नई दिल्ली: भले ही भाजपा दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष का मुकाबला करने के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश में ‘अरविंद केजरीवाल शासन मॉडल’ पर आक्रामक रूप से हमला कर रही हो लेकिन राष्ट्रीय राजधानी में नगरपालिका चुनावों के लिए उन्होंने अपनी स्वयं की शासन उपलब्धियों पर फोकस करने का फैसला किया है.
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, पार्टी को उम्मीद है कि दिल्ली में नगर निगम के वार्डों के परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के साथ ही इस साल निकाय चुनाव (पहले अप्रैल में होने वाले थे) करा दिए जाएंगे है. पार्टी लगातार तीन बार से दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) पर शासन कर रही है.
नगर निगम चुनावों की तैयारी और आप की चुनौती का सामना करने के लिए भाजपा ने अपनी उपलब्धियों को जनता के सामने लाने के लिए शहर में एक सकारात्मक अभियान चलाने का फैसला किया है.
मतदाताओं से जुड़ने के लिए एक नवंबर से घर-घर जाकर प्रचार अभियान शुरू करने से पहले बीजेपी नेतृत्व आपस में विचार-विमर्श करने में काफी व्यस्त है.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी दिल्ली के सांसदों से उन मुद्दों पर प्रतिक्रिया मांग रही है, जिन्हें आप का मुकाबला करने के लिए लोगों के सामने लाने की जरूरत है. इस संबंध में कई बैठकें की गई हैं. बैठकों में पार्टी के महासचिव (संगठन) सिद्धार्थन, प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता और दिल्ली भाजपा प्रभारी बैजयंत पांडा भी शामिल हुए हैं.
इनमें से एक बैठक में शामिल हुए भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने बताया, ‘बीजेपी ने पिछले कई सालों में नगर निगम के स्तर पर दिल्ली के लिए बहुत कुछ किया है. हमारा एजेंडा सिर्फ अरविंद केजरीवाल और उनकी दोषपूर्ण नीतियों की आलोचना करना नहीं हो सकता है. मतदाता यह भी जानना चाहते हैं कि हमने अतीत में क्या किया है और एक विकल्प के रूप में हम उन्हें क्या देने का इरादा रखते हैं.’
चुनावी तैयारियों में दिवाली के एक दिन बाद मंगलवार को दिल्ली भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक हुई. इसमें भाजपा नेतृत्व ने काफी विचार-विमर्श के बाद कई प्रबंधन समितियों का गठन किया. भाजपा विधायक विजेंद्र गुप्ता को प्रचार का प्रभारी बनाया गया है, दिल्ली भाजपा उपाध्यक्ष राजीव बब्बर को कंटेंट और क्रिएटिव की देखभाल के लिए एक समिति का नेतृत्व करने का जिम्मा सौंपा गया है. दिल्ली भाजपा के पूर्व प्रमुख सतीश उपाध्याय घोषणापत्र समिति की देखरेख करेंगे.
दिप्रिंट से बात करते हुए पांडा ने कहा, ‘आप पार्टी बड़े पैमाने पर किए गए शराब घोटाले और इस मुद्दे पर अन्ना हजारे के पत्र के कारण बैकफुट पर है. हम पिछले काफी समय से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं और जीत के प्रति आश्वस्त हैं.’
भाजपा के एक दूसरे नेता ने कहा कि नगर निगम स्तर पर भाजपा की उपलब्धियों की सूची तैयार कर ली गई है और पहले चरण में दिल्ली भर में होर्डिंग लगाए जाएंगे.
विधायक गुप्ता ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार हैं. नवंबर के पहले सप्ताह में चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया जाएगा. अपनी उपलब्धियों के साथ-साथ आप और कांग्रेस की विफलताओं को भी उजागर करेंगे. हमें एक बार फिर सत्ता में आने का भरोसा है.’
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‘सुशासन’
पार्टी सूत्रों ने कहा, ‘नगर निगम चुनावों के लिए भाजपा नगरपालिका स्तर पर अपने ‘सुशासन’ के बारे में एक अभियान शुरू करेगी. सत्ता में आने पर पार्टी मतदाताओं के लिए क्या करना चाहती है और कैसे ‘आप’ नगर निगम के कुशल कामकाज के बीच में आई है, इस बारे में खुलकर बात की जाएगी.’
जहां आप दिल्ली सरकार चलाती है, वहीं भाजपा शहर में नगरपालिका स्तर पर सत्ता में रही है. दिल्ली के बाहर केजरीवाल की पार्टी गुजरात और हिमाचल प्रदेश में बीजेपी को चुनौती दे रही है.
एक तीसरे भाजपा नेता ने कहा, ‘गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हम दिल्ली में केजरीवाल के नेतृत्व वाली आप सरकार की विफलता को उजागर कर रहे हैं और इसकी गूंज मतदाताओं तक पहुंच रही है. लेकिन दिल्ली में जहां हम इतने लंबे समय से (नगरपालिका स्तर पर) सत्ता में हैं, हमारा अभियान सिर्फ आप का मुकाबला करने के बारे में नहीं होगा, बल्कि यह भी उजागर करेंगे कि भविष्य में हमारी क्या योजनाएं हैं और हम क्या करने का इरादा रखते हैं.’
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी राज्य इकाई को एमसीडी की छवि को बढ़ावा देने के लिए एक विस्तृत अभियान के साथ आने के लिए कहा है, खासकर जब पार्टी महत्वपूर्ण सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही है. बीजेपी के चौथे नेता ने कहा, ‘पिछले साल अक्टूबर में किए गए एक आंतरिक सर्वेक्षण से पता चला था कि आप आगे बढ़ती नजर आ रही है.’
आखिरी बार भाजपा दिल्ली में 1998 में सुषमा स्वराज के मुख्यमंत्रित्व काल में सत्ता में थी. पिछले 24 सालों से पार्टी सत्ता में आने के लिए जूझ रही है. कांग्रेस (1998 से 2013) लंबे समय तक विधानसभा पर अपना कब्जा जमाए रखी तो वहीं उसके बाद से आप दिल्ली में सरकार बनाए हुए है.
दिल्ली में अगर कहीं भाजपा सत्ता में रही है तो वह एमसीडी. तीन भागों में बंटे हुए नगर निगम (2012 में विभाजित) पर पार्टी का पिछले 15 सालों से अधिक समय से नियंत्रण है.
केंद्र ने इस साल की शुरुआत में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम, उत्तरी दिल्ली नगर निगम और पूर्वी दिल्ली नगर निगम को एक एकीकृत एमसीडी में विलय करने की घोषणा की थी.
तीनों नगर निगमों के एकीकरण के बाद से आगामी चुनाव सबसे पहले होंगे. परिसीमन के बाद राजधानी में वार्डों की कुल संख्या 272 से घटाकर 250 कर दी गई है.
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