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Thursday, 21 November, 2024
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CM, नहीं तो कुछ नहीं? कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के लिए डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया में टकराव जारी

शिवकुमार और सिद्धारमैया, दोनों ने राज्य में कांग्रेस की जीत का श्रेय लेने का दावा किया है, पार्टी आलाकमान से मिलने के लिए दोनों दिल्ली में मौजूद हैं. दोनों नेताओं ने सत्ता के बंटवारे के किसी भी प्रस्ताव से इनकार किया है.

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बेंगलुरु: कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार का पार्टी आलाकमान के साथ लगातार मुख्यमंत्री पद को लेकर बातचीत चल रही है. इस पूरे घटनाक्रम से जुड़े दो व्यक्तियों ने दिप्रिंट को जानकारी दी कि वह इस बात को लेकर काफी सख्त हैं कि या तो उन्हें सीएम बनाया जाए और वरना वह कोई भी पद नहीं लेंगे.

अपनी मांग पर अडिग रहते हुए, 61 साल के डीके शिवकुमार ने 10 मई के विधानसभा चुनावों में पार्टी को प्रचंड बहुमत दिलाने के अपने दावे के बाद सीएम पद के लिए प्रस्ताव रखा है.

शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की. खड़गे ने दोनों नेताओं से अलग-अलग भी मिले.

नाम न छापने की शर्त पर दोनों व्यक्तियों में से एक ने कहा, ‘शिवकुमार ने सीएम बनाने या उन्हें सरकार और कैबिनेट से बाहर रखने की मांग की है.’

शिवकुमार के करीबी इस शख्स ने कहा कि राज्य पार्टी प्रमुख ने सीएम पद नहीं दिए जाने पर विधायक पद से इस्तीफा देने की धमकी दी लेकिन कहा कि वह पार्टी कार्यकर्ता बने रहेंगे.

उनके मुताबिक खबर यह भी है कि डीके शिवकुमार के भाई, कांग्रेस सांसद डीके सुरेश ने भी हाईकमान के सामने इसी तरह के दावे किए हैं.

शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों दिल्ली में हैं और उनके खेमे के लोग दावा कर रहे हैं कि उनके नेता दौड़ में ‘आगे’ हैं. पार्टी द्वारा जीती गई 224 विधानसभा सीटों में से 135 के साथ, दोनों नेताओं ने जीत का श्रेय लेने का दावा किया है.

मंगलवार को दिल्ली में डीके शिवकुमार की खड़गे से मुलाकात के तुरंत बाद सिद्धारमैया ने भी उनसे मुलाकात की.

हालांकि, राज्य कांग्रेस ने चुनावों में लोकल मुद्दों पर ध्यान केंद्रित रखा था, यहां तक कि अपने राष्ट्रीय नेतृत्व को इस नजरिए के साथ चलने को राजी किया था.


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अब पार्टी ने दोबारा दिल्ली का रुख किया है, यह तय करने के लिए कि कर्नाटक का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.

हड़बड़ी में कोई फैसला नहीं

रविवार को, कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) ने चुनाव के बाद अपनी पहली बैठक में, अगले सीएलपी की नियुक्ति के लिए अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष को अधिकृत करते हुए सिंगल लाइन रिजॉल्यूशन पारित किया.

हालांकि, खड़गे अभी तक अपने दम पर निर्णय लेने में असमर्थ रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी मंगलवार शाम के बाद की वार्ता का हिस्सा थे.

घटनाक्रम से वाकिफ लोगों का कहना है कि शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों ने गतिरोध खत्म करने के लिए, सत्ता के बंटवारे के किसी भी प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

ऐसी भी खबरें थीं कि शिवकुमार ने खड़गे को सीएम का पद संभालने के लिए कहा था. हालांकि, दिप्रिंट स्वतंत्र रूप से इस दावे की पुष्टि नहीं कर सका.

सिद्धारमैया खेमे के एक सदस्य ने कहा कि कम से कम 90 विधायकों ने टॉप चेयर पर उनके दावे का समर्थन किया है.

शिवकुमार ने दिल्ली के लिए निकलने से पहले बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा था, ‘मैंने अपना फर्ज निभाया है. कांग्रेस पार्टी मेरी मां, मेरा मंदिर है. मेरे महासचिव ने मुझे अकेले आने को कहा है और मैं अकेले जा रहा हूं.’

पार्टी आलाकमान फैसला लेने में जल्दबाजी नहीं कर रहा है और दोनों दावेदारों में से किसी एक को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर विचार-विमर्श कर रहा है.

एक कांग्रेसी विधायक ने 13 मई को दिप्रिंट से कहा था, ‘हम इस मुद्दे को जल्दी से तय करेंगे क्योंकि हम जितना अधिक समय लेंगे, यह उतना ही अधिक खराब होगा.’

इस बीच, जी. परमेश्वर जैसे नेताओं ने कहा है कि अगर उन्हें पद की पेशकश की जाती है तो वे सीएम की जिम्मेदारी उठाएंगे. प्रभावशाली लिंगायत समुदाय के कई नेताओं ने भी इस पद के लिए विचार करने की मांग की है. कांग्रेस के कुछ विधायक पहले से ही कैबिनेट में जगह के लिए लॉबिंग शुरू कर दी है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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