाधिकारियों से मिलने के बाद वह जल्द ही जिलों का दौरा शुरू करेंगी जहां वह ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगी और उन्हें संबोधित करेंगी. संभवत: वह पूर्वी यूपी के किसी जिले से अपने अभियान की शुरुआत करेंगी.

उन्होंने कहा कि पार्टी को उम्मीद है कि गांधी अपने प्रवास को कुछ समय के लिए बढ़ा देंगी.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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