चंडीगढ़ : बीजेपी के जमीनी सिपाही ‘पन्ना प्रमुख’ हरियाणा में मूल रणनीति के हिस्सा हैं जिनके जरिए पार्टी लोकसभा चुनाव के परिणाम को इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में दोहराना चाहती है. लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने हरियाणा की सभी 10 सीटें जीत कर क्लीन स्वीप किया था.
हालांकि राज्य में आम चुनावों में भाजपा की सफलता को गैर-जाट ध्रुवीकरण के रूप में देखा गया, लेकिन चुनाव के आंकड़ों पर करीबी से नजर डालने से पता चलता है कि जाट मतदाताओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा – जो भारतीय राष्ट्रीय लोक दल के प्रति निष्ठा रखते हैं – भाजपा के लिए वोट किया है.
लोकसभा चुनाव में कम से कम आईएनएलडी का 13 फीसदी वोट शेयर भाजपा को गया. इस लोकसभा चुनाव में 2014 के आईएनएलडी का वोट शेयर 24.43 में से 1.89 फीसदी खिसका है.
यह भी पढ़ेंः हरियाणा विधानसभा चुनाव: खट्टर का दो-तिहाई बहुमत लाने का दावा कितना सही?
भाजपा नेताओं का मानना है कि पन्ना प्रमुखों ने जमीनी स्तर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपलब्धियों को ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसलिए, पार्टी ने उनकी संख्या को 50 प्रतिशत बढ़ाकर 3 लाख करने का फैसला किया है, जो विधानसभा चुनाव के लिए काम करेंगे. लोकसभा चुनावों में मतदाताओं को माइक्रो-मैनेजमेंट करने के लिए भाजपा द्वारा 2 लाख पन्ना प्रमुखों को लगाया गया था.
राज्य भाजपा प्रमुख सुभाष बराला ने कहा, ‘लोकसभा चुनाव के दौरान अपने प्रयोग की सफलता के बाद, हमने विधानसभा चुनाव में भी पन्ना प्रमुख का उपयोग करने का फैसला किया है.’
पन्ना-प्रमुखों की भूमिका के बारे में बताते हुए, बराला ने कहा: ‘पन्ना का अर्थ मतदाता सूची का एक पृष्ठ है. इसमें 60 मतदाता होते हैं – पृष्ठ के प्रत्येक पेज पर 30 होते हैं. ये लगभग 10 से 15 परिवारों में तब्दील हो जाते हैं. एक पन्ना प्रमुख इन 60 मतदाताओं (पृष्ठ पर सूचीबद्ध) और इन परिवारों पर काम करने के लिए तय होगा, खासकर उन क्षेत्रों में जहां भाजपा को कम वोट मिले हैं (लोकसभा चुनाव में).’
पन्ना-प्रमुखों की हो रही है समीक्षा
बराला ने कहा कि इस सप्ताह, भाजपा ने अपने दो लाख पन्ना प्रमुखों के मौजूदा कैडर को आंकना शुरू किया है. ‘जिन लोगों ने लोकसभा चुनावों में अच्छे परिणाम लाए हैं, उन्हें बरकरार रखा जाएगा और अगर इसमें कोई बदलाव की जूरूरत हुई, तो यह किया जाएगा. बराला ने कहा कि पन्ना प्रमुखों को भी इसमें लिया जाएगा. पन्ना प्रमुखों को और ज्यादा संख्या में शामिल किया जाएगा.
पार्टी के वरिष्ठ नेता बड़ी इकाइयों के प्रभारी बनाये गए हैं. ‘पार्टी के हर वरिष्ठ नेता को दो से तीन निर्वाचन क्षेत्रों का प्रभार दिया गया है. हरियाणा में 90 विधानसभा क्षेत्रों को 290 मंडलों में बांटा गया है और प्रत्येक का नेतृत्व विशेष रूप से नियुक्त किये गये मंडल अध्यक्ष द्वारा किया जाता है.
सभी मंडल में 10-12 शक्ति केंद्र होते हैं, एक छोटी ईकाई जो स्थानीय स्तर पर नेतृत्व करती है. एक शक्ति केंद्र 5-6 बूथों का समूह होता है. एक बूथ पर औसतन 1,500 मतदाता होते हैं.
प्रत्येक बूथ के मतदाताओं पर औसतन 25 पन्ना-प्रमुख काम करते हैं. प्रचार के अलावा, इन पन्ना प्रमुखों को पार्टी की बैठकें आयोजित करने और मतदाता सूचियों को अपडेट करने जैसी अन्य जिम्मेदारियां दी जाती हैं.
यह भी पढ़ेंः हरियाणा में देवीलाल का रिकार्ड तोड़ने का लक्ष्य लेकर चुनाव में उतरेगी बीजेपी
बीजेपी ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, पार्टी अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में पिछले महीने विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियों की शुरुआत की थी.
खट्टर ने 90 विधानसभा सीटों में से 75 जीतने के उद्देश्य से ‘मिशन-75’ भी लॉन्च किया है. 2014 के विधानसभा चुनावों में, भाजपा ने 47 सीटें जीती थीं और उसे 33 प्रतिशत से अधिक वोट शेयर मिला था. भाजपा की 2014 की जीत ऐतिहासिक थी क्योंकि पार्टी ने 2009 के विधानसभा चुनावों में केवल चार सीटें हासिल करने में कामयाबी हासिल की थी और राज्य में कभी भी स्वतंत्र रूप से सरकार नहीं बनाई थी.
6 जुलाई को, पार्टी ने राज्य में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवराज चौहान के संबोधन के साथ अपना सदस्यता अभियान ‘संगठन पर्व’ शुरू किया है. पार्टी 33 लाख सदस्यों की वर्तमान ताकत को कम से कम 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की उम्मीद कर रही है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)