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Saturday, 21 December, 2024
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भाजपा के प्रतिद्वंदी महाराष्ट्र में आये साथ, शिवाजी का नाम लेकर धर्मनिरपेक्षता को देंगे बढ़ावा

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नेताओं का दावा है कि मराठा राजा शिवाजी के मुसलमान विरोधी होने का दुष्प्रचार किया जा रहा है. एनडीए के शासन में बढ़ रहा सांप्रदायिक विवाद.

मुंबई: महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के खिलाफ़ राजनीतिक एकता के मुद्दे पर विपक्षी नेताओं और यहां तक कि सत्ताधारी दल के सहयोगी शिवसेना के सदस्यों ने बुधवार को मंच साझा किया और मराठा राजा शिवाजी का सदाबहार चुनावी कार्ड खेलते हुए एक सुर में कहा कि तत्कालीन एनडीए सरकार के अंतर्गत सांप्रदायिक विवाद बढ़ रहा है.

ये नेतागण वरिष्ठ उर्दू पत्रकार सईद हमीद द्वारा लिखित उर्दू पुस्तक छत्रपति शिवाजी महाराज और मुसलमान के लोकार्पण के लिए मुंबई के मराठी संरक्षक संघ में उपस्थित थे.

पुस्तक इस धारणा पर ज़ोर देती है कि मराठा राजा एवं योद्धा शिवाजी धर्मनिरपेक्ष थे और उन्होंने सांप्रदायिक सद्भाव को बढ़ावा देते हुए मुसलमानों को अपनी सेना और प्रशासन में प्रमुख पद सौंपे थे.

बुधवार की पुस्तक लॉन्च में कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल, समाजवादी पार्टी के अबू आज़मी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के जितेंद्र आव्हाड और नवाब मलिक और शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भाग लिया था.

नेताओं ने यह कहते हुए कि कुछ लोगों ने शिवाजी के मुस्लिम विरोधी होने का प्रचार किया था, उनकी धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा को आम आदमी तक पहुंचाने की आवश्यकता पर बल दिया.

हालांकि शिवसेना ने कांग्रेस, एनसीपी और अन्य राजनीतिक संगठनों से मिलकर बने विपक्षी गुट का समर्थन करने की बात नहीं की है लेकिन इस दल ने नरेंद्र मोदी सरकार का हिस्सा होने के बावजूद आलोचना का कोई मौका नहीं छोड़ा है.


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मराठा राजा शिवाजी का नाम एक ऐसा राजनीतिक कार्ड है जो सभी पार्टियां महाराष्ट्र के हर चुनाव से पहले खेलती हैं और 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने मिलकर इसे भुनाने में कोई कसर नहीं रख छोड़ी थी. इसके फलस्वरूप सहयोगी दलों, भाजपा और शिवसेना के बीच द्वेष बढ़ा है क्योंकि शिवसेना शिवाजी को अपना प्रतीक मानती है.

शिवाजी की सीख को भूलता समाज

सेना के मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक राउत ने ज़ोर देकर कहा कि शिवाजी कभी घृणा की राजनीति में शामिल नहीं थे.

उन्होंने कहा, “मैंने हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से करते सुना. लेकिन महाराज कभी नफरत की राजनीति में शामिल नहीं थे. ”

उन्होंने कहा, “आज देश का सामाजिक माहौल ऐसा है कि कोई भी महाराज की असली शिक्षाओं को प्रोत्साहन नहीं देगा. लोगों ने उन्हें अपने बीच बांट लिया है और और दुष्प्रचार फैलाया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज अपने हितसाधन के लिए मुसलमानों के खिलाफ थे.

सेना नेता ने पूर्व कांग्रेस मुख्यमंत्री एआर अंतुले की भी प्रशंसा की जो शिवाजी के असली प्रशासनिक कौशल को लोकप्रिय बनाने वाले पहले नेताओं में से एक थे.

इसके बदले में एनसीपी के आव्हाड ने शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के पिता केशव ठाकरे की प्रशंसा की जिन्होंने शिवाजी पर काफी कुछ लिखा है. उन्होंने कहा कि केशव ठाकरे के लेखन ने शिवाजी की विचारधारा को सटीक रूप से प्रतिबिंबित किया.

आव्हाड ने कहा, “कुछ राजनीतिक दल इस दुष्प्रचार पर ज़िंदा रहे हैं कि शिवाजी मुस्लिमों के खिलाफ थे.”


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एनसीपी नेता मलिक ने कहा कि दक्षिणपंथी राजनैतिक दल सांप्रदायिक सद्भाव और धर्मनिरपेक्षता के अर्थ को समझ नहीं पाते हैं. वे कहते हैं – “इसका मतलब यह नहीं है कि एक हिंदू को नमाज़ पढ़नी चाहिए या एक मुस्लिम आरती करे . इसका मतलब यह है कि हम एक दूसरे से अपनी खुशियां साझा करें.

मलिक ने कहा कि राउत ने हमीद की पुस्तक के मराठी अनुवाद को बिना किसी बदलाव के सामना में प्रकाशित करने का वादा किया था, इसके बावजूद कि इस पुस्तक में विनायक दामोदर सावरकर का भी ज़िक्र है जिन्होंने “हिंदुत्व” शब्द को प्रचलित किया और शिवाजी की विचारधारा को गलत तरीके से प्रस्तुत किया था.

शिवाजी पर लिखी गयी केवल दूसरी उर्दू पुस्तक.

पुस्तक के लोकार्पण समारोह में बोलते हुए लेखक हमीद ने कहा कि यह उर्दू प्रेस में प्रकाशित होने वाली शिवाजी पर केवल दूसरी पुस्तक थी. उन्होंने यह भी कहा कि कि मराठा राजा ने मुसलमानों को अपनी नौसेना और सेना में जगह तो दी ही थी, साथ ही साथ उन्हें अपने अंगरक्षकों के रूप में भी नियुक्त किया था.

उन्होंने कहा कि आम जनता मुख्यतः वही कहानियां सुनती है जिसमें शिवाजी को अफ़ज़ल खान या औरंगज़ेब जैसे मुस्लिम शासकों के विरोधी के रूप में दर्शाया जाता है. हमीद कहते हैं , “लेकिन हम भूल जाते हैं कि वे दरअसल राजनीतिक युद्ध थे. धर्म या विचारधारा से उनका कोई लेना देना नहीं था. ”

Read in English : https://theprint.in/politics/bjps-rivals-in-maharashtra-come-together-to-bolster-secularism-in-the-name-of-shivaji/125321/

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