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Monday, 18 November, 2024
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छत्तीसगढ़ में सर्वे से सतर्क हुई BJP, शाह ने कहा- आदिवासियों को साथ लाने के लिए बहुत कुछ करना होगा

गृहमंत्री ने चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए वरिष्ठ नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की. बस्तर और सरगुजा संभाग के नक्सली इलाकों में भाजपा की कोई मौजूदगी नहीं है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में भाजपा नेताओं से कहा कि वे आगामी चुनाव के लिए कमर कस लें क्योंकि एक आंतरिक सर्वेक्षण से पता चला है कि पार्टी राज्य में बहुमत हासिल करने से बहुत दूर है.

शाह ने भाजपा की चुनावी रणनीति पर चर्चा के लिए बुधवार रात वरिष्ठ नेताओं के साथ बंद कमरे में बैठक की थी.

“पार्टी अभी भी राज्य में पिछड़ रही है. बस्तर क्षेत्र और सरगुजा बेल्ट में आदिवासी सीटें वापस जीतने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है, खासकर जहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) का प्रभाव है,” शाह ने राज्य के नेताओं के साथ एक आंतरिक सर्वेक्षण रिपोर्ट साझा करते हुए यह बात कही. इस रिपोर्ट में बीजेपी की कई खामियों और राज्य में बीजेपी की रणनीति और कुछ कमजोर क्षेत्रों की पहचान की गई है. संयोग से, बस्तर के नक्सली इलाकों के साथ-साथ सरगुजा संभाग में भी भाजपा की कोई मौजूदगी नहीं है.

बैठक में भाग लेने वाले पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि शाह ने बताया कि वह छत्तीसगढ़ पर अधिक ध्यान देंगे जहां वह कमजोरियों को दूर करने के लिए अधिक समय बिताएंगे. भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “वह अपने द्वारा सौंपे गए कार्यों की प्रगति की निगरानी के लिए अगले सप्ताह राज्य का दौरा करेंगे.”

भाजपा पदाधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में से दो कांग्रेस के पास हैं और नवंबर में वहां चुनाव होने हैं. तीनों राज्यों में से बीजेपी को छत्तीसगढ़ सबसे मुश्किल लग रहा है. भाजपा को अभी भी राज्य में भूपेश बघेल की कल्याण योजना और हिंदुत्व के मुद्दे का मुकाबला करने के लिए पर्याप्त आधार नहीं मिल रहा है,”.

बावजूद इसके कि भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के नेतृत्व में 2003 से 2018 तक 15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ पर शासन किया.

आंतरिक सर्वेक्षण के निष्कर्षों के अनुसार, भाजपा पदाधिकारी ने कहा, “पार्टी की स्थिति अभी भी अस्थिर है और यह अभी भी राज्य में पिछड़ रही है और 29 आदिवासी सीटों पर पार्टी की ताकत को मजबूत करने की जरूरत है”.

2018 में, भाजपा ने छत्तीसगढ़ की 29 आरक्षित सीटों में से केवल 3 पर जीत हासिल की थी. उसके अगले साल पार्टी एक उपचुनाव में आरक्षित सीट दंतेवाड़ा से कांग्रेस से हार गई.

उन्होंने कहा कि शाह ने राज्य नेतृत्व को उन सीटों पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी जहां जीजीपी और मायावती के नेतृत्व वाली बसपा की मौजूदगी है क्योंकि यह विपक्षी वोटों को विभाजित करके भाजपा की संभावना को नुकसान पहुंचा सकता है.

गहन चर्चा के दौरान शाह ने भाजपा के कमजोर पक्षों की समस्याओं के बारे में जानने के साथ-साथ बघेल की लोकप्रियता के बारे में जानने के लिए हर क्षेत्र की प्रत्येक सीट का विश्लेषण किया.

बीजेपी कोर ग्रुप के एक सदस्य ने शाह को बताया कि आदिवासी इलाकों में नक्सली पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या कर रहे हैं.


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केंद्रीय गृहमंत्री ने भाजपा कोर समूह के सदस्य से कहा, “यह केवल हमारे कार्यकर्ताओं के बीच डर पैदा करने के लिए है. इसकी जांच होनी चाहिए. भाजपा की राज्य इकाई जो भी मांगेगी, हम सुनिश्चित करेंगे.’ आप मुझे बस्तर क्षेत्र के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों की सूची भेज सकते हैं; हम सुरक्षा प्रदान करेंगे. लेकिन विश्वास बहाली के लिए राज्य के नेताओं को उन गांवों का दौरा और प्रवास करना होगा. यदि आवश्यक हुआ, तो मैं आदिवासी क्षेत्रों में एक रात भी बिता सकता हूं,”

‘लड़ोगे तभी जीतोगे’

पार्टी नेताओं का मनोबल बढ़ाते हुए, शाह ने उनसे कहा: “आप तभी चुनाव जीतेंगे जब आप सड़कों पर लड़ेंगे. ‘लड़ोगे तभी जीतोगे’. एक समान रणनीति की जरूरत नहीं, स्थानीय मुद्दों पर लड़ाई लड़ो और सीएम की छवि से घबराने की जरूरत नहीं. राज्य के नेता स्थानीय रणनीति के माध्यम से उनकी छवि का मुकाबला कर सकते हैं और सरकार की छवि खराब करने के लिए उनके भ्रष्टाचार के मुद्दों पर उन पर हमला कर सकते हैं.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने दिप्रिंट को बताया कि बैठक मुख्य रूप से चुनाव जीतने की रणनीति की तैयारी पर केंद्रित रही. उन्होंने कहा, “शाह ने कई सुझाव दिए हैं जिन पर हम आने वाले दिनों में काम करेंगे. हमारी पार्टी कांग्रेस सरकार को हराने के लिए एकजुट है और हमारा लक्ष्य उन आदिवासी सीटों को वापस जीतना है जो हम 2018 में हार गए थे.”

छत्तीसगढ़ के भाजपा सह प्रभारी नितिन नवीन ने दिप्रिंट को बताया कि गृह मंत्री ने पार्टी नेताओं को भ्रष्टाचार और उसके अधूरे वादों पर सरकार से लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया. “उन्होंने चुनाव जीतने के लिए कुछ इनपुट दिए हैं. हम राज्य में जीत सुनिश्चित करने के लिए उन पर काम करेंगे.”

पार्टी मामलों की निराशाजनक स्थिति को देखते हुए, भाजपा आलाकमान ने वरिष्ठ नेता ओम माथुर को राज्य प्रभारी के रूप में नियुक्त किया. एक और चिंताजनक बात यह है कि प्रवर्तन निदेशालय की जांच के दायरे में कई सरकारी अधिकारियों के बावजूद, भ्रष्टाचार की कहानी को उछालने की भाजपा की कोशिशों को बड़ा समर्थन नहीं मिला है. इसके अलावा सीएम भूपेश बघेल ने राम गमन पथ और गौधन जैसी योजनाओं के जरिए बीजेपी के हिंदुत्व के हथकंडे को बेअसर कर दिया है.

एक भाजपा नेता ने तर्क दिया, “बघेल की ओबीसी राजनीति ने हमारे ओबीसी वोटों में सेंध लगाई है. हम आदिवासियों के जरिए उनकी इस रणनीति का मुकाबला करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन हमें यकीन नहीं है कि पार्टी आदिवासी क्षेत्र में कितनी सीटें जीतेगी. लेकिन शहरी क्षेत्रों में ऐसा नहीं है. चुनावी नैरेटिव सेट करने के लिए हमें उनकी कल्याणकारी छवि को तोड़ना होगा.”

बघेल कुर्मी समुदाय से आते हैं और कांग्रेस की पारंपरिक राजनीति के विपरीत, उन्होंने पिछड़ों की राजनीति पर ध्यान केंद्रित किया है और खुद को कांग्रेस पार्टी के ओबीसी चेहरे के रूप में स्थापित किया है. जहां छत्तीसगढ़ की आबादी में ओबीसी की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है, वहीं आदिवासियों की आबादी 32 प्रतिशत है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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