scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमराजनीतिइज़रायल के खिलाफ खुलकर सामने आई कांग्रेस, गाज़ा में फिलिस्तीनियों की मौत को प्रियंका ने बताया ‘नरसंहार’

इज़रायल के खिलाफ खुलकर सामने आई कांग्रेस, गाज़ा में फिलिस्तीनियों की मौत को प्रियंका ने बताया ‘नरसंहार’

कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर सोमवार को दावा किया कि गाज़ा पट्टी में 10,000 लोगों की मौत की सूचना कितनी‘निंदनीय और अपमानजनक घटना’ है.

Text Size:

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने गाज़ा पट्टी पर इज़रायल की घेराबंदी पर एक कड़ा बयान जारी किया है, जिसमें घनी आबादी वाले इलाके में फिलिस्तीनियों की मौत को “नरसंहार” कहा गया है.

प्रियंका ने एक्स पर लिखा, हताहतों की अधिक संख्या एक “निंदनीय और अपमानजनक” घटना है.

प्रियंका गांधी ने पोस्ट किया, ‘‘कितना निंदनीय और अफसोसजनक है…गाज़ा में 10,000 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें से लगभग आधे बच्चे हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर 10 मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही है और अब छोटे बच्चों को ऑक्सीजन की कमी के कारण उनके इन्क्यूबेटर से हटाना पड़ा और उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया गया.’’

गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को कहा था कि सबसे बड़े अल शिफा अस्पताल में एक इनक्यूबेटर में एक नवजात शिशु की मृत्यु हो गई थी, क्योंकि ईंधन की कमी के कारण इसने काम करना बंद कर दिया था.

प्रियंका ने अपनी पोस्ट में कहा, “फिर भी, इस नरसंहार का समर्थन करने वालों की अंतरात्मा पर कोई असर नहीं, कोई युद्धविराम नहीं… बस अधिक बम, अधिक हिंसा, अधिक हत्याएं और अधिक पीड़ा.”

कांग्रेस नेता ने नरेंद्र मोदी सरकार पर भी कटाक्ष किया और कहा कि वह “इस विनाश का समर्थन करने वालों” में से एक है. “इस विनाश का समर्थन करने वाली सरकारों को शर्म आनी चाहिए. कब कहा जाएगा कि बहुत हो चुका?”

इज़रायल-हमास युद्ध पर कांग्रेस के रुख में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है, लेकिन सोमवार को प्रियंका गांधी की पोस्ट पार्टी के अंतिम दृष्टिकोण पर अब तक का सबसे स्पष्ट संकेत थी — फिलिस्तीन के लोगों के लिए पार्टी के ऐतिहासिक समर्थन को दोगुना करना और उनके स्व-शासन की वकालत करना.


यह भी पढ़ें: ‘हमें जीना है, हम कई बार मौत से बचे, हमें दवा-खाना चाहिए,’ युद्ध के बीच गाजा के बच्चों की दुनिया से अपील


इज़रायल-हमास युद्ध पर कांग्रेस की तीखी नोकझोंक

हमले के एक दिन बाद कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने हमास की कार्रवाई को “क्रूर” बताते हुए इसकी निंदा की थी, लेकिन कहा था कि पार्टी “फिलिस्तीन के लोगों की वैध आकांक्षाओं” में विश्वास करती है. हालांकि, रमेश ने “इज़रायली लोगों के वैध राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को सुनिश्चित करने” के बारे में भी बात की.

पार्टी नेताओं के एक वर्ग ने तब रमेश के बयान पर आपत्ति जताई और कहा कि यह इस मुद्दे पर कांग्रेस की ऐतिहासिक स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करता है.

अगले ही दिन कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के एक प्रस्ताव में “इज़रायल” शब्द का कोई उल्लेख नहीं मिला. इसके बजाय, इसने युद्ध पर दुख जताया और फिलिस्तीन के लोगों के अधिकारों के लिए पार्टी के समर्थन को दोहराया.

प्रस्ताव में कहा गया है: “सीडब्ल्यूसी मध्य पूर्व में छिड़े युद्ध पर अपनी निराशा और दुख व्यक्त करती है, जहां पिछले दो दिनों में एक हज़ार से अधिक लोग मारे गए हैं. सीडब्ल्यूसी फिलिस्तीन के लोगों के भूमि, स्व-शासन और गरिमा और सम्मान के साथ जीने के अधिकारों के अपने समर्थन को दोहराती है.”

हालांकि, 20 अक्टूबर को चल रहे युद्ध पर पार्टी के रुख में एक और सुधार हुआ. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने फिलिस्तीन के लोगों के लिए पार्टी के समर्थन को दोहराते हुए इज़रायल पर हमास के हमले की निंदा की.

इस लाइन को 30 अक्टूबर को सोनिया गांधी ने कायम रखा, जिन्होंने एक अखबार के कॉलम में लिखा कि पार्टी ने इज़रायल पर हमास के हमले की निंदा की, लेकिन गाज़ा में जवाबी इज़रायली हवाई हमलों की भी निंदा की. उन्होंने आगे लिखा कि इस मुद्दे पर कांग्रेस का रुख “दीर्घकालिक” और “सैद्धांतिक” था. सोनिया ने लिखा, “…यह इज़रायल के साथ शांति से सह-अस्तित्व में फिलिस्तीन के एक संप्रभु, स्वतंत्र, व्यवहार्य और सुरक्षित राज्य के लिए सीधी बातचीत का समर्थन करना है. 12 अक्टूबर, 2023 को विदेश मंत्रालय द्वारा भी यही रुख अपनाया गया है.”

इज़रायली अधिकारियों ने कहा है कि गाज़ा पर नियंत्रण रखने वाले हमास के 7 अक्टूबर के हमले में 1200 से अधिक लोग मारे गए, जबकि लगभग 240 लोगों को बंधक बना लिया गया.

हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, जवाबी कार्रवाई में तटीय पट्टी पर इज़रायल की बमबारी और ज़मीनी आक्रमण में 11,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें 4,000 से अधिक बच्चे भी शामिल हैं.

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: अफगान शरणार्थियों के निष्कासन में आतंक का समाधान ढूंढ रहा पाकिस्तान लेकिन स्थिति इससे और बदतर होगी


 

share & View comments