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Saturday, 4 May, 2024
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CDS रावत के निधन के बाद BJP, AAP और कांग्रेस में सेना के जवानों के वोट पाने की होड़

आम आदमी पार्टी ने भारतीय सेना में कर्नल रह चुके अजय कोटियाल को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं, बीजेपी और कांग्रेस भी सीडीएस बिपिन रावत के सहारे सेना के जवानों का वोट पाने की कोशिश में जुट गई हैं.

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देहरादून: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 फरवरी को उत्तराखंड के श्रीनगर में एक चुनावी रैली को संबोधित किया. उन्होंने साल 2016 में पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर विपक्ष की ओर से उठाए गए सवाल की तीखी आलोचना की. मोदी ने कहा, ‘उन्होंने (विपक्ष) जनरल रावत को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाए जाने को लेकर भी सवाल उठाया था.’

रावत का जन्म उत्तराखंड में हुआ था. उन्हें जनवरी 2020 में सीडीएस बनाया गया था. पिछले साल दिसंबर में एक हेलिकॉप्टर दुर्घटना में उनका निधन हो गया था.

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब पीएम मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जनता का समर्थन पाने के लिए राष्ट्रवाद के मुद्दे को उठा रही है. उत्तराखंड में इसके लिए पहले से ही माहौल बना हुआ है.

उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए 14 फरवरी को वोट डाले जाएंगे. इसको देखते हुए कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) भी राष्ट्रवाद के मुद्दे को उछाल कर ज्यादा से ज्यादा फायदा लेना चाहती है. तीनों पार्टियां राज्य में पूर्व सीडीएस रावत के प्रति सहानुभूति दिखा रही हैं.

आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोटियाल को सीएम उम्मीदवार घोषित किया है. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत ने सीडीएस बिपिन रावत, स्वर्गीय जनरल बीसी जोशी और राज्य के स्वतंत्रता सेनानियों की तस्वीरों को अपने पार्टी ऑफिस और पार्टी नेताओं के ऑफिस में लगाने की बात कही है. रावत ने इन्हें ‘उत्तराखंड का गौरव’ कहा है.

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स्टेट सैनिक वेलफेयर डायरेक्टरेट की रिकॉर्ड के मुताबिक राज्य में 3.5 लाख पूर्व सैनिक और सैनिकों की विधवा वोटर हैं. इसके साथ ही, करीब एक लाख वोटर सेना में हैं.

साल 2002 के बाद से उत्तराखंड में होने वाले चुनावों पर बारीकी से नजर रखने वाले राजनीतिक जानकार भागीरथ शर्मा कहते हैं, ‘राज्य के सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में सेना और पैरामिलिट्री की बड़ी संख्या है. चमोली और पौड़ी जिले के विधानसभा क्षेत्रों में ऐसे वोटर की संख्या अन्य जिलों से ज्यादा है. यही वजह है कि गुरुवार को श्रीनगर में भाषण के दौरान पीएम मोदी का पूरा फोकस सेना पर रहा.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने माना कि पूर्व सैनिक, सेना में सेवा देने वाले जवान और उनके परिवार के वोटर उत्तराखंड के चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे वोटर की संख्या करीब 12 फीसदी है. वे राज्य की 30 से 35 सीटों पर अपना प्रभाव रखते हैं.


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‘कांग्रेस और आप वोटर को लुभा रही हैं, जबकि बीजेपी के लिए सुरक्षा अहम’

बीजेपी नेता ने कहा कि उत्तराखंड की राजनीति में आम आदमी पार्टी के आने के बाद सेना के जवानों को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है.

बीजेपी नेता ने कहा, ‘आम आदमी पार्टी ने एक कर्नल को अपना सीएम उम्मीदवार बनाया है. वे पूर्व सैनिकों के वेलफेयर के लिए काम करने की बात कर रहे हैं. कांग्रेस भी अपने ऑफिस में सीडीएस रावत और शहीदों की फोटो लगाने की बात कर रही है. आप और कांग्रेस सिर्फ वोट के लिए उन्हें लुभाना चाह रही है. लेकिन, बीजेपी के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा और देश को सुरक्षित रखने वाले लोग बहुत महत्वपूर्ण हैं. लोगों को वास्तविक और बनावटी राष्ट्रवाद के बीच फर्क जानने की जरूरत है.’

पीएम मोदी ने श्रीनगर में दिए गए भाषण में ज़्यादातर समय सेना और पूर्व सीडीएस रावत के बारे में ही बात की.

मोदी ने कहा, ‘उत्तराखंड के लोग सेना के प्रति विपक्ष के व्यवहार को भूल नहीं सकते. इन लोगों ने सेना पर तब सवाल उठाए, जब हमारे हीरो ने छिपे आतंकियों पर सर्जिकल स्ट्राइक किया. दिल्ली में टेलीविजन पर कुछ नेताओं ने इसका प्रूफ मांगा. इन लोगों ने जनरल रावत को देश का पहला सीडीएस बनाए जाने पर राजनीति शुरू कर दी.’

वे आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो केजरीवाल और कांग्रेस के बयानों के मद्देनजर ये बात बोल रहे थे.

कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मोदी ने कहा, ‘आज कांग्रेस पार्टी जनरल रावत का बैनर और पोस्टर का इस्तेमाल करके वोट मांग रही है. कोई इतना नीचे गिर सकता है मुझे विश्वास नहीं होता.’

रावत की नियुक्ति को कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने गलत परंपरा की शुरुआत बताया था.

मोदी ने शुक्रवार को अल्मोरा में भी राष्ट्रवाद के सहारे वोटर से जुड़ने की कोशिश की. उन्होंने कहा, ‘उत्तराखंड के लोग सही मायने में राष्ट्रभक्त हैं. वे सीमा पर और देश के दूसरे हिस्सों में अपनी जान दे रहे हैं. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनके गांवों के विकास के लिए कभी भी प्रयास नहीं किया. हमारी सरकार सीमा के क्षेत्रों में पुनर्वास के लिए स्पेशल पैकेज लेकर आई है. उन्होंने सीमा पर बसे गांवों को विकसित करने के लिए लाई गई योजना पर्वत माला प्रोजेक्ट का भी जिक्र किया.

पीएम मोदी के भाषण के अलावा भी बीजेपी ने सेना के जवानों और उनके परिवारों के लिए कई वादें किए हैं. बीजेपी के घोषणा पत्र में जनरल रावत के नाम पर शुरू की जाने वाली पुनर्वास योजना का जिक्र भी है. पार्टी, पूर्व सैनिकों को सीमा क्षेत्र में बसाने के लिए भी पैकेज लाने का वादा कर रही है.


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आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के बीच होड़

आम आदमी पार्टी ने चुनावी घोषणा पत्र में सेना के जवानों को ध्यान में रखा है. पार्टी ने अपने ‘विजन डॉक्यूमेंट’ में सीमा पर शहीद होने वाले जवानों को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देने का वादा किया है. साथ ही, इस डॉक्यूमेंट में समय से पहले रिटायर्ड होने वाले सेना के जवानों को सरकारी नौकरी देने का जिक्र भी है.

आम आदमी पार्टी ने सेना में भर्ती के लिए जनरल बिपिन रावत आर्म्ड फोर्सेज प्रिपरेटरी इंस्टीट्यूट बनाने का वादा भी किया है.

एक वीडियो मैसेज में केजरीवाल ने कहा, ‘उत्तराखंड देशभक्तों की भूमि है. आपने अपनी जान की कीमत पर देश की सेवा की है. एक रिटायर्ड जवान देशभक्त, कठिन परिश्रम करने वाला और अनुशासित होता है. हमारी सरकार बनने पर भूतपूर्व सैनिकों को सरकारी नौकरी दी जाएगी. हम राज्य के विकास में उनकी भूमिका पक्की करना चाहते हैं. हम राज्य के शहीद होने वाले सैनिक और पुलिस के जवानों के परिवारों को एक करोड़ रुपये की सहायता राशि देंगे.’

कांग्रेस ने दिसंबर में अपने चुनावी कैंपेन की शुरुआत ‘सैनिक सम्मान यात्रा’ के साथ की थी. जिसमें जनरल रावत के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए थे. साथ ही, पार्टी उम्मीदवारों और अधिकारियों ने अपने ऑफिस में पूर्व जनरल की फोटो लगाए हैं.

कांग्रेस नेता राहुल गांधी चुनावी रैलियों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या का लगातार जिक्र करके शहीदों के परिवार से भावनात्मक जुड़ाव पाने की कोशिश करते दिख रहे हैं. वह दिखाना चाहते हैं कि उन्होंने भी शहीदों के परिवार की तरह ही दुख को झेला है.

प्रियंका गांधी की ओर से जारी चुनावी घोषणा पत्र में पार्टी ने पूर्व सैनिकों के परिवारों और शहीदों को आर्थिक सहायता देने का वादा किया है.


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बिपिन रावत के निधन का असर

यह पूछे जाने पर कि उत्तराखंड के चुनावी कैंपेन में सेना और राष्ट्रवाद की भावना पर इतना जोर क्यों दिया जा रहा है? कांग्रेस नेता जोत सिंह बिष्ट इसके लिए बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते हैं जिन्होंने चुनाव में सैनिकों को लुभाने की राजनीति शुरू की है.

उन्होंने कहा, ‘बीजेपी नेता उत्तराखंड में गलत तरीके से सेना के जवानों का फायदा ले रही है जिनमें ज्यादातर हिंदू हैं और राष्ट्रवाद की भावना से ओत-प्रोत हैं.’

बिष्ट ने कहा, ‘कांग्रेस सिर्फ उनके कल्याण और उनके परिवारों और बच्चों के लिए योजनाओं के बारे में बात कर रही है. इसमें कोई शक नहीं है कि इस चुनाव में रक्षा क्षेत्र से जुड़े वोटर की राजनीति चरम पर पहुंच गई है, क्योंकि उनकी बड़ी संख्या राज्य की कई सीटों पर प्रभाव डालती है.’

पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता त्रिवेंद्र सिंह रावत, बिष्ट के इन आरोपों को खारिज करते हैं. वह दावा करते हैं कि राज्य में पीएम मोदी के चुनावी कैंपेन की वजह से कांग्रेस घबरा गई है.

रावत ने कहा, ‘कांग्रेस पार्टी इस हकीकत को स्वीकार नहीं कर पा रही है कि रक्षा क्षेत्र से आने वाले वोटर, केंद्र सरकार और 2022 के चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादों से प्रभावित हैं. बीजेपी, सैनिकों और पूर्व-सैनिकों का पुनर्वास करके जनरल बिपिन रावत और शहीदों को सम्मान देना चाहती है.’

आम आदमी पार्टी, इस साल होने चुनावों में सैनिकों और पूर्व सैनिकों के मुद्दे को लाने का क्रेडिट लेती दिख रही है.

आम आदमी पार्टी नेता और चुनावी रणनीतिकार दिव्यांशु शर्मा ने कहा, ‘जब आम आदमी पार्टी ने कर्नल अजय कोटियाल को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया, तो बीजेपी और कांग्रेस को भी इसी लाइन आना पड़ा.’

वह कहते हैं कि उन्होंने ही उत्तराखंड के लोगों और सैनिकों की बुनियादी जरूरतों को उठाया. बीजेपी और कांग्रेस, दोनों पार्टियों को यह बात समझ में आ गई है कि पूरे राज्य में हमारे सीएम कैंडिडेट को लोगों का प्यार मिल रहा है.

उत्तराखंड के राजनीतिक जानकार और विश्लेषक, इस चुनाव में सैन्य मामलों को अप्रत्याशित महत्व मिलने की वजह सीडीएस रावत के निधन को मानते हैं.

देहरादून के वरिष्ठ चुनावी विश्लेषक जय सिंह रावत ने कहा, ‘उत्तराखंड में पांचवी बार चुनाव हो रहा है लेकिन पिछले चार चुनावों में सैन्य मामलों को इतना महत्व नहीं मिला जितना इस बार मिल रहा है. यह सीडीएस रावत के निधन के बाद का असर है. कांग्रेस और बीजेपी, दोनों बड़ी पार्टियां जनरल बिपिन रावत के नाम और पहचान के इस्तेमाल के मौके को चूकना नहीं चाहती है.’

उन्होंने कहा, ‘ऐसा इसलिए है, क्योंकि कमोबेश राज्य के विधानसभा क्षेत्र में सेना के जवानों, पैरामिलिट्री, केंद्रीय सुरक्षा बल और पुलिस के जवानों की अच्छी-खासी संख्या है. बीजेपी इस स्थिति को अपने पक्ष में मानती है, क्योंकि ये जवान राष्ट्रवादी ही होते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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