दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में चुनावी माहौल गर्म है. राज्य के पुलिस प्रमुख संजय कुंडू खुद को कांग्रेस के क्रॉसहेयर में फंसा पा रहे हैं. पार्टी ने चुनाव आयोग (ईसी) से मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के साथ कुंडू की कथित निकटता और पुलिस भर्ती परीक्षा पेपर लीक ‘घोटाले’ में संदेह के चलते उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए शिकायत की है. पत्र में 12 नवंबर को होने वाले मतदान से पहले उनके तबादले की भी मांग की गई है.
तीन नवंबर को चुनाव आयोग को अपनी शिकायत में राज्य कांग्रेस ने तर्क दिया है कि कुंडू ने हिमाचल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) नियुक्त किए जाने से पहले मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव के रूप में कार्य किया है. मतदान के दौरान पुलिस की तैनाती के प्रभारी के रूप में मतदान प्रक्रिया को प्रभावित कर सकते हैं.
डीजीपी को हटाने के मामले को मजबूत बनाते हुए पत्र में इस साल की शुरुआत से पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले में उनकी संभावित संलिप्तता के बारे में भी शिकायत की गई है.
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग ने हिमाचल के मुख्य सचिव आरडी धीमान को जवाब देने के लिए लिखा है. लेकिन आयोग के रिमाइंडर के बावजूद यह जवाब अभी तक नहीं नहीं मिला है.
दिप्रिंट से बात करते हुए हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष और विधायक राजेंद्र राणा ने कहा कि कुंडू के डीजीपी के कार्यकाल के दौरान पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती के पेपर लीक हो गए थे. इस मामले में सिर्फ छोटी मछलियों को गिरफ्तार किया गया था.
राणा ने कहा, ‘अधिकारी अभी भी संदेह के घेरे में हैं, तो उन्हें पुलिस प्रमुख के तौर पर काम करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है? हम अपने अभियान में इस मुद्दे को उठा रहे हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करना चुनाव आयोग का काम है कि उन्हें चुनाव के दौरान इस पद पर बने रहने की अनुमति दी जा सकती है या नहीं.’
उधर भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को निराधार और राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है.
भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष पुरुषोत्तम गुलेरिया ने कहा कि डीजीपी के आचरण पर कोई दाग नहीं लगा है. उन्होंने बताया, ‘कांग्रेस की इस शिकायत का कोई आधार नहीं है. जैसे ही पेपर लीक घोटाला सामने आया, 170 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया था. एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया और राज्य सरकार ने सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) जांच की सिफारिश भी की थी. कांग्रेस सिर्फ मतदान से पहले विवाद पैदा करने की कोशिश कर रही है.’
जब दिप्रिंट ने डीजीपी कुंडू से संपर्क किया, तो उन्होंने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, ‘मैं फिलहाल इस मसले पर कुछ नहीं कहूंगा. क्योंकि चुनाव चल रहे हैं और यह आचार संहिता के खिलाफ होगा.’
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कौन हैं संजय कुंडू?
1989 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी संजय कुंडू 2018 में उस समय खबरों में आए जब जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से जल्दी वापस बुला लिया और उन्हें सीएम का अतिरिक्त प्रधान सचिव नियुक्त किया- एक पद जो आमतौर पर भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के पास जाता है.
उन्हें कराधान, उत्पाद शुल्क और सतर्कता जैसे महत्वपूर्ण विभागों का प्रभारी भी बनाया गया था. जनवरी 2019 में उन्हें मुख्यमंत्री का प्रमुख सचिव नियुक्त किया गया, जिससे इस धारणा को और बल मिल गया कि वह ठाकुर के करीबी हैं.
कुंडू जून 2020 में अपने पेशे में लौट आए थे. तब उन्हें राज्य का डीजीपी नियुक्त किया गया था.
समाचार रिपोर्टों के अनुसार, मई 2018 में सहायक टाउन प्लानर शैल बाला शर्मा की गोली मारकर हुई मौत के बाद राज्य में कानून-व्यवस्था को लेकर विपक्ष में आक्रोश फैल हुआ था. तब कुंडू को दिल्ली से हिमाचल वापस लाया गया था.
2016 में जल संसाधन विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले, कुंडू ने हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त डीजीपी के रूप में कार्य किया था और संयुक्त राष्ट्र के साथ एक उप पुलिस आयुक्त के रूप में सूडान में एक कार्यकाल भी पूरा किया था. 2005-06 में वह मिनेसोटा विश्वविद्यालय में ह्यूबर्ट एच हम्फ्री स्कूल ऑफ पब्लिक अफेयर्स में फुलब्राइट छात्रवृत्ति योजना के तहत एक फैलो थे.
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पेपर लीक घोटाला, ‘ईमानदार अधिकारी’
इस साल मार्च में राज्य सरकार के साथ-साथ पुलिस के लिए भी मसला खड़ा हो गया, जब 1700 कांस्टेबलों की भर्ती के लिए एक परीक्षा के पेपर लीक का मामला सामने आया. इस मामले में अब तक 171 से अधिक गिरफ्तारियां की जा चुकी हैं. मई में हिमाचल सरकार ने राज्य पुलिस भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष जेपी सिंह का तबादला कर दिया था लेकिन चुनाव नजदीक आते ही यह मामला कांग्रेस के लिए चर्चा का विषय बन गया.
हालांकि मामले की जांच कर रही एसआईटी ने इस मामले में पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता की पुष्टि नहीं की है. लेकिन कांग्रेस नेताओं ने घोषणा के बावजूद सीबीआई जांच नहीं होने की ओर इशारा किया और राज्य सरकार एवं शीर्ष पुलिस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार और ‘कवर अप’ करने का आरोप लगाया है.
आम आदमी पार्टी के नेता आई डी भंडारी, जिन्होंने पिछली प्रेम कुमार धूमल सरकार के दौरान डीजीपी के रूप में काम किया था, ने कहा कि अभी भी ‘मामले में कई चीजें सामने आ सकती हैं’. लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुंडू पर लगाए गए आरोपों में दम नहीं है, क्योंकि वह एक ‘ईमानदार अधिकारी’ है.
उन्होंने बताया, ‘शुरू में यह मांग की गई थी कि पेपर लीक मामले में पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता के बारे में विभागीय जांच की जानी चाहिए. बहुत से उम्मीदवारों ने पेपर खरीदने के लिए अपनी जमीन बेच दी थी और अब उनका करियर खत्म हो गया. सीबीआई ने भी इस मामले में जांच शुरू नहीं की है.’
उनके मुताबिक, ‘लेकिन जहां तक कुंडू का सवाल है, वह एक ईमानदार अधिकारी हैं. वह मेरे कार्यकाल के दौरान बतौर एसपी (पुलिस अधीक्षक) चंबा और बिलासपुर में थे. उनके करियर पर कोई दाग नहीं है. चुनाव से पहले उनके तबादले की यह मांग पूरी तरह से राजनीतिक है, इससे ज्यादा कुछ नहीं.’
राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार पेपर लीक घोटाले को लेकर सरगर्मी तेज होने के बीच कुंडू ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से सेवा मुक्त किए जाने का अनुरोध किया है. सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने केंद्र में डीजी के स्तर पर उनके नाम शामिल किए जाने की लिस्ट को मंजूरी दे दी है.
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