नई दिल्ली: कांग्रेस के कुछ नेताओं ने भारत बायोटेक के कोविड-19 टीके को सीमित इस्तेमाल की मंजूरी दिये जाने पर रविवार को चिंता जतायी और कहा कि यह ‘अपरिपक्व’ है और खतरनाक साबित हो सकता है.
वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित हैं। किसी भी वैक्सीन के थोड़े साइड इफेक्ट होते हैं जैसे दर्द, बुखार, एलर्जी होना: ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI) #COVID19 pic.twitter.com/2CNVlIa7XM
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 3, 2021
Disgraceful for anyone to politicise such a critical issue.
Sh @ShashiTharoor, Sh @yadavakhilesh & Sh @Jairam_Ramesh don't try to discredit well laid out science-backed protocols followed for approving #COVID19vaccines
Wake up & realise you are only discrediting yourselves !
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) January 3, 2021
वहीं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन इसका राजनीतीकरण पर अफसोस जताया है.
वहीं ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया(DCGI) ने कहा है कि COVID19 वैक्सीन 110 प्रतिशत सुरक्षित हैं. किसी भी वैक्सीन के थोड़े साइड इफेक्ट होते हैं जैसे दर्द, बुखार, एलर्जी होना.
हालांकि कांग्रेस में इसको लेकर अलग रुख भी सामने आये. कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने स्वदेशी टीके के लिए वैज्ञानिकों और भारत बायोटेक के अनुसंधानकर्ताओं की प्रशंसा की.
कांग्रेस के नेताओं जैसे आनंद शर्मा, जयराम रमेश और शशि थरूर ने स्वास्थ्य मंत्री से यह समझाने के लिए कहा कि अनिवार्य प्रोटोकॉल तथा डेटा के सत्यापन का पालन क्यों नहीं किया गया.
इसके बाद केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने तीखी प्रतिक्रिया जतायी और कहा कि कांग्रेस नेता ‘वास्तव में उसी तरह से व्यवहार कर रहे हैं जिसकी उनसे उम्मीद की जाती है’ तथा वे ‘स्थायी तौर पर राजनीतिक हाशिए पर जाने की राह पर हैं.’
इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श करने वाली गृह मामलों की संसदीय समिति के प्रमुख शर्मा ने कहा कि टीके के उपयोग की मंजूरी के मुद्दे पर बेहद सावधानी बरतना आवश्यक है क्योंकि किसी भी देश ने अनिवार्य चरण तीन परीक्षणों और डेटा सत्यापन के साथ समझौता नहीं किया है.
भारत के औषधि नियामक डीसीजीआई ने रविवार को सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा निर्मित ऑक्सफोर्ड के कोविड-19 टीके ‘कोविशील्ड’ और भारत बायोटेक के स्वदेश में विकसित टीके ‘कोवैक्सीन’ के देश में सीमित आपात इस्तेमाल को रविवार को मंजूरी दे दी, जिससे व्यापक टीकाकरण अभियान का मार्ग प्रशस्त हो गया है.
शर्मा ने ‘कोवैक्सीन’ का उल्लेख करते हुए कहा कि विशेषज्ञ समिति के समक्ष दी गई प्रस्तुति के अनुसार, चरण तीन के परीक्षण पूरे नहीं हुए हैं और इसलिए, सुरक्षा तथा प्रभाव के आंकड़ों की समीक्षा नहीं की गई है, जो एक अनिवार्य आवश्यकता है.
उन्होंने कहा, ‘स्वास्थ्य मंत्रालय को इस मामले में अनिवार्य प्रोटोकॉल और जरूरतों के साथ समझौता करने के कारण बताने चाहिए, क्योंकि इसमें कोविड-19 के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर काम करने वाले स्वास्थ्य और सुरक्षाकर्मी जुड़े हैं जिन्हें सीमित श्रेणी के तहत टीका लगाया जाएगा.’
उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में तीसरे चरण के परीक्षणों के दौर से गुजर रहे भारत बायोटेक के टीके को आपात स्थिति में सीमित उपयोग की अनुमति से वास्तविक चिंताएं उत्पन्न होती हैं.’
उन्होंने कहा, ‘मानक प्रोटोकॉल और सुरक्षा एवं प्रभावशीलता पर डेटा के प्रकाशन की अनिवार्य आवश्यकता, जिसकी समीक्षा की जाती है और सत्यापन किया जाता है, पूरी प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण है.’
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि मंजूरी अपरिपक्व है और कोवैक्सीन के इस्तेमाल से बचना चाहिए क्योंकि यह खतरनाक हो सकता है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘कोवैक्सीन का अभी तक चरण 3 परीक्षण पूरा नहीं हुआ है. मंजूरी समय से पहले है और खतरनाक हो सकती है. डॉ. हर्षवर्धन कृपया स्पष्ट करें. इसका परीक्षण पूरा होने तक इसके इस्तेमाल से बचना चाहिए. भारत इस बीच एस्ट्राजेनेका टीके से शुरुआत कर सकता है.’
कांग्रेस के एक अन्य वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से यह स्पष्ट करने को कहा कि चरण तीन के परीक्षणों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल क्यों ‘संशोधित किए जा रहे हैं.’
उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘भारत बायोटेक प्रथम दर्जे का उद्यम है, लेकिन यह हैरान करने वाला है कि चरण 3 के परीक्षण से संबंधित अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल ‘कोवैक्सीन’ के लिए संशोधित किए जा रहे हैं. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन को स्पष्ट करना चाहिए.’
हालांकि, सुरजेवाला ने ट्वीट किया, ‘स्वदेश विकसित कोरोना टीके को मंजूरी के लिए हमारे वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं को बधाई. साथ ही सीरम इंस्टीट्यूट और उसके वैज्ञानकों को भी बधाई. भारत ने अतीत में महत्वपूर्ण नवाचारों का नेतृत्व किया है और आगे भी करता रहेगा. नए साल की शानदार शुरुआत.’
पुरी ने कांग्रेस नेताओं पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘…जयराम, थरूर और सपा नेता अखिलेश वास्तव में उस तरह से व्यवहार कर रहे हैं जिसकी उनसे उम्मीद की जाती है. उन्होंने पहले हमारे सैनिकों की वीरता पर सवाल उठाया और अब इसको लेकर दुखी हैं कि दो टीके जिन्हें डीसीजीआई की मंजूरी मिली हैं वे भारत में निर्मित हैं. जाहिर है, वे स्थायी राजनीतिक हाशिए के रास्ते पर हैं.’
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि टीकाकरण कार्यक्रम एक ‘संवेदनशील प्रक्रिया’ है और सरकार इसे कोई सजावटी-दिखावटी इवेंट न समझे और पुख्ता इंतज़ामों के बाद ही इसे शुरू करे. ये लोगों के जीवन से जुड़ा विषय है अत: इसमें बाद में सुधार का खतरा नहीं उठाया जा सकता है.
शर्मा ने कहा कि टीके के आगमन और टीकाकरण की शुरुआत की खबर महामारी से पीड़ित देश को ‘वास्तव में आश्वस्त’ करने वाली है. शर्मा ने कहा कि साथ ही यह देश के वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं और संस्थानों के लिए भी एक सम्मान की बात है, जिन्होंने भारत को दुनिया के सबसे बड़े टीका निर्माता के रूप में स्थापित किया है.
शर्मा ने कहा, ‘डीसीजीआई के बयान में स्पष्टता की कमी है और सरकार को टीके की सिद्ध प्रभावशीलता पर किसी भी भ्रम से बचने के लिए वैश्विक प्रभावशीलता परीक्षणों तथा ब्रिटेन में अंतिम परीक्षणों के आंकड़ों को पेश करना चाहिए जिसे ब्रिटेन के एमएचआरए ने दोनों देशों की सरकारों के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद आधिकारिक रूप से साझा किया है.’
इस मुद्दे पर पहले गृह मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने गहन विमर्श किया था. समिति ने सरकार से सिफारिश की है कि कोविड -19 के किसी भी टीके को उचित जांच पड़ताल और उसके पर्याप्त परीक्षण के बाद ही आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दी जानी चाहिए.
गत 21 दिसंबर को राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में, संसद की स्थायी समिति ने उल्लेख किया था कि सीडीएससीओ ने अतीत में कोई आपात उपयोग की मंजूरी नहीं दी है, और सुझाव दिया था कि सभी आवश्यक और अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा किया जाना चाहिए तथा सभी परीक्षण के चरण पूरे किए जाने चाहिए.