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Friday, 22 November, 2024
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राहुल गांधी को मनाने कांग्रेस के पांच सीएम पहुंचे, पार्टी अध्यक्ष पर सस्पेंस अब भी बरकरार

बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल और पुडुचेरी के वी. नारायणसामी शामिल हुए.

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नई दिल्ली: कांग्रेस शासित पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने यहां सोमवार को पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की और कहा कि वह लोकसभा चुनाव में पराजय की त्रासदी के मद्देनजर पार्टी को पुनर्गठित करने के लिए स्वतंत्र हैं. राहुल गांधी के साथ बैठक में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पंजाब के अमरिंदर सिंह, मध्य प्रदेश के कमलनाथ, छत्तीसगढ़ के भूपेश बघेल और पुडुचेरी के वी. नारायणसामी शामिल हुए. लेकिन राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष बने रहने को लेकर संशय अब भी बरकार है.

बैठक के बाद गहलोत ने मीडिया से कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि राहुल पार्टी के भविष्य के बारे में फैसला लेंगे.’
उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों की तरफ से कहा कि राहुल ने उनकी बातें ध्यान से सुनी.

कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों ने विश्वास व्यक्त करते हुए कि गांधी उनके अनुरोध पर एक ‘सकारात्मक’ निर्णय लेंगे, हालांकि, वे इस सवाल पर कि क्या उन्होंने बैठक के दौरान हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की तो टालमटोल करते नजर आए. उन्होंने कहा, ‘यह एक सौहार्दपूर्ण बैठक थी जो कम से कम 2 घंटे तक चली. हमने उनके (राहुल गांधी) पार्टी के प्रत्येक समर्थक, कार्यकर्ता या नेता जो भी सोच रहा हैं साझा किया. हमने उन्हें यह समझाने की कोशिश की कि चुनाव में जीत या हार होती है.

गहलोत ने कहा, ‘हम खुलकर बोले..उन्होंने हमें ध्यान से सुना. हमने उनसे कहा है कि वह पार्टी संगठन में लोगों को बदलने या पुनर्गठन के लिए स्वतंत्र हैं. हमें उम्मीद है कि वह फैसला लेंगे.’

उन्होंने अपने एक ट्वीट में कहा, ‘हम दृढ़ता से मानते हैं कि केवल वह ही पार्टी को वर्तमान परिदृश्य में आगे बढ़ा सकते हैं, हमारे देश और देशवासियों की भलाई के प्रति उनकी प्रतिबद्धता असमझौतावादी और बेजोड़ है.

गहलोत ने कहा कि 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की कार्यक्रम, नीति और विचारधारा की हार नहीं थी.

‘हालांकि, यह देखना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण था कि घटती अर्थव्यवस्था सहित विभिन्न मोर्चों पर मोदी सरकार की विफलता के बावजूद, बीजेपी ने भारी संसाधनों और सरकारी मशीनरी की मदद से अपने कट्टर राष्ट्रवाद के पीछे अपनी बड़ी विफलताओं को छिपाने का प्रबंधन किया. लेकिन, गहलोत ने कहा कि विरोध के बावजूद, यह कोई रहस्य नहीं है कि केवल कांग्रेस अध्यक्ष ने ही इसे मुद्दा आधारित चुनाव बनाने की पूरी कोशिश की और भाजपा को चुनौती दी.’

 

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