कोलकाता: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा अपने काफिले पर पथराव के एक महीने बाद शनिवार को पश्चिम बंगाल में एक दिवसीय फार्मर आउटरीच प्रोग्राम में हिस्सा लेने पहुंचे. किसानों से संपर्क का यह कार्यक्रम राज्य में पार्टी के चुनाव अभियान के बीच आयोजित किया गया था.
घर-घर जाकर संपर्क करने के इस अभियान के तहत रोड शो करने और किसानों से मिलने के अलावा भाजपा प्रमुख ने अपनी पार्टी के चुनावी अभियान के लिए एक नया नारा भी दिया—भाजपा ने बंगाली समुदाय के बीच ‘जयश्री राम’ की जगह ‘जय मां दुर्गा, जय मां काली’ का उद्घोष अपनाया है.
राज्य में हालिया जनसभाओं के दौरान गृह मंत्री अमित शाह सहित पार्टी के वरिष्ठ नेता ‘वंदे मातरम्’ और भारत माता की जय’ का उद्घोष करते रहे हैं जबकि कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच मुख्य नारा ‘जय श्री राम’ रहा है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भाजपा के मूल नारों का यह ‘बंगालीकरण’ दिलचस्प है क्योंकि यह दिखाता है कि पार्टी अपनी कुछ बुनियादी नीतियों को बदल रही है.
बंगाली पारंपरिक रूप से देवी के उपासक होते हैं, और दुर्गा और काली उनके लिए मुख्य देवता हैं. कृष्ण या राम की पूजा उनकी धार्मिक परंपराओं में शामिल तो है, लेकिन इन्हें मुख्य त्यौहारों की तरह नहीं मनाया जाता.
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, ‘बंगालियों को मां काली और मां दुर्गा से भावनात्मक जुड़ाव है. हम उन्हें एक परिवार के सदस्य के रूप में देखते हैं. इसके अलावा, मां काली शक्ति और संकल्प की देवी हैं. इस रास्ते से बंगाली घरों में जगह बनाना आसान है. हम जमीनी स्तर के मिलने वाले इनपुट के आधार पर नीतियों की समीक्षा और बदलाव करते रहते हैं.’
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राम से दुर्गा, काली तक
‘जयश्री राम’ के उद्घोष में बंगाल के मुताबिक किए गए बदलाव, जिसे एक शीर्ष भाजपा नेता की तरफ से पेश किया गया है, पर राजनीतिक कयासबाजी जारी है.
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि ये राष्ट्रीय पार्टी की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस से मुकाबले की रणनीति का हिस्सा है, जो दोनों दशकों से बंगाल के राजनीतिक ताने-बाने में पूरी तरह समाए हुए हैं. इनकी तुलना में भाजपा अभी राज्य में केवल अपना राजनीतिक जनाधार बनाने की कोशिशें कर रही है.
तृणमूल अक्सर भाजपा नेताओं पर हमले के लिए इस तथ्य का इस्तेमाल करती है कि यह ‘बाहरी लोग’ हैं और यह ‘काउ-बेल्ट की पार्टी’ है.
बहरहाल, यह सब राजनीतिक नारेबाजी में बदलाव को भी दर्शाता है. यह देखते हुए कि बंगाल में कभी चुनाव अभियानों के दौरान कभी धार्मिक उद्घोष या देवी-देवताओं के नामों का इस्तेमाल नहीं किया है, भाजपा इसे भी बदलने के लिए विवश कर रही है.
राजनीतिक विश्लेषक बिश्वनाथ चक्रवर्ती का कहना है कि भाजपा की अपनी नीति में ही बदलाव काफी दिलचस्प है.
उन्होंने कहा, ‘एक पार्टी जिसका उत्तर भारतीय राज्यों में खासा प्रभाव है और जो राम की पूजा करती है, बंगाल में लोगों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए अपनी बुनियादी नीतियों को बदल रही है. ये देखना दिलचस्प होगा कि ऐसे अभियानों पर उन्हें क्या प्रतिक्रिया मिलती है. हमने भाजपा नेताओं को कभी देवियों के नाम का जाप करते नहीं देखा. वास्तव में तो उन्होंने ‘सिया’ को हटाकर विवाद खड़ा किया और उत्तर प्रदेश में इसे केवल ‘राम’ पर केंद्रित कर दिया. वही पार्टी अब ‘जय मां दुर्गा’ और ‘जय मां काली’ का उद्घोष करने लगी है.
उन्होंने कहा, ‘राज्य के सभी धर्मों के बीच ‘जय मां काली’ को स्वीकार किया जाता है. हम जानते हैं कि राज्य के कुछ ग्रामीण इलाकों में मुस्लिमों का एक वर्ग, जो मुख्यत: धर्मांतरित है, भी मां काली की पूजा करता है. लेकिन, ‘जय श्री राम’ के जरिये वह पैठ नहीं बनाई जा सकती. भाजपा के लिए यह रणनीति का मामला है.’
किसान के बीच पैठ बनाने की कोशिश
फार्मर आउटरीच प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए राज्य के दौरे पर आए नड्डा ने विवादास्पद कृषि कानूनों का बचाव करते हुए कहा कि वे ‘किसानों की स्वतंत्रता’ के उद्देश्य से लाए गए हैं.
उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी और भाजपा नीत केंद्र सरकार हमेशा ही किसानों के हितों की रक्षा करेगी और आश्वासन दिया कि राज्य के किसानों को इस साल मई से सभी केंद्रीय लाभ मिलने लगेंगे.
उन्होंने यह कहते हुई राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधा कि वह ‘चावल चोर’ है जो ‘कट मनी’ पर जिंदा रहती है.
आउटरीच प्रोग्राम 24 जनवरी तक जारी रखने की तैयारी है.
इस अवधि में भाजपा कार्यकर्ताओं के 40,000 गांवों का दौरा करने की उम्मीद है. फिर 31 जनवरी तक पार्टी कार्यकर्ता ‘कृषक भोज’ का आयोजन करेंगे. नड्डा ने रैली में बताया कि इस दौरान पार्टी लोगों को बताएगी कि पश्चिम बंगाल में किसानों के साथ क्या अन्याय हो रहा है.
नड्डा ने अन्य नेताओं के साथ खुद कटवा में एक किसान मथुरा मंडल के घर दोपहर का भोजन किया. कृषि प्रधान बेल्ट बर्धमान पूरब, जिसे अक्सर राज्य का चावल का कटोरा कहा जाता है, की उनकी यात्रा को सीधे तौर पर राज्य के किसानों तक पहुंचाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है.
उन्होंने कहा, ‘आज, मैंने सुना है कि ममताजी ने प्रधानमंत्री को लिखा है कि उनकी सरकार प्रधानमंत्री किसान योजना लागू करने के लिए तैयार है. अब, जब आपको लग रहा है कि आप जनाधार खो रहे हैं तो योजना लागू करना चाहते हैं. अब हमें आपकी सहमति की जरूरत नहीं है भाजपा की अगली निर्वाचित सरकार मई 2021 में बंगाल में यह योजना लागू करेगी.’
भाजपा प्रमुख ने आगे कहा कि ममता बनर्जी सरकार ने पिछले दो वर्षों के दौरान पात्र किसानों को 6,000 रुपये सालाना के वित्तीय लाभ वाली योजना लागू करने के केंद्र के कई अनुरोधों को अनसुना किया है.
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