नई दिल्लीः 1987 का विधानसभा चुनाव था. कद्दावर जाट नेता चौधरी देवीलाल के सामने थे कांग्रेस के बंसीलाल और भजनलाल. भजनलाल को हटाकर थोडे़ दिन पहले ही राजीव गांधी ने बंसीलाल को मुख्यमंत्री बनाया था लेकिन दोनों में वैसे ही वचर्स्व की लड़ाई थी जैसे आज हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा, अशोक तंवर, कुमारी शैलजा और सुरजेवाला के बीच. 32 साल बाद भी कांग्रेस की गुटबाज़ी में कोई खासी तब्दीली नहीं आई है. देवीलाल ने पूरे चुनाव को राजीव गांधी बनाम देवीलाल में तब्दील कर ऐतिहासिक जीत हासिल की. देवीलाल ने विदेशी बीवी, विदेशी धन और विदेशी बैंक का मुद्दा उछालकर राजीव गांधी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया था. बीजेपी अब 2019 के विधानसभा चुनाव में अमित शाह के तय किए मिशन 75 से आगे जाकर चौधरी देवीलाल के 1987 चुनावी रिकार्ड को तोड़ना चाहती है.
हरियाणा राज्य कार्यकारिणी की शनिवार को खत्म हुई बैठक में तय किया गया है कि रथयात्रा की शुरुआत अगस्त के पहले हफ़्ते से होगी और 8 सितंबर तक सभी विधानसभा क्षेत्र को पूरा कर लिया जाएगा. एक दिन में सीएम की रथयात्रा में पांच से छह विधानसभा को पूरा करने का लक्ष्य होगा.
हरियाणा बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के मुताबिक रथयात्रा के अलावा हर शक्ति केन्द्र पर पार्टी के नेता एक सप्ताह तक विस्तारक के रूप में काम करेंगे. बीजेपी संगठन के मुताबिक पिछले विधानसभा चुनाव की तारीख़ों के हिसाब से 10 सितंबर के आसपास राज्य में चुनावी आचार संहिता लगने की संभावना है, ऐसे में अगले दो महीने में बीजेपी को हरियाणा में अपनी चुनावी तैयारियों पूरा करना होगा.
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देवीलाल के रिकार्ड को तोड़ेने की तैयारी में जुटेगी बीजेपी
हरियाणा में कभी 4 सीट जीतने वाली बीजेपी का 2019 में लक्ष्य चौधरी देवीलाल के रिकार्ड को तोड़ने का है. 1987 में चौधरी देवीलाल ने राज्य विधानसभा के चुनाव में 90 सीटों में से 85 सीटें जीती थी और कांग्रेस को महज 5 सीटों से संतोष करना पड़ा था. बीजेपी का 2014 से पहले का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भी 1987 के चुनाव में ही था. पार्टी ने उस चुनाव में देवीलाल के साथ 20 में से 15 सीटें जीतने में कामयाबी हो पाई थी. 2009 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी महज 4 सीटें जीत पाई थी. इससे पहले बीजेपी ने राज्य में 2 सीटें भी जीती है.
अब मोदी लहर पर सवार बीजेपी की हरियाणा ईकाई चौधरी देवीलाल के रिकार्ड को तोड़ना चाहती है. बीजेपी के हरियाणा प्रभारी अनिल जैन के मुताबिक लोकसभा चुनाव में बीजेपी राज्य की 79 विधानसभा सीटों पर आगे रही है ऐसे में कार्यकर्ताओं की मेहनत से हम 85 के आंकड़े को आराम से तोड़ सकते हैं.
मेवात और गुरुग्राम के मुस्लिम बहुल 11 विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी को अपना प्रदर्शन सुधारने की जरूरत है. वैसे बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने पहले राज्य ईकाई के लिए मिशन 75 का लक्ष्य रखा था पर ब्रांड मोदी की लोकप्रियता और कमजोर विपक्ष का फायदा उठाकर पार्टी शाह के दिए लक्ष्य से आगे जाना चाहती है.
2014 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने मिशन 46 प्लस का लक्ष्य रखा था जिसे बाद में मिशन 60 प्लस किया गया. पार्टी ने 2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर पर सवार होकर जाटलैंड पर बिना किसी जाट नेता के रौंद डाला था. बीजेपी को चुनाव में 47 सीटों पर कामयाबी मिली थी.
कितना एकजुट है विपक्ष
2014 के विधानसभा चुनाव में देवीलाल के बेटे चौटाला की पार्टी लोकदल दूसरे नंबर पर खिसककर 19 सीटें ही जीत पाई थी और हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते कांग्रेस 15 सीट पर सिमट गई थी लेकिन तब से अब तक हरियाणा की राजनीति में काफी पानी बह चुका है. कांग्रेस अपनी गुटबाज़ी से पांच साल बाद भी उबर नहीं पाई है.
लोकसभा चुनाव में खुद हुड्डा और उनके बेटे दीपेन्द्र हुड्डा अपनी सीट जीत नहीं सके और बीजेपी ने लोकसभा की सभी 10 सीटें जीत ली. आज की तारीख में लोकदल के दो धड़े हो चुके हैं. कांग्रेस में शैलजा, हुड्डा और तंवर के अपने कैम्प हैं. बीएसपी भी हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ती रही है. आप और योगेन्द्र यादव की पार्टी भी मैदान में है. विपक्ष के पास न नैरेटिव है न एक चेहरा. खेमों में बंटे विपक्ष के सामने चट्टान की तरह खड़ी बीजेपी है जिसके पास ब्रांड मोदी का चेहरा है और मजबूत संगठन.
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अबकी बार 222 पार, फिर शिव साही सरकार
महाराष्ट्र में चुनावी प्रचार अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री फडणवीस की रथयात्रा से होगी. अगस्त के पहले हफ़्ते से शुरू होने वाली विकास यात्रा लगभग एक महीने तक चलेगी जिसमें हर दिन मुख्यमंत्री 8 विधानसभा क्षेत्र में कैपैंन को पूरा करने का प्रयास करेंगे. इस विकास यात्रा में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होंगे. बीजेपी का लक्ष्य शिवसेना गठबंधन के साथ 222 सीटें जीतने का है. पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 122 सीटें जीती थी और शिवसेना ने 63 सीटें सीटें हासिल की थी.