चंडीगढ़: इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले दोनों दलों के केंद्रीय नेतृत्व के बीच सीट बंटवारे को लेकर जारी बातचीत के बीच पंजाब कांग्रेस ने राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार की “प्रतिशोध की राजनीति की पराकाष्ठा” के खिलाफ हमला बोला है.
पंजाब में मान सरकार के सबसे मुखर आलोचकों में से एक, राज्य के भोलाथ निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सुखपाल सिंह खैरा पर पिछले हफ्ते पंजाब पुलिस की तरफ से एक नया मामला दर्ज किए जाने के बाद कांग्रेस ने आप की निंदा की थी. मार्च 2022 में पंजाब में आप के सत्ता में आने के बाद से यह खैरा के खिलाफ पांचवीं एफआईआर — उनके खिलाफ लंबित एक अन्य मामले में एक गवाह को धमकी देने के आरोप में दर्ज की गई.
खैरा को पिछले साल 28 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था जब पुलिस ने उनके खिलाफ 2015 के ड्रग्स के मामले को दोबारा खोला और विधायक तब से जेल में हैं.
गुरुवार को दर्ज की गई नई एफआईआर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में उनकी ज़मानत के संबंध में आदेश सुनाए जाने से कुछ घंटे पहले आई, जहां खैरा को ड्रग्स के मामले में ज़मानत मिल गई, वहीं नए मामले में उन्हें तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पंजाब कांग्रेस प्रमुख अमरिंदर सिंह राजा वडिंग ने पंजाब पुलिस से सोमवार को यह स्पष्ट करने को कहा कि वे इस खुफिया इनपुट पर चुप क्यों बैठे हुए हैं कि “खैरा की जान को खतरा है”.
“DGPPunjabPolice यह स्पष्ट करने का आग्रह करें कि पुलिस गैंगस्टर अर्शदीप लांडा से विधायक सुखपाल खैरा की जान को होने वाले खतरे पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है, जिसे हाल ही में भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया है.”
वडिंग ने कहा, “हमें पता चला है कि एडीजीपी इंटेलिजेंस पिछले एक महीने से उपरोक्त खतरे से अवगत हैं, लेकिन पंजाब कांग्रेस के विधायक और उनकी जान की रक्षा के लिए भगवंत मान सरकार ने कोई ठोस उपाय नहीं किया है. अगर सुखपाल खैरा या उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई, तो हम सीएम और डीजीपी को जिम्मेदार ठहराएंगे.”
इससे पहले, गुरुवार को खैरा की दोबारा गिरफ्तारी के बाद वडिंग ने कहा था कि कांग्रेस विधायक को न्याय नहीं मिला है.
उन्होंने आरोप लगाया, “न्याय अस्वीकार! सुखपाल खैरा के खिलाफ हालिया एफआईआर इस बात का सबूत है कि पंजाब की आप सरकार प्रतिशोध की राजनीति कर रही है. उन्हें और परेशान करने के लिए ही एफआईआर दर्ज की गई है. यह बदलाव नहीं है…यह बदला है!”
खैरा की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य में विपक्ष के नेता, प्रताप सिंह बाजवा ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा: “यह पंजाब की आप सरकार की प्रतिशोध की राजनीति की पराकाष्ठा है. पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा कांग्रेस विधायक सुखपाल खैरा को ज़मानत दिए जाने के तुरंत बाद, सुभानपुर पुलिस ने उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 195ए और 506 के तहत फिर से मामला दर्ज कर दिया.”
बाजवा ने कहा: “खैरा एक साहसी और मुखर नेता हैं, जो अक्सर जनविरोधी नीतियों के लिए सीएम भगवंत मान की आलोचना करते रहते हैं. पूरे घिनौने प्रकरण से पता चलता है कि पंजाब में AAP सरकार कांग्रेस पार्टी से डर गई है. यह विपक्ष की उपस्थिति को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता है, जो बेहद निंदनीय है.”
खैरा के खिलाफ हालिया मामले के बारे में पूछे जाने पर पंजाब के लिए आप के मुख्य प्रवक्ता मलविंदर सिंह कंग ने दिप्रिंट को बताया कि “ऐसे मामलों में, कानून अपना काम कर रहा है”.
AAP और कांग्रेस केंद्र में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विरोध में विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA का हिस्सा हैं.
हालांकि, पंजाब कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी आलाकमान को स्पष्ट कर दिया है कि आम चुनाव के लिए AAP के साथ कोई भी गठबंधन राज्य इकाई के लिए आत्मघाती हो सकता है.
पिछले महीने, बाजवा, परगट सिंह और राजकुमार चब्बेवाल सहित पार्टी नेताओं ने आप के साथ किसी भी गठबंधन के खिलाफ सार्वजनिक बयान दिए थे.
2024 के चुनावों के लिए सोमवार को दिल्ली में AAP और कांग्रेस के बीच सीट-बंटवारे की बातचीत में मौजूद एक नेता के अनुसार इस दौरान, — मेथी पराठा, चिकन और हलवा और अन्य व्यंजनों का शानदार दोपहर का भोजन किया गया — बाजवा ने मीडिया को बताया कि पार्टी नेताओं को लोकसभा चुनाव के लिए पंजाब में अपने गठबंधन के बारे में सार्वजनिक रूप से बात नहीं करने को कहा गया है, लेकिन उन्होंने कहा कि पंजाब कांग्रेस की भावनाओं से आलाकमान को स्पष्ट रूप से अवगत करा दिया गया है.
यह भी पढ़ें: AAP पार्टी में अपनी राजनीतिक छवि बदल रहे मान: ‘इन-हाउस एंटरटेनर’ से लेकर वर्चुअल नंबर 2 तक
जांच के घेरे में कांग्रेस नेता
पंजाब में AAP के सत्ता में आने के बाद से 21 महीनों में एक पूर्व मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सहित एक दर्जन से अधिक कांग्रेस नेता राज्य सरकार द्वारा आदेशित जांच का सामना कर रहे हैं.
भ्रष्टाचार के आरोप में कांग्रेस के चार पूर्व कैबिनेट मंत्रियों को सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया है.
पिछले साल 9 जुलाई को पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री ओ.पी. सोनी को आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोप में सतर्कता ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था.
पूर्व सीएम चरणजीत सिंह चन्नी से भी ब्यूरो ने इसी तरह के आरोप में पूछताछ की है.
तीन अन्य पूर्व मंत्रियों — भारत भूषण आशु, साधु सिंह धर्मसोत और सुंदर शाम अरोड़ा को भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.
अन्य पूर्व मंत्री — बलबीर सिंह सिद्धू और गुरप्रीत कांगड़, जो दोनों पिछले साल भाजपा में शामिल हुए थे — आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के लिए सतर्कता जांच का सामना कर रहे हैं.
पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल, जो पिछले साल भाजपा में शामिल हुए थे, से भी ब्यूरो ने पूछताछ की है.
खैरा अपने खिलाफ पिछले साल 28 सितंबर को दर्ज मामले और पिछले हफ्ते दर्ज मामले के अलावा तीन अन्य मामलों का सामना कर रहे हैं.
पिछले साल जुलाई में उनके खिलाफ दर्ज एक मामला खैरा परिवार के 51 साल पहले के संपत्ति निपटान रिकॉर्ड से संबंधित है. भोलाथ के एसडीएम की शिकायत पर पिछले साल अप्रैल में उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि खैरा अपने सहयोगियों के साथ उनके कार्यालय में आए थे और उन्हें धमकी दी थी.
सितंबर 2022 में खैरा और वडिंग पर आईटी अधिनियम के उल्लंघन के लिए एक मामला दर्ज किया गया था.
आरटीआई कार्यकर्ता और जाने-माने आप आलोचक माणिक गोयल ने शनिवार को सोशल मीडिया पर बताया कि खैरा के खिलाफ नई एफआईआर 4 जनवरी को सुबह 2 बजे दर्ज की गई, जिस दिन उनकी ज़मानत याचिका पर सुनवाई होनी थी.
ताज़ा एफआईआर की एक प्रति जारी करते हुए गोयल ने कहा कि एफआईआर की सामग्री “अजीब” थी.
उन्होंने बताया कि खैरा के खिलाफ ड्रग मामले में गवाह कश्मीर सिंह की पत्नी ने आरोप लगाया था कि 15 अक्टूबर को अज्ञात व्यक्ति उनके घर आए थे और कश्मीर सिंह को अदालत में खैरा के खिलाफ गवाही नहीं देने के लिए कहा था.
उन्होंने लिखा, “सुखपाल खैरा को 28/09/23 को गिरफ्तार किया गया था, जो इस दावा की गई घटना से 17 दिन पहले है और एफआईआर 2.5 महीने बाद ज़मानत के दिन 04/01/24 को सुबह 2 बजे दर्ज की गई है. इसके अलावा, हलफनामे के अनुसार, कश्मीर सिंह ने 30/10/23 को धारा 164 के तहत बयान दिया. अगर बयान उस तारीख को दिया गया था, तो खैरा ने 15 दिन पहले कश्मीर सिंह की पत्नी या कश्मीर सिंह को कैसे धमकी दी होगी?”
(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: CM की सलाहकार समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति के एक साल बाद भी राघव चड्ढा एक्शन से गायब