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Monday, 20 May, 2024
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BJP MP नगरपालिका चुनावों में जीती लेकिन 4 प्रमुख मेयर की सीटें गंवाईं- 3 पर कांग्रेस, एक पर AAP का कब्जा

भाजपा नेताओं ने इसके लिए ‘आंतरिक कलह’ और चुनाव में ‘प्रबंधन के अभाव’ को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि यह अगले साल प्रस्तावित विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी के लिए एक वेक-अप कॉल है.

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नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश नगरपालिका चुनावों में कुल 133 स्थानीय निकायों में से कम से कम 105 पर जीत हासिल की है लेकिन उसे राज्य के चार महत्वपूर्ण मेयर पद गंवाने पड़े हैं.

इसमें से तीन मेयर पद विपक्षी दल कांग्रेस के खाते में आए हैं जबकि एक पर पहली बार चुनाव मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी (आप) ने कब्जा जमाया है.

निकाय चुनाव के पहले चरण में 11 नगर निगमों, 36 नगर परिषदों और 86 टाउन काउंसिल के लिए 6 जुलाई को मतदान के नतीजे रविवार को घोषित किए गए. दूसरे चरण में पांच नगर निगमों, 40 नगर परिषदों और 169 नगर परिषदों के लिए हुए चुनाव के नतीजे 20 जुलाई को घोषित किए जाएंगे.

पहले चरण में भाजपा ने सात मेयर पद जीते, लेकिन चार—ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा और सिंगरौली—मेयर पद उसके हाथ से निकल गए, जहां उसने 2015 में हुए पिछले स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान जीत हासिल की थी. पार्टी को केंद्रीय मंत्रियों ज्योतिरादित्य सिंधिया और नरेंद्र सिंह तोमर के गढ़ ग्वालियर में बड़े झटके का सामना करना पड़ा जहां इसने 57 सालों बाद मेयर का पद गंवाया, और इसी तरह जबलपुर में भी उसे हार का सामना करना पड़ा.

छिंदवाड़ा, ग्वालियर और जबलपुर में मेयर सीट कांग्रेस के खाते में आई जबकि सिंगरौली की मेयर सीट जीतकर आप ने सबको चौंका दिया. 2015 में भाजपा ने सभी 16 नगर निगमों में जीत हासिल की थी.

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हालांकि, सत्तारूढ़ दल ने स्थानीय निकाय चुनाव में पार्षदों के अधिकांश पदों पर जीत हासिल की है.

मध्य प्रदेश भाजपा महासचिव भगवान दास सबनानी ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमने पार्षदों के अधिकांश पदों पर जीत हासिल की है, लेकिन तीन मेयर पद कांग्रेस के हाथों गंवा दिए. कांग्रेस का शून्य से बढ़कर तीन पर पहुंचना कमलनाथ के लिए एक बूस्टर है, लेकिन हम आत्मनिरीक्षण करेंगे कि ग्वालियर और जबलपुर जैसे महत्वपूर्ण मेयर पद पर हमारी हार क्यों हुई.’

भाजपा सूत्रों ने ग्वालियर में हार का कारण कथित तौर पर सिंधिया और तोमर को चयन प्रक्रिया के दौरान अपने पसंदीदा उम्मीदवारों के लिए जोर देना बताया है.

इस बीच, असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) ने कांग्रेस प्रतिद्वंद्वी नूरजहां बेगम को 285 मतों के अंतर से हराकर खंडवा शहर में पार्षद पद जीतकर अपनी पहली चुनावी जीत दर्ज की है. एआईएमआईएम ने खंडवा में 50 में से 10 वार्डों में उम्मीदवार खड़े किए थे और ओवैसी ने इन चुनावों से पहले प्रचार भी किया था.

एआईएमआईएम ने बुरहानपुर में 10,000 वोट हासिल किए, जिससे भाजपा को फायदा हुआ क्योंकि इसकी वजह से वोट बंट गए और सत्तारूढ़ दल ने 534 वोटों के मामूली अंतर से जीत हासिल की. एआईएमआईएम ने जबलपुर वार्ड में भी अपना खाता खोला है.


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‘हमारी पार्टी के लिए वेक अप कॉल’

नगर निगम चुनाव में भाजपा ने भोपाल, इंदौर, खंडवा, बुरहानपुर, उज्जैन, सागर और सतना में जीत हासिल की है. छिंदवाड़ा में कांग्रेस को 18 साल बाद जीत हासिल हुई, वहीं ग्वालियर में उसकी मेयर उम्मीदवार शोभा सिकरवार ने 24,000 से अधिक मतों से जीत दर्ज की.

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि पार्टी को ‘चुनाव के दौरान अंतरूनी कलह और प्रबंधन के अभाव’ की कीमत चुकानी पड़ी. उन्होंने कहा, ‘हमने ग्वालियर और जबलपुर के दो प्रमुख नगर निगम गंवा दिए, और उज्जैन और बुरहानपुर में 700 और 300 मतों के मामूली अंतर से ही जीत हासिल की. ये पार्टी के लिए वेक-अप कॉल है. सवाल किसी व्यक्ति का नहीं बल्कि चुनाव के संगठनात्मक संचालन का है. केंद्रीय नेताओं द्वारा इसका मूल्यांकन किया जाना चाहिए और विधानसभा चुनाव से पहले इसका समाधान निकालना चाहिए.’

राज्य में विधानसभा चुनाव नवंबर 2023 में प्रस्तावित हैं.

पार्टी के एक अन्य नेता ने दिप्रिंट को बताया, ‘(2020) उपचुनावों में कांग्रेस अधिकांश सीटें हार गई थी. उपचुनाव में भाजपा (मुख्यमंत्री) शिवराज (सिंह चौहान) की लोकप्रियता पर जीती थी, लेकिन एक साल के भीतर हमने दो महत्वपूर्ण नगर निगमों को गंवा दिया. यह दर्शाता है कि कांग्रेस लाभ उठा रही है, वह कमजोर नहीं हुई है. कम से कम मध्य प्रदेश में तो नहीं ही हुई है.’

नेता ने आगे कहा, ‘इस चुनाव में हमारा अंतर घटा है. पहले हमें 3 लाख वोट मिलते थे लेकिन इस बार यह कम हो गया. एक और चिंता आप का उभरना है. इसने न सिर्फ सिंगरौली जीती बल्कि कई जगहों पर बड़ी संख्या में वोट हासिल किए हैं. हम सरकार में हैं, इसके बावजूद यदि हम स्थानीय निकाय चुनावों में हार रहे हैं, तो यह चिंता का विषय है, खासकर उन पार्टी नेताओं के मद्देनजर जो शिवराज की जगह लेने की कोशिश कर रहे हैं.’

हालांकि, पार्टी के अन्य नेताओं ने कहा कि अभी कोई राय बनाना सही नहीं होगा क्योंकि दूसरे चरण के नतीजे अभी घोषित नहीं हुए हैं.

आप ने चौंकाया

सिंगरौली में आप की मेयर प्रत्याशी रानी अग्रवाल ने भाजपा के चंद्र प्रकाश विश्वकर्मा और कांग्रेस के अरविंद चंदेल को 9,000 से अधिक मतों के अंतर से हराया है.

रानी अग्रवाल ने राज्य में 2018 का विधानसभा चुनाव लड़ा था और हार गई थी लेकिन उन्हें 32,500 वोट मिले थे. पूर्व में भाजपा से जुड़ी रहीं रानी बाद में आप में शामिल हो गई थीं.

भाजपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि सिंगरौली में प्रत्याशी चयन को लेकर समस्या थी, और विश्वकर्मा को मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले से ब्राह्मण नाराज थे, जिसके कारण वहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा. उन्होंने कहा, ‘यहां तक कि यहां खासा दबदबा रखने वाला साहू समुदाय भी विश्वकर्मा की उम्मीदवारी से खुश नहीं था.’

महापौर चुनाव में रानी अग्रवाल ने विश्वकर्मा को मिले 24,879 वोटों के मुकाबले 34,038 वोट हासिल किए. नतीजे घोषित होने के तुरंत बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर रानी अग्रवाल को बधाई दी.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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