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Sunday, 28 April, 2024
होमराजनीति'हमें और ज्यादा स्पष्टता चाहिए', RJD सांसद मनोज झा ने महिला आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे की बात की

‘हमें और ज्यादा स्पष्टता चाहिए’, RJD सांसद मनोज झा ने महिला आरक्षण में कोटे के अंदर कोटे की बात की

झा ने कहा कि महिला आरक्षण बिल अगर पेश किया जाता है तो उसमें कोटे के अंदर कोटा हो और एसी व एसटी की महिलाओं को रिजर्वेशन दिया जाए.

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नई दिल्ली : महिला आरक्षण विधेयक पर और अधिक जानकारी के लिए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा ने मंगलवार को कहा, “हम महिला आरक्षण बिल पर सरकार की ओर से और अधिक स्पष्टता चाहते हैं.” उन्होंने कहा एससी और एसटी जाति की महिलाओं को अलग से रिजर्वेशन दिया जाना चाहिए.

आरजेडी सांसद मनोज झा ने कहा, “अगर सरकार की मंशा महिला आरक्षण बिल को लेकर साफ है तो हम इस पर और स्पष्टता चाहते हैं. लालू जी (आरजेडी प्रमुख) के समय से ही हमारा मानना है, अगर आपका विचार महिलाओं के नेतृत्व से जुड़ा है.” उन्होंने कहा, “अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से जुड़ी महिलाओं के लिए आरक्षण को जरूरत है और अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग की महिलाओं के लिए भी. कोटे के अंदर कोटे की जरूरत है. अगर ये नहीं होता है तो हमें सामाजिक न्याय के लिए लड़ने की जरूरत पड़ेगी.”

उन्होंने कहा, “मैंने अभी तक विधेयक को पढ़ा नहीं है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना ठीक नहीं है. लेकिन अगर वे (केंद्रीय सरकार) विधेयक को पेश करते हैं, जो कि 2010 में लाया गया था, मैं उनसे गुजारिश करूंगा कि एससी और एसटी वर्ग की महिलाओं को शामिल करने के लिए नया प्रावाधान लाना चाहिए.”

सूत्रों ने कहा, ये बात तब हो रही है जब सोमवार को महिला आरक्षण विधेयक को मंजूरी दी है. केंद्रीय कैबिनेट की एक बैठक दिल्ली में संसद के एनेक्सी में हुई है.

महिला आरक्षण बिल में लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण की बात कही गई है.

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लैंगिक समानता और समावेशी शासन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होने के बावजूद, यह विधेयक बहुत लंबे समय से विधायी अधर में लटका हुआ है.

इससे पहले आज बीजेपी आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कांग्रेस द्वारा इस दावे पर तंज कसा कि वह महिला आरक्षण विधेयक की प्रमुख प्रस्तावक रही है.

एक्स पर एक पोस्ट में, जहां उन्होंने राहुल गांधी के 2018 के पोस्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त की, मालवीय ने कहा, “जब बिल पहली बार 1996 में (81वें संशोधन विधेयक के रूप में) पीएम एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा पेश किया गया था, तब कांग्रेस का बिना शर्त समर्थन कहां था? 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने इसे पेश किया, और फिर बाद में 1999, 2002 और फिर 2003 में? कांग्रेस कभी भी इस पर आगे नहीं बढ़ी…” उन्होंने कहा, ”2008 में, जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सत्ता में थी, डॉ. मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में विधेयक पेश किया, लेकिन इसे लोकसभा में कभी पेश नहीं किया… तब आपने सहयोगी दलों राजद, जदयू के सामने घुटने टेकने के अलावा क्या किया? और समाजवादी पार्टी, जिन्होंने इस कदम का पुरजोर विरोध किया? और आज आप लेक्चर दे रहे हैं और बिना शर्त समर्थन की पेशकश कर रहे हैं? हास्यास्पद.”

इससे पहले आज, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी बिल के बारे में बात करते हुए कहा, “इसके बारे में क्या? यह हमारा है. अपना है.”

केंद्रीय कैबिनेट द्वारा सोमवार को विधेयक के क्लीयर किए जाने पर उम्मीद है कि यह इस विशेष सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया जाएगा.

इस बीच, संसद का सत्र आज संसद के नये भवन में चल रहा है, इस पहले, इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नये संसद भवन का उद्घाटन किया था.

सोमवार को दोनों सदन संसदीय लोकतंत्र के 75 साल पूरे होने पर चर्चा के बाद स्थगित हो गए थे, पीठासीन अधिकारियों ने बताया था कि आगे की कार्यवाही मंगलवार दोपहर को नए संसद भवन में शुरू होगी.

पुराने संसद भवन के बारे में बोलते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को उल्लेख किया कि यह भारत की स्वतंत्रता से पहले शाही विधान परिषद के रूप में कार्य करता था और स्वतंत्रता के बाद इसे भारत की संसद के रूप में मान्यता दी गई थी.


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