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Thursday, 25 April, 2024
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भाजपा जम्मू कश्मीर में सरकार बनाने की नहीं करेगी पहल: राम माधव

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भाजपा के महासचिव राम माधव कहते हैं कि आरएसएस जैसे कुछ संगठनों का मानना है कि अनुच्छेद 35 ए संविधान में ‘अवैध रूप से’ डाला गया था.

नई दिल्ली: पार्टी के जनरल सेक्रेटरी और राज्य प्रभारी राम माधव ने दिप्रिंट को बताया है कि राज्यपाल शासन को “कुछ और समय” जारी रहना चाहिए और भाजपा जम्मू-कश्मीर में सरकार बनाने के लिए कोई पहल नहीं करेगी.

उनकी टिप्पणी ऐसे समय में आयी है जब पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने चेतावनी दी है कि अगर भाजपा उनकी पार्टी (पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीडीपी) को तोड़कर बाग़ी विधायकों की मदद से सरकार बनाने की कोशिश करती है तो उसके परिणाम राज्य के लिए घातक होंगे.

माधव ने एक साक्षात्कार में कहा, “हम अभी केवल यह चाहते हैं कि राज्यपाल शासन कुछ दिन और चले. साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनकी पार्टी जून में मुफ्ती की अगुवाई वाली पीडीपी-बीजेपी सरकार से “विशाल गवर्नेंस डेफिसिट ” के कारण निकली थी और घाटी में हालात सबसे बुरे थे.

“जम्मू में तो हमारे मंत्री इधर-उधर घूमते दिख जाते थे और शासन भी ठीक ठाक था. लेकिन घाटी में ऐसा नहीं था जो कई और समस्याओं का कारण बन रहा था, “उन्होंने कहा.

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माधव ने सरकार छोड़ने के दो और कारणों का हवाला दिया: राज्य प्रशासन और भाजपा में “बढ़ता हुआ भ्रष्टाचार” और निर्णय लेने की प्रक्रिया में “पूरी कैबिनेट” को नज़रअंदाज़ किया जाना.

“हमने इसमें सुधार करने की कोशिश की लेकिन हमें एहसास हुआ कि ऐसा संभव नहीं था. राज्यपाल के अंदर नए प्रशासन को इन सभी मामलों में सुधार करना चाहिए. हमें लगता है कि चीज़ों को सुधारने के लिए कुछ और समय की ज़रूरत है. ”

‘अन्य समीकरण’

माधव ने यह भी कहा कि मौजूदा विधानसभा के ढाई साल बचे हैं और यदि “कोई अन्य समूह” सरकार बनाने के लिए आगे आता है, तो “हम इसे आज़मा सकते हैं”.

हालाँकि भाजपा महासचिव ने पार्टी के पहल करने की संभावना से इंकार कर दिया: “हमारी तरफ से पहल नहीं.”


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माधव ने अक्टूबर और नवंबर में नगर पालिका और पंचायत चुनावों का बहिष्कार करने के लिए राष्ट्रीय सम्मेलन और पीडीपी नेतृत्व की आलोचना की. यह कहकर कि भाजपा ज़मीनी शासन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रतिबद्ध है, उन्होंने बताया कि पूरे देश में तीन-स्तर की संरचना है, लेकिन जम्मू-कश्मीर एकमात्र राज्य है जहां विधायक के नीचे कोई संस्थान नहीं है.

उन्होंने कहा, “इस तरह का बहिष्कार इन दोनों पार्टियों को खराब रौशनी में दिखाता है. वे ज़मीनी लोकतंत्र को विकसित करने में रूचि नहीं रखते हैं. आप ऐसी हालत में नेतृत्व कैसे तैयार कर सकते हैं? ”

“यह ज़मीनी यानी स्थानीय नेतृत्व को बढ़ने न देने का प्रयास है. इन दोनों पार्टियों पर कुछ विशेष परिवारों का नियंत्रण है. हम कश्मीर में राजनीति को लोकतांत्रिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं.”

संविधान में अवैध रूप से डाला गया अनुच्छेद 35 ए

माधव  ने कहा कि आरएसएस और उसके जैसे अन्य संगठन हैं जो मानते हैं कि संविधान में अनुच्छेद 35 ए “अवैध तरीके से” जोड़ा गया था.

उन्होंने कहा, “उनका यह नज़रिया है. अब हम सभी को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतज़ार करना है. ”
अनुच्छेद 35 ए जम्मू-कश्मीर विधायिका को राज्य के स्थायी निवासियों को परिभाषित करने और उन्हें नौकरियों, संपत्ति और अन्य मामलों में विशेषाधिकार देने की शक्ति प्रदान करता है.


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आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा कि संघ 1954 में संविधान में शामिल किये गए इस अनुच्छेद को नहीं मानता है. “अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35 ए नहीं रहने चाहिए … हम नहीं मानते हैं,” भागवत ने कहा था.
जहाँ सुप्रीम कोर्ट में इस मामले पर बहस चल रही है वहीँ कश्मीर में अनुच्छेद 35 ए को लेकर सरगर्मियों का माहौल तेज़ है और एनसी और पीडीपी दोनों ही किसी भी बदलाव का पुरज़ोर विरोध कर रहे हैं.

Read in English : BJP will not take initiative to form govt in Jammu & Kashmir, says Ram Madhav

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