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Sunday, 5 May, 2024
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चौथी बार मन की नहीं कर पा रहे शिवराज, सिंधिया और हाईकमान की पसंद के बीच उलझे

मध्यप्रदेश कैबिनेट विस्तार के लिए दिल्ली में रविवार और सोमवार को बैठकों का दौर चलता रहा. लेकिन मंगलवार सुबह सीएम चौहान खाली हाथ ही भोपाल लौट गए. राज्य में उपमुख्यमंत्री बनाने और नहीं बनाने को लेकर भी पेंच उलझा हुआ है.

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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार ने मंगलवार को 100 सौ दिन पूरे कर लिए है. लेकिन कैबिनेट विस्तार का मामला उलझता ही जा रहा है. राज्य की सत्ता पर चौथी बार काबिज हुए शिवराज सिंह अपनी कैबिनेट गठन में असहाय नजर आ रहे है. पार्टी हाईकमान ने चौहान को साफ निर्देश दिया है कि पार्टी संगठन के गाइडलाइन के हिसाब से सभी से समन्वय करते हुए मंत्रिमंडल बनाया जाए. पुरानों की जगह नए चेहरों को तरजीह दी जाए. इसके अलावा सिंधिया के खेमे की पसंद का भी ध्यान रखा जाए.

रविवार और सोमवार को केंद्रीय नेतृत्व से शिवराज की मुलाकात के बाद भी कैबिनेट में शामिल होने वाले नामों पर अब तक सहमति नहीं बन सकी है. मंगलवार सुबह सीएम शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत राजधानी भोपाल लौट गए है. वहीं, राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया का भी भोपाल जाना कैंसिल हो गया है.

इधर, मध्यप्रदेश के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रही उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल का कार्यक्रम भी टल गया है. राजभवन के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि ‘ प्रभारी राज्यपाल मंगलवार को भोपाल नहीं आ रही हैं. बुधवार को दोपहर तीन बजे तक वे मध्यप्रदेश आएंगी.’

मंत्रिमंडल के उठापटक बीच प्रदेश के गृह और स्वास्थ्यमंत्री डॉ.नरोत्तम मिश्रा भी सोमवार सुबह अचानक दिल्ली पहुंच गए. मिश्रा की तीनों नेताओं के साथ कोई भी बैठक या चर्चा नहीं हुई.

उप-मुख्यमंत्री को भी लेकर फंसा पेंच

दिप्रिंट को विश्वस्त सूत्र ने बताया कि ‘केंद्रीय नेतृत्व कई पुराने नेताओं को कैबिनेट में नहीं दोहराना चाहता है. पार्टी संगठन नए चेहरों को शामिल करने पर जोर दिया है. लेकिन सीएम चौहान चाहते हैं यह ​फैसला बाद में लिया जाए. वहीं एक मसला उपमुख्यमंत्री बनाने और नहीं बनाने को लेकर भी उलझा हुआ है.अगर सबकुछ चीजे ठीक रहती है तो आगामी एक या दो दिन में विस्तार की पूरी संभावना है.’

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सूत्र के कहा कि, ‘कमलनाथ सरकार गिराने और भाजपा सरकार बनाने के दौरान ही सिंधिया कोटे से कितने मंत्री होंगे यह पहले ही तय हो गया था. पार्टी हाईकमान भी इसमें कोई छेड़छाड़ नहीं चाहता है. ऐसी स्थिति में शिवराज के कई पुराने और भरोसेमंद चेहरों की बाहर होने की पूरी संभावना है.’

भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष रामेश्वर शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘अभी हमारा पूरा फोकस कोरोना से लड़ाई को लेकर है, जो समस्या है उसे हल करने को लेकर है. कैबिनेट विस्तार में कोई देरी नहीं है. मंत्रिमंडल आज बनाएं, कल बनाएं. हमारी तैयारी पूरी है.’

कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे जीतू पटवारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘प्रदेश के मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार होता है कि राज्य में मंत्रिमंडल का गठन करना. भाजपा को सौ दिन सरकार को बनाए हुए है. एक पंगु मुख्यमंत्री एक दरवाजे से दूसरे दरवाजे और दूसरे दरवाजे से तीसरे दरवाजे और तीसरे से चौथे दरवाजे बस्ता लेकर घूमते रहे. लेकिन मंत्रिमंडल नहीं बनाया. प्रदेश का ​भविष्य अंधकार में है. उपमुख्यमंत्री के पद को लेकर हमें कोई जानकारी नहीं है.’

भाजपा प्रवक्ता नेहा बग्गा ने दिप्रिंट से कहा, कोरोना महामारी के कारण कुछ विलंब जरुर हुआ है. लेकिन सारी बातें विचाराधीन है. हमारा देश और प्रदेश का नेतृत्व इतना सक्षम है कि सभी पहलुओं को ध्यान में रख सभी से चर्चा कर इस पर फैसला जल्द होगा.

शाह, नड्डा के साथ चले शिवराज के बैठकों के दौर

मप्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महामंत्री सुहास भगत रविवार शाम को दिल्ली पहुंचे. सभी नेता रात 8 बजे पहले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के घर उनसे मिलने पहुंचे. इसके बाद सीएम चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री रात करीब 10 बजे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने पहुंचे. रात करीब साढ़े दस बजे सीएम चौहान केंद्रीय गृहमंत्री ​अमित शाह से मिलने उनके घर पहुंचे. कुछ ही देर बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री भी शाह के घर पहुंचे. रात करीब 12.30 बजे तक सभी नेताओं के बीच चर्चा चलती रही.


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सोमवार सुबह 11 बजे फिर शाह से ​चर्चा के लिए पहुंचे. इसके बाद चौहान ने सिंधिया से भी मुलाकात की. इसके बाद फिर सीएम चौहान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के घर पहुंचे. शाम चार बजे सीएम चौहान ने पीएम मोदी ने सात लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात की. इसके बाद ​वे फिर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलने कृषि भवन पहुंचे. रात करीब साढ़े आठ बजे शिवराज, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन मंत्री सुहास भगत भाजपा के केंद्रीय कार्यालय भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री से मिलने पहुंचे. यहां करीब एक घंटे सभी नेताओं में चर्चा हुई. मंगलवार सुबह तीनों नेता राजधानी भोपाल रवाना हो गए.​

25 मंत्री किए जा सकते है शामिल

दिप्रिंट को सूत्रों ने बताया कि राज्य के मंत्रिमंडल में करीब 25 मंत्रियों को शामिल किए जा सकते है. इनमें भाजपा के कोटे 15 और ​सिंधिया के 10 समर्थकों को मंत्री बनाया जा सकता है. सिंधिया समर्थकों को कौन सा विभाग दिया जाएगा इसका निर्णय हाईकमान के साथ बैठक में किया गया है.

राज्य विधानसभा में 230 सदस्यों की विधानसभा है. इस लिहाज से राज्य में 35 विधायकों को मंत्री बनाया जा सकता है. फिलहाल शिवराज सरकार में 5 मंत्री है. अभी 30 लोगों की जगह खाली है.

आपरेशन लोटस में भूमिका वालों को मिल सकती है जगह

इस मंत्रिमंडल विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले विधायक अरविंद सिंह भदौरिया,रामेश्वर शर्मा,विश्वास सारंग और ​संजय पाठक को मंत्रिमंडल में स्थान मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह,राजेंद्र शुक्ला, यशोधरा राजे सिंधिया को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है.


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इस मंत्रिमंडल विस्तार में सिंधिया कैंप के 9 लोगों को जगह दी जा सकती है. इनमें इमरती देवी, प्रद्युमन सिंह तोमर, महेंद्र सिंह सिसौदिया जैसे प्रमुख नाम शामिल है. ये लोग पूर्व कमलनाथ सरकार में भी मंत्री रह चुके है. इसके अलावा राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव, रणवीर सिंह जाटव और ऐंदल सिंह कसना को भी शामिल किया जा सकता है.

सिंधिया ने बिगाड़ा था कमलनाथ का खेल

मार्च में मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार उस समय संकट में आ गई थी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी थी और सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री भी बेंगलुरु चले गए थे. सिंधिया के भाजपा में शामिल होने के बाद राज्य की कांग्रेस सरकार पर संकट के बादल छा गए थे. इसके बाद भाजपा कमलनाथ सरकार के बहुमत साबित करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी. कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को आदेश दिया था कि राज्य सरकार 24 घंटे के अंदर फ्लोर टेस्ट करे.


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कोर्ट के आदेश के बाद स्पीकर ने सभी 16 विधायकों का इस्तीफा स्वीकार कर लिया था. वहीं, राज्य विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले ही कमलनाथ ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद मार्च में भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान राज्य के सीएम पर काबिज हुए थे.

मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 29 दिनों के बाद शिवराज ने अपनी कैबिनेट का विस्तार 21 अप्रैल को किया था. जिनमें पांच विधायकों को शामिल किया गया था. जिनमें भाजपा से नरोत्त​म मिश्रा, कमल पटेल, मीना सिंह और सिंधिया खेमे से तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह शामिल है.

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