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Sunday, 3 November, 2024
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चुनाव के आस-पास कांग्रेस में शामिल होऊंगा, गुजरात मॉडल के ‘भ्रम’ को तोड़ना है ज़रूरी: जिग्नेश मेवाणी

दिप्रिंट के साथ एक साक्षात्कार में, वडगाम के निर्दलीय विधायक ने असम पुलिस द्वारा गिरफ्तारी और फिर दुबारा गिरफ्तारी, आगामी गुजरात चुनावों और कांग्रेस में उनकी भूमिका के बारे में खुलकर बातें की.

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नई दिल्ली: साल 2017 में बिना अनुमति के आयोजित किये गए ‘आजादी’ मार्च के सिलसले में तीन महीने की कैद की सजा सुनाई जाने के एक दिन बाद गुजरात के वडगाम से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने दिप्रिंट को बताया कि वह इस साल के अंत में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल होने जा रहे हैं.

पिछले कुछ दिनों में, 2017 के मामले में तीन महीने की कैद की सजा सुनाए जाने से पहले, मेवानी को असम पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था, और उसके बाद उन्हें फिर से दुबारा गिरफ्तार कर लिया गया था. फिलहाल वह जमानत पर बाहर हैं.

दिप्रिंट के साथ एक विशेष साक्षात्कार में, मेवाणी ने बताया कि कैसे इन पिछले कुछ दिनों ने उन्हें प्रभावित किया है. साथ ही, उन्होंने कांग्रेस में शामिल होने की उनकी योजना, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रति उनके विरोध के बारे में भी बाते की और यह बताया कि कैसे वह शासन के ‘गुजरात मॉडल के भ्रम’ को तोड़ने में मदद करना चाहते हैं.

मेवाणी ने कहा, ‘मैं चुनाव के आसपास ही कांग्रेस पार्टी में शामिल होऊंगा. वे असम में घटे इस पूरे प्रकरण के दौरान मेरे साथ मजबूती से खड़े रहे हैं, और मुझे काफी अच्छे वकील प्रदान किए हैं. इसके अलावा कोकराझार, बारपेटा के पार्टी कार्यकर्ता और साथ ही असम प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष मेरे साथ रहे हैं.‘

41 वर्षीय वडगाम विधायक ने 2021 में कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था, लेकिन दलबदल विरोधी कानून की पेंचीदगियों के कारण आधिकारिक रूप से पार्टी में शामिल नहीं हो सके.

उनका कहना है, ‘मैंने लालची नहीं होने का फैसला किया. मैं अपने निर्वाचन क्षेत्र को एक विधायक से क्यों वंचित करूं?’

उन्होंने कहा कि एकबार कांग्रेस में शामिल होने के बाद उनका पहला काम पार्टी की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठों के बीच समन्वय स्थापित करने में मदद करना होगा.

हालांकि, अभी के लिए उनका सात ध्यान गुजरात चुनाव पर केंद्रित होगा, पर वह अंततः राजस्थान और छत्तीसगढ़ की ओर रुख करेंगे – इन दोनों में राज्यों में अगले साल के अंत में विधानसभा चुनाव होंगे.

मेवाणी को कभी हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर के साथ गुजरात में उभरते हुए नेताओं की ‘युवा तिकड़ी’ के एक हिस्से के रूप में देखा जाता था. वे तीनों कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, हालांकि, ठाकोर उसके बाद से भाजपा में शामिल हो गए हैं.

मेवाणी ने कहा कि ठाकोर अभी भी उनके दोस्त हैं, लेकिन उन्हें भाजपा में शामिल होते देख उन्हें निराशा हुई.

मेवाणी का कहना था, ‘मुझे उम्मीद है कि वह कांग्रेस में वापस आएंगे. हमारे दिल और दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले हैं उन्होंने, हार्दिक ने,  और मैंने 2017 में जो प्रभाव डाला, वह वास्तव में न केवल गुजरात में बल्कि राज्य के बाहर भी प्रेरणादायक था.’

‘मुझे बर्बाद करने की कोशिश कर रही है भाजपा’

मेवाणी ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ किये गए एक ट्वीट पर उनकी गिरफ्तारी भाजपा और आरएसएस द्वारा न केवल उनका ध्यान गुजरात चुनावों की तरफ से हटाने का प्रयास था, बल्कि यह उन्हें ‘बर्बाद’ करने का एक प्रयास भी था.

उन्हें 19 अप्रैल को गुजरात के एक कस्बे पालनपुर से असम पुलिस ने गिरफ्तार किया थे और फिर उन्हें कोकराझार ले जाया गया थे. उस मामले में जमानत मिलते ही उन्हें एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित रूप से हमला करने के आरोप में दर्ज एक दूसरे मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था. बाद में, असम की एक अदालत ने इस दूसरी प्राथमिकी को झूठा बताया था.

उन्होंने कहा, ‘वे बेशर्म हो गए हैं और पगला गए हैं. वे मेरे खिलाफ कर्नाटक और महाराष्ट्र में मामले दर्ज कर रहे हैं. वे जानते हैं कि मेरी पहुंच सिर्फ गुजरात तक ही सीमित नहीं है. जब मैं बोलता हूं, या ट्वीट करता हूं, या साक्षात्कार देता हूं, या फिर जब रैलियां करता हूं, विरोध करता हूं, तो मेरी आवाज पूरे भारत में पहुंचती है. ऐसे लाखों लोग और युवा हैं, खासकर दलित और बहुजन समुदायों से, (जो) मुझसे प्यार करते हैं और मुझे एक आशा के रूप में देखते हैं. लंबे अंतराल में मैं बीजेपी और आरएसएस के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता हूं.‘

उन्होंने कहा कि वह हिल तो गए थे, लेकिन अब भी अडिग हैं .

उन्होंने कहा, ‘ईमानदार से कहूं तो यह सब आसान नहीं रहा है. मुझे एकदम बेधड़क तरीके से उठाया गया और 2,500 किमी दूर असम में ले जाया गया. मैं अपने माता-पिता या अपने वकीलों से संपर्क भी नहीं कर सका. भाजपा मेरी छवि बिगाड़ना चाहती है.‘


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गुजरात मॉडल के भ्रम‘ को तोड़ना

गुजरात चुनाव के लिए मेवाणी की रणनीति ‘गुजरात मॉडल के भ्रम’ को तोड़ना है.

उन्होंने कहा कि उनकी रणनीति गुजरात में मौजूद कुछ गंभीर समस्याओं को उजागर करना है: जैसे कि बेरोजगारी, महंगाई, राज्य के 45 प्रतिशत कुपोषित बच्चे और 55 प्रतिशत एनीमिक (खून की कमी वाली) महिलाएं, कच्छ और सौराष्ट्र में व्याप्त पानी का संकट,  तथा आशा कार्यकर्ताओं, सफाई कर्मचारियों एवं पुलिस कॉन्स्टेबलों का शोषण.

उन्होंने कहा, ‘ये वे असली मुद्दे हैं जिन्हें हम उठाएंगे, मंदिर-मस्जिद नहीं. हमारी योजना इन मुद्दों को उठाने की है और भाजपा की योजना इन मुद्दों को उठाने वाले लोगों को निशाना बनाने की है.‘

मेवाणी अभी भी गुजरात चुनाव को कांग्रेस और भाजपा के बीच दोतरफा लड़ाई के रूप में देखते हैं. उन्होंने दावा किया कि आम आदमी पार्टी, जिसका वह कभी हिस्सा रहे थे, की गुजरात में कोई उपस्थिति नहीं है, और उसके लिए वहां कोई संभावना नहीं है. उनका यह बयान इस तथ्य के बावजूद आया है कि आप को 2021 के गांधीनगर नगर निगम चुनाव में 21 फीसदी वोट मिले थे.

उन्होंने स्वीकार किया कि हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश में भाजपा के दुबारा सत्ता में आने और उत्तराखंड, मणिपुर एवं गोवा पर अपनी पकड़ बनाए रखने का गुजरात चुनावों पर कुछ ‘मनोवैज्ञानिक प्रभाव’ पड़ेगा. लेकिन, उन्होंने कहा कि भाजपा गुजरात में सत्ता से बेदखल होने जा रही है, जिससे  इस राज्य में उसके लगभग तीन दशक लंबे निर्बाध शासन का अंत होगा.‘

उन्होंने कहा, ‘अब कोई गुजरात मॉडल नहीं है. कोविड के कुप्रबंधन के कारण वहां सत्ता विरोधी लहर है. फिर यह तथ्य भी है कि उन्हें चुनाव के इतने करीब अपना पूरा कैबिनेट बदलना पड़ा. यह सब दर्शाता है कि उनके लिए हालात खराब हैं, जबकि कांग्रेस चुपचाप काम कर रही है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहा क्लिक करें)


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