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Sunday, 6 October, 2024
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नाली निर्माण के लिए इस्तेमाल हुई श्रीराम नाम की ईंटे अयोध्या की नहीं, विहिप का दावा

श्रीराम नाम की ईंटों से बन रहे नाले की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है और दावा किया जा रहा कि ये अयोध्या राम जन्मभूमि निर्माण स्थल से लाई गयी हैं.

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नई दिल्ली: श्रीराम नाम की ईंटों से बन रहे एक नाले की तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब धूम मचा रही हैं. फोटो के साथ यह दावा किया जा रहा है कि ये ईंटें अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि निर्माण स्थल से लाई गयी हैं.

लेकिन, विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप), एक संस्था जिसने अयोध्या में विवादित स्थान पर मंदिर बनाने की ज़िम्मेदारी ले रखी है, ने इन सभी दावों को सिरे से नकार दिया है.

सुरेंद्र जैन, विहिप के जॉइंट जनरल सेक्रटरी ने दिप्रिंट को बताया कि ऐसे किसी भी नाले के निर्माण के लिए अयोध्या से श्रीराम नाम की कोई ईंट नहीं गयी.

‘रामजन्मभूमि में जो ईंटें पड़ी हैं, वे अमूल्य हैं और आस्था से भरी हुई हैं. उनको इतनी आसानी से कहीं नहीं ले जाया सकता. बहुत कम ही ऐसा होता है जब इन ईंटों को अयोध्या से बाहर ले जाया जाए, लेकिन यहां से जाने के बाद इन ईंटों की पूजा होती है. कोई भी इन ईंटों को नाला निर्माण के लिए नहीं लेकर गया.’

सोशल मीडिया पर हज़ारों की तादात में लोगों ने इन तस्वीरों को शेयर किया. आस्था त्रिपाठी नाम की एक ट्विटर यूजर ने शुक्रवार को इन तस्वीरों को शेयर किया और इसके साथ ही एक भ्रामक कैप्शन भी दे डाला.

सिर्फ आस्था ही नहीं, उनके साथ-साथ कई लोगों ने इसी कैप्शन से इन तस्वीरों को शेयर किया.

इस तस्वीर को फेसबुक पर भी धड़ल्ले से शेयर किया गया. स्वाति रावत नाम की एक फेसबुक यूज़र ने भी शुक्रवार को इन तस्वीरों को शेयर किया. यह तस्वीरें इतनी वायरल हुईं की तीसरी जंग नाम के एक वेब पोर्टल ने इस पर लेख भी छाप दिया. लेख के अंत में यह डिस्क्लेमर भी दिया गया कि इस खबर के झूठा या सच्चा होने की उन्होंने पुष्टि तो नहीं की, लेकिन इसके बावजूद सोशल मीडिया की जनता इसे शेयर करने से न चूकी.

आपको बता दें कि जब 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस हुआ था तब देश में हिन्दू समुदाय के लोगों ने राम मंदिर के निर्माण के लिए ईंटें भिजवाई थीं, जिन पर श्रीराम लिखा हुआ था. तब से अब तक ये ईंटें वहीं हैं और विहिप के सेक्रेटरी जैन के अनुसार ‘धार्मिक’ और ‘अमूल्य’ हैं. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार मंदिर के निर्माण के लिए 50 प्रतिशत से भी ज़्यादा नक्काशियों का निर्माण हो चुका है.

 

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