नई दिल्ली : संसद के विशेष सत्र में पेश किए महिला आरक्षण बिल का विपक्ष और सत्तापक्ष दोनों ने स्वागत किया है. हालांकि तमाम विपक्षी इस बिल में कोटे के अंदर कोटे की मांग कर रहै हैं. वहीं, कांग्रेस ने इसे जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किए जाने को लेकर सरकार की आलोचना की है और इसे जुमला करार दिया है.
कांग्रेस ने एक्स पर ट्वीट किया है, “महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझिए यह बिल आज पेश जरूर हुआ, लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता. ऐसा क्यों? क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा. आपको बता दें, 2021 में ही जनगणना होनी थी, जो कि आज तक नहीं हो पाई. आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी कोई जानकारी नहीं है. खबरों में कहीं 2027 तो 2028 की बात कही गई है. इस जनगणना के बाद ही परिसीमन या निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण होगा, तब जाकर महिला आरक्षण बिल लागू होगा. मतलब PM मोदी ने चुनाव से पहले एक और जुमला फेंका है और यह जुमला अब तक का सबसे बड़ा जुमला है. मोदी सरकार ने हमारे देश की महिलाओं के साथ विश्वासघात किया है, उनकी उम्मीदों को तोड़ा है.”
महिला आरक्षण बिल की क्रोनोलॉजी समझिए
यह बिल आज पेश जरुर हुआ लेकिन हमारे देश की महिलाओं को इसका फायदा जल्द मिलते नहीं दिखता।
ऐसा क्यों?
क्योंकि यह बिल जनगणना के बाद ही लागू होगा। आपको बता दें, 2021 में ही जनगणना होनी थी, जोकि आज तक नहीं हो पाई।
आगे यह जनगणना कब होगी इसकी भी…
— Congress (@INCIndia) September 19, 2023
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने महिला आरक्षण को लागू न किए जाने को मोदी सरकार की नीयत पर सवाल उठाया है. उन्होंने एक्स पर एक वीडियो संदेश के जरिए कहा, “महिला आरक्षण को लेकर मोदी जी की नीति और नीयत दोनों में खोट है. मोदी सरकार के महिला आरक्षण बिल में साफ लिखा है कि महिला आरक्षण, जनगणना और परिसीमन के बाद ही हो सकता है. मतलब 2029 से पहले महिला आरक्षण संभव नहीं है.”
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सपा, बसपा ने बिल में कोटे के अंदर की कोटे की मांग
समाजवादी पार्टी ने इसे चुनाव से ठीक पहले लाने और इसमें ओबोसी कोटा फिक्स न करने को लेकर सवाल उठाया है. सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, “सरकार को 9 साल पूरे हो गए हैं. अगर इन्हें महिला आरक्षण बिल लाना था तो ये पहले ला सकते थे. ये इसे आखिरी साल में ला रहे हैं, जब चुनाव हैं…सपा ने हमेशा इसका समर्थन किया है और हम सभी चाहते हैं कि OBC महिलाओं का भी इसमें आरक्षण निर्धारित हो क्योंकि जो आखिरी पंक्ति में खड़ी महिलाएं हैं उन्हें उनका हक मिलना चाहिए.”
समाजवादी पार्टी सांसद एस. टी. हसन ने कहा, “महिला आरक्षण बिल के हम समर्थन में हैं क्योंकि अभी नहीं पता कि इसमें SC/ST, OBC और मुस्लिम का आरक्षण है या नहीं. हम चाहते हैं कि इसमें भी इनका आरक्षण हो. हमारी मांग है कि यह बिल चुनाव आयोग के ऊपर न डाला जाए बल्कि पार्टियों को जरूरी किया जाए कि वे अपने हिसाब से अपने प्रतिनिधियों को टिकट दें.”
समाजवादी पार्टी के सांसद राम गोपाल यादव ने कहा, “महिला आरक्षण बिल पर हमारी हमेशा मांग रही है कि पिछड़े वर्ग की महिलाएं, उच्च जाति की पढ़ी-लिखी महिलाओं का सही तरीके से मुकाबला नहीं कर सकतीं. इसलिए उनके लिए कोटे के अंदर कोटा होना चाहिए. यह लोग (केंद्र सरकार) हमारी बात नहीं मानेंगे उसके बाद भी हम इसका (महिला आरक्षण बिल) समर्थन करेंगे. लेकिन हम अपना मुद्दा नहीं छोड़ेंगे.”
पूर्व कांग्रेस नेता और अब सपा से राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा, “कांग्रेस पार्टी का 2008 से यह (महिला आरक्षण बिल) मुद्दा रहा है. 2014 में भाजपा सरकार आई, हम हर वर्ष कहते थे महिला आरक्षण बिल कब लागू होगा. ये 10 साल भूल गए थे अब 2024 में चुनाव है और इन्हें इसकी याद आई है. जिस मुफ्त की रेवड़ी की यह बात कर रहे हैं ये वही कर रहे हैं… हम तो चाहते हैं कि महिला आरक्षण बिल लागू हो. 2014 में इन्होंने बिल पास क्यों नहीं किया? हम तो महिला आरक्षण बिल पास होने के पक्ष में थे…”
बसपा प्रमुख मायावाती ने कहा, “पुराने संसद भवन की विदाई हो चुकी है, जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता है. मुझे संसद के दोनों सदनों में जाने का मौका मिला जो मेरे लिए सौभाग्य की बात है. नए संसद की शुरुआत आज से की जा रही है, जिसका BSP दिल से स्वागत करती है और आज इस नए संसद भवन में महिला आरक्षण बिल पेश किया जाएगा जिसके पक्ष में BSP सहित कई पार्टियां अपना मत देंगी. BSP ने महिला आरक्षण बिल को हमेशा समर्थन दिया है इसके साथ-साथ यह भी कहा है कि महिलाओं को जो भी आरक्षण दिया जाता है उनमें से SC/ST/OBC वर्गों की महिलाओं का कोटा अलग से सुरक्षित करना चाहिए… अगर ऐसा नहीं हुआ तो इन वर्गों के साथ नाइंसाफी होगी… अगर ऐसा नहीं भी हुआ तब भी BSP पार्टी आज पेश होने वाले महिला आरक्षण बिल का समर्थन करेगी.”
महिलाओं के लिए दरवाजे तो खुले, लेकिन अभी भी ‘नो एंट्री’
महिला आरक्षण बिल पर शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “मैं उम्मीद करती हूं कि यह तुरंत लागू होगा लेकिन बिल में यह लिखा है कि यह परिसीमन के बाद ही लागू होगा. इसका यह मतलब हुआ कि यह आरक्षण 2029 तक लागू नहीं हो सकता. आपने दरवाजे तो खोल दिए हैं लेकिन दरवाजों पर महिलाओं के लिए अभी भी ‘नो एंट्री’ है.”
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा, “NDA की सरकार को 10 साल होने वाले हैं. अगर उन्होंने यह पहले ही किया होता तो 2024 के चुनाव में महिलाओं को बड़ी तादात में भाग लेने का मौका मिलता. लेकिन देर आए, दुरुस्त आए, अच्छी बात है… देश की तरक्की में यह एक अहम कदम होगा”
नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, “इसे (महिला आरक्षण बिल) आने दीजिए…हमने इसे स्थानीय निकायों में उस स्तर पर लागू किया है जो हमारे लिए उपयुक्त था. हमने इसे भारत सरकार से बहुत पहले, 5 अगस्त 2019 से बहुत पहले लागू कर दिया था.”
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ओवैसी ने कहा ओबीसी और मुस्लिमों को मिले कोटा
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, “इससे पहले भी जब ऐसा बिल पेश हुआ था तब हमारी पार्टी ने इसका विरोध किया था… इस बिल में सबसे बड़ी कमी ये है कि इसमें OBC और मुसलमान महिलाओं के लिए कोटा नहीं रखा गया इसलिए हम इसके खिलाफ हैं.”
बिल लागू न किए जाने पर वृंदा करात ने की सरकार की आलोचना
महिला आरक्षण बिल पर CPM नेता वृंदा करात ने कहा, “यह बिल सुनिश्चित करता है कि अगले परिसीमन अभ्यास तक महिलाएं चुनाव से वंचित रहें. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो 2024 के चुनावों और 18वीं लोकसभा के गठन तक संसद में 1/3 महिलाएं नहीं होंगी, कई विधानसभा चुनावों में 1/3 महिलाएं नहीं होंगी… क्या महिलाओं को मोदी सरकार द्वारा लाए गए इस बिल के लिए आभारी होना चाहिए? मैं कहूंगी कि बिल्कुल भी नहीं.”
सत्तापक्ष के नेताओं ने मोदी सरकार की जमकर तारीफ की
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, “यह बहुत ऐतिहासिक क्षण है. नई संसद में आज हमारा पहला दिन था… हम बहुत खुश हैं. नारी शक्ति का अभिनंदन…इस बिल पर सर्वसम्मति होती तो अच्छा होता.”
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा, “वर्षों से महिलाओं के इस राजनीतिक संघर्ष को अपना संकल्प बनाकर वो (पीएम मोदी) सिद्धि तक ले जाने वाले हैं. आज ‘नारी शक्ति वंदन’ बिल जो लोकसभा में पेश हुआ वो हमारी महिला शक्ति हमारे राष्ट्र की नेतृत्व शक्ति बने उसको परिभाषित करेगा.”
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा, “यह ऐतिहासिक दिन है और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है…नई संसद में महिलाओं को 33% आरक्षण देने वाला बिल पेश किया गया…इसका इंतजार इस देश की महिलाएं काफी समय से कर रही थीं.”
केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा, “हमारी सरकार महिला नेतृत्व विकास की बात करती है. सिर्फ महिलाओं का सशक्तrकरण हो यह हमारी सोच नहीं होनी चाहिए लेकिन महिलाएं आगे बढ़कर कैसे नेतृत्व कर देश के विकास में भागीदार बनें यह भी जरूरी है… महिलाएं निर्वाचित प्रतिनिधि के रूप में पहुंचें और देश हित में जो फैसले होते हैं, कानून बनते हैं, उन चर्चाओं में योगदान दें और अपना अनुभव साझा करें.”
लोक जनशक्ति पार्टी(राम विलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा, “सबसे पहले मैं देश की सभी महिलाओं को बधाई देता हूं. हम लंबे समय से इसकी उम्मीद लगाकर रखे हुए थे कि महिलाओं का अधिकार कब इस संसद में पारित होगा. इसमें लंबा समय लगा लेकिन हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर विश्वास था. मुझे खुशी है कि आज सशक्त रूप में ‘नारी शक्ति वंदना’ के रूप में इस बिल को प्रस्तुत किया गया है.”
अभिनेत्री कंगना रनौत ने कहा, “नए संसद भवन का पहला सत्र जो हुआ है वह महिला सशक्तीकरण एवं महिला उत्थान को समर्पित किया गया… प्रधानमंत्री आज किसी भी मुद्दे पर चर्चा कर सकते थे, लेकिन उन्होंने महिला को प्राथमिकता देते हुए महिला सशक्तीकरण का मुद्दा उठाया…”
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