नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की सियासी जमीं पर न केवल दिग्गज नेता ताल ठोक रहे हैं. वहीं इस बार फिल्मी परदे पर धूम मचाने वाले सितारे भी अपनी किस्मत आज़माने के लिए राज्य के सियासी मैदान में उतर चुके हैं. राजनीति के इस खेल में हेमा मालिनी, जया प्रदा, स्मृति ईरानी, राज बब्बर पहले ही परखे जा चुके हैं. इस बार भोजपुरी फिल्मों के सितारे रवि किशन और दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतर रहे हैं. अब देखना है कि इन फिल्मी सितारों में से जीत का सेहरा किस के सिर बंधता है.
सुनहरे पर्दे की ड्रीम गर्ल, मथुरा की गोपी – हेमा मालिनी
फिल्म अभिनेत्री और भाजपा नेता हेमा मालिनी दूसरी बार मथुरा से अपनी किस्मत आजमा रही है. पहली बार हेमा ने अभिनेता और पंजाब के गुरदासपुर से सांसद प्रत्याशी विनोद खन्ना के लिए प्रचार किया था. 2003 में हेमा मालिनी को उच्च सदन राज्यसभा के लिए नामित किया गया. 2004 में हेमा मालिनी ने भाजपा का दामन थामा. 2011 में वे पार्टी की महासचिव बनी. इसके बाद पार्टी ने स्टार प्रचारक का ज़िम्मा भी सौंपा. 2014 में हेमा मालिनी उत्तर प्रदेश के मथुरा से चुनावी मैदान में उतरी थी. वे आरएलडी के जयंत चौधरी को हराकर लोकसभा पहुंची. इस बार राज्य में महागठबंधन होने से उनकी राह कठिन नज़र आ रही है. हेमा पर आरोप भी लगते रहे हैं कि वे क्षेत्र में सक्रिय नहीं रहीं.
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तमिल की ललिता रानी, बॉलीवुड की सरगम गर्ल- जया प्रदा
कभी समाजवादी पार्टी के टिकट पर रामपुर से सांसद रही अभिनेत्री जया प्रदा इस चुनावी रण में भाजपा के साथ हैं. पार्टी ने उन्हें रामपुर से सपा के कद्दावर नेता आज़म खान के सामने मैदान में उतारा है. मुकाबला आज़म से सीधे होने की वजह से रोमांचक हो गया है. जया ने 1994 में अभिनेता एन.टी.रामाराव की तेलुगु देशम पार्टी में शामिल होकर अपने राजनीतिक करियर का शुरुआत की थी. इस पार्टी में उनका अनुभव खास नहीं रहा. वे पार्टी छोड़कर चंद्रबाबू नायडू की पार्टी में शामिल हो गईं. इसके बाद वे 1996 में आंध्र प्रदेश से राज्यसभा पहुंची.
चंद्रबाबू नायडू से विवाद के चलते उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया. इसके बाद 2004 में जया ने समाजवादी पार्टी ज्चाइन की. वे सपा के टिकट से रामपुर से दो बार सांसद रही.आज़म खान से विवाद के बाद उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया. 2014 के चुनाव में आरएलडी के उम्मीदवार के तौर पर बिजनौर से चुनाव लड़ीं, लेकिन जीत नहीं सकी.
देश की बड़ी बहू, अमेठी से राहुल गांधी की परेशानी- स्मृति ईरानी
छोटे पर्दे की बड़ी स्टार और देश की बहू के रूप में चर्चित स्मृति ईरानी जब से राजनीति में आईं हैं चर्चा में बनी हुई हैं. पिछले पांच वर्षों में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के साथ कई बड़े मंत्रालयों का नेतृत्व किया. वह इन वर्षों में राहुल गांधी पर शब्दों के वाण चलाने से लेकर संसद में कई बहसों में दमदार भाषण के लिए चर्चा में भी रहीं. इसबार भी वह कांग्रेस के पारंपरिक सीट अमेठी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में हैं. 2014 के चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को कड़ी टक्कर देकर चुनाव को रोचक बना दिया था. स्मृति ने 2003 में भाजपा के टिकट पर दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा सीट से कांग्रेस के कद्दावर नेता कपिल सिब्बल के खिलाफ मैदान में उतरीं. यहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
पार्टी ने उन्हें 2004 में महाराष्ट्र युवा ईकाई का उपाध्यक्ष बनाया. 2010 में भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष भी रहीं. इसके बाद 2011 में गुजरात से राज्यसभा सांसद चुनी गई. केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद ईरानी को मंत्री बनाया गया. 2019 में वे एक बार फिर अमेठी से ही राहुल गांधी के सामने हैं. अब देखना है कि जनता उन्हें इस बार मौका देती है या नहीं.
बॉलीवुड का हकला हीरो, सबसे बड़ा विलेन- राज बब्बर
अभिनेता और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर इस बार फतेहपुर सीकरी से किस्मत आज़मा रहे हैं. राज बब्बर 1994 में पहली बार समाजवादी पार्टी से राज्यसभा के लिए चुने गए. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के खिलाफ 1996 में लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्हें यहां हार का सामना करना पड़ा. बब्बर 1999 में आगरा सीट से लोकसभा सांसद चुने गए. इसके बाद 2004 में भी इसी सीट जीत हासिल की.
हालांकि 2006 में समाजवादी पार्टी ने उन्हें निकाल दिया. 2008 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा. 2009 के फिरोज़ाबाद सीट के उपचुनाव में अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को हरा दिया. राज बब्बर को 2014 में गाज़ियाबाद सीट से भाजपा के उम्मीदवार वीके सिंह के सामने हार का सामना करना पड़ा. राज बब्बर फिलहाल उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद है. वहीं 2016 से यूपी कांग्रेस अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी संभाल रहे है.
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भोजपुरी फिल्मों का अमिताभ बच्चन- रवि किशन
भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार रवि किशन भाजपा के टिकट से उत्तरप्रदेश की गोरखपुर सीट से अपना किस्मत आजमा रहे है. रवि किशन का सियासी सफर ज़्यादा लंबा नहीं रहा. 2014 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की. कांग्रेस की तरफ से जौनपुर सीट से चुनाव लड़ा और हार सामना करना पड़ा. इसके बाद 2017 में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए. रवि किशन का भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग की वजह से उनका गोरखपुर आना-जाना लगा रहता है. वहीं 2018 के गोरखपुर महोत्सव में स्टेज शो भी किया था. उस दौरान गोरखपुर उपचुनाव से चुनाव लड़ने का संकेत दिया था,लेकिन बाद में पार्टी ने उपेंद्र शुक्ल को मैदान में उतार दिया.
देहाती दुल्हा- दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’
भोजपुरी फिल्मों के अभिनेता दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ भी 2019 के लोकसभा चुनाव से अपनी सियासी पारी की शुरुआत करने जा रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर निरहुआ आज़मगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. कभी उप्र के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से ही यश भारती पुरस्कार प्राप्त कर चुके दिनेश लाल यादव अब उन्हें चुनौती दे रहे हैं. अब देखना है कि निरहुआ को जीत नसीब होती है या हार.
फिल्मी सितारों के खड़े होने की वजह से यह संसदीय क्षेत्र खबरों में ज़रूर बने हुए हैं. जो फिल्मी सितारे यहां से जीतेंगे क्या वह अपने क्षेत्र की जनता के बीच बने रहेंगे या गायब हो जाएंगे. यह बहस का विषय है. भारत में अभी तक जो सितारे चुनकर संसद पहुंचे हैं उनका जनता के बीच काम करने का रिकॉर्ड औसत ही रहा है.