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Saturday, 14 September, 2024
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मध्य प्रदेश में CM मोहन यादव ने सौंपे प्रभार, विजयवर्गीय और पटेल को मिले कम महत्वपूर्ण जिले

23 वरिष्ठ मंत्रियों को 2-2 जिलों का प्रभार दिया गया, जबकि 7 को 1-1 जिले का प्रभार दिया गया. यादव ने इंदौर को अपने पास रखा और अन्य महत्वपूर्ण जिलों को ज्योतिरादित्य सिंधिया के लोगों को सौंप दिया.

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नई दिल्ली: सत्ता संभालने के आठ महीने बाद, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने राज्य की आर्थिक शक्ति के इंजन इंदौर को अपने नियंत्रण में रखा है, जबकि कम महत्वपूर्ण जिलों को शक्तिशाली मंत्रियों कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल को सौंप दिया है.

विजयवर्गीय को सोमवार रात सतना और धार का प्रभार सौंपा गया, जबकि पटेल — जो मुख्यमंत्री पद के दावेदार और ओबीसी नेता हैं और जिन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी काम किया है — को भिंड और रीवा की जिम्मेदारी मिली.

खनन के लिए मशहूर सिंगरौली जिले को लोक स्वास्थ्य मंत्री संपतिया उइके को सौंपा गया. एमएसएमई मंत्री चेतन कश्यप को भोपाल का प्रभारी बनाया गया है, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी तुलसी सिलावट को ग्वालियर का प्रभारी बनाया गया है.

खास बात यह है कि केंद्रीय मंत्री अपने गढ़ों पर पकड़ बनाए रखने में कामयाब रहे. ग्वालियर की तरह शिवपुरी और गुना भी सिंधिया समर्थकों के खाते में गए.

मध्य प्रदेश के 31 मंत्रियों वाले मंत्रिमंडल में सात को एक-एक जिला सौंपा गया है, जबकि विजयवर्गीय, पटेल, सिलावट, जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ला, विजय शाह, राकेश सिंह समेत 23 वरिष्ठ मंत्रियों को दो-दो जिलों का प्रभारी मंत्री बनाया गया है.

यादव के डिप्टी जगदीश देवड़ा को जबलपुर और देवास का जिम्मा सौंपा गया है. जबलपुर पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह का गृह जिला है. दूसरे उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला को सागर और शहडोल की जिम्मेदारी मिली है.

कांग्रेस के दिग्गज नेता कमल नाथ के गृह जिले छिंदवाड़ा की जिम्मेदारी पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह को सौंपी गई है.

मुख्यमंत्री के गृह जिले उज्जैन की जिम्मेदारी राज्य मंत्री गौतम टेटवाल को दी गई है. शिवराज चौहान के कार्यकाल में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा मध्य प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी उज्जैन के प्रभारी थे. इसी तरह उस समय दूसरे सबसे महत्वपूर्ण मंत्री नरोत्तम मिश्रा इंदौर की गतिविधियों की देखरेख करते थे.

खनन क्षेत्र की ज़रूरतों के हिसाब से सिंगरौली का जिम्मा खनन मंत्री बृजेंद्र प्रताप सिंह के पास था. भोपाल का जिम्मा पहले चौहान के वफादार भूपेंद्र सिंह के पास था. इस बार यह जिम्मेदारी एमएसएमई मंत्री चेतन कश्यप के पास है.
इंदौर मध्य प्रदेश की वित्तीय राजधानी और व्यापार केंद्र है, जहां विनिर्माण, ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल, सॉफ्टवेयर और टेक्सटाइल, कृषि उद्योग और सेवा क्षेत्र की छाप है. इसके अलावा, आईआईटी, आईआईएम और कई अन्य शैक्षणिक संस्थानों की मौजूदगी के कारण इंदौर एक शिक्षा केंद्र के रूप में विकसित हुआ है.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, शिवराज ने कभी खुद को जिले का प्रभारी नहीं बनाया, बल्कि गोपाल भार्गव जैसे वरिष्ठ नेताओं को इंदौर का प्रभारी बनाया.

भोपाल मुख्य रूप से राज्य की राजधानी और भाजपा का गढ़ होने के कारण महत्वपूर्ण है.

सिंगरौली एक और महत्वपूर्ण जिला है, क्योंकि यहां एनटीपीसी, कोल इंडिया, नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल), अडानी, हिंडाल्को और रिलायंस पावर जैसे बिजली संयंत्र और खदानें स्थित हैं.


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सिंधिया को सही जगह मिली अपनी जिम्मेदारी

जल संसाधन मंत्री सिलावट ने ग्वालियर को बरकरार रखा है, जो उन्होंने शिवराज कैबिनेट में भी संभाला था. आरएसएस की गतिविधियों के कारण दूसरा नागपुर कहलाने वाला ग्वालियर भाजपा की संस्थापक सदस्य विजया राजे सिंधिया का गृह जिला है.

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत को गुना और नरसिंहपुर, जबकि ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को शिवपुरी और पंढुर्ना की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

भाजपा के एक पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “जिले के मामलों को संभालने में सत्ता के विभाजन के कारण प्रभारी मंत्री की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है. न केवल हर तबादला, पोस्टिंग प्रभारी मंत्री के माध्यम से होती है, बल्कि जिले के कलेक्टर और एसपी भी मंत्री के प्रति जवाबदेह हो जाते हैं. प्रशासनिक शासन से लेकर विधायकों, सांसदों के साथ बैठक करने और पार्टी के चुनावी ग्राफ को संभालने की जिम्मेदारी तक, एक प्रभारी मंत्री एक तरह से मामलों को संभालने और हर गतिविधि का फैसला लेने में नियुक्त जिले के मुख्यमंत्री के रूप में काम करता है.”

भाजपा के मध्य प्रदेश सचिव रजनीश अग्रवाल ने सतना और धार में विजयवर्गीय की प्रतिनियुक्ति का बचाव करते हुए कहा कि इन प्रतिनियुक्तियों को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहा जाना चाहिए.

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “प्रभारियों को काम बांटने और जिलों के सुचारू संचालन के लिए बनाया गया है. इसे किसी व्यक्ति के लिए झटका या पदोन्नति के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.”

भाजपा के एक प्रदेश उपाध्यक्ष ने बताया कि विजयवर्गीय पहले भी महत्वपूर्ण जिलों के मामलों को संभाल चुके हैं. उन्होंने कहा, “जब विजयवर्गीय 2008-2013 की शिवराज चौहान सरकार में मंत्री थे, तब वे धार, झाबुआ और उज्जैन के प्रभारी थे. उन्होंने आदिवासी जिलों की जिम्मेदारी भी संभाली है, जो भाजपा के लिए महत्वपूर्ण हैं. इसीलिए उन्हें सतना और धार जबकि प्रहलाद पटेल को रीवा और भिंड की जिम्मेदारी सौंपी गई है.”

लेकिन चौहान के समय के एक पूर्व मंत्री ने माना कि इन जिम्मेदारियों से पता चलता है कि किस तरह वरिष्ठ नेताओं को दूर रखा गया.

पूर्व मंत्री ने कहा, “शिवराज ने गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, नरोत्तम मिश्रा, बृजेंद्र प्रताप, जगदीश देवड़ा को महत्वपूर्ण जिलों में रखा, जबकि विजयवर्गीय को कम महत्वपूर्ण जिले सौंपे. सीएम यादव भी कम महत्वपूर्ण जिलों में राजनीतिक दिग्गजों को रखने की शिवराज की रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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