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Saturday, 2 November, 2024
होमराजनीति'रोज हो रहा है द्रौपदी चीरहरण', शांता कुमार ने मोदी सरकार से मणिपुर पर 'तेजी से कार्रवाई' करने को कहा

‘रोज हो रहा है द्रौपदी चीरहरण’, शांता कुमार ने मोदी सरकार से मणिपुर पर ‘तेजी से कार्रवाई’ करने को कहा

पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल के सीएम भी रह चुके शांता कुमार का कहना है कि मणिपुर हिंसा एक 'राष्ट्रीय शर्म' है, उन्होंने कहा कि संसद भी इस मुद्दे को संबोधित करने में विफल रही है.

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नई दिल्ली: भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार ने मोदी सरकार से मणिपुर में हिंसा को समाप्त करने के लिए “निर्णायक” कार्रवाई करने का आग्रह किया है और कहा है कि उन्हें या तो भाजपा के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह को बदलना चाहिए या राष्ट्रपति शासन लगाना चाहिए.

पूर्व केंद्रीय मंत्री और हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके शांता कुमार ने कहा कि मणिपुर हिंसा एक “राष्ट्रीय शर्म” है, उन्होंने कहा कि संसद भी इस मुद्दे को संबोधित करने में विफल रही है.

उन्होंने दिप्रिंट को एक इंटरव्यू में कहा, ”यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है.” उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार को राज्य में हिंसा और अराजकता को समाप्त करने के लिए तेजी से और निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए, चाहे वह मुख्यमंत्री को हटाकर या राष्ट्रपति शासन लगाकर हो. 80 दिन बाद भी हालात नहीं सुधरे हैं और आगजनी और हत्या की खबरें अब भी आ रही हैं. यह रुकना चाहिए.”

महाभारत का जिक्र करते हुए, शांता कुमार ने कहा, “एक द्रौपदी चीरहरण (द्रौपदी को निर्वस्त्र करने) के कारण धर्म युद्ध हुआ.  लेकिन यहां, हर दिन ‘द्रौपदी चीरहरण’ हो रहा है और हर कोई मूक दर्शक बना हुआ है.”

मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच चल रही जातीय हिंसा 3 मई को भड़क उठी थी. माना जाता है कि कई वजहों ने वर्षों से दबे तनाव को बढ़ावा दिया है, लेकिन तत्काल ट्रिगर मेइतीस की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग थी.

हिंसा में अब तक 150 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.

भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का वीडियो वायरल होने के बाद मणिपुर संकट पर जनता का आक्रोश और तेज हो गया है.

कुमार के अनुसार, संसद भी इस मुद्दे को संबोधित करने में विफल रही है और प्रक्रियात्मक मामलों पर चर्चा करने में व्यस्त है. उन्होंने कहा, ”मैंने कभी नहीं सोचा था कि भारत का लोकतंत्र इतने निचले स्तर पर गिर जाएगा.”

20 जुलाई को मानसून सत्र शुरू होने के बाद से मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण संसद में गतिरोध बना हुआ है.

विपक्ष ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से बयान की मांग करते हुए संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित कर दी है. राज्यसभा में विपक्ष नियम 267 के तहत मणिपुर की स्थिति पर लंबी अवधि की चर्चा की मांग कर रहा है, न कि नियम 176 के तहत अल्पकालिक चर्चा की, जैसा कि सरकार ने सुझाव दिया है.

मंगलवार को, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर अगले सप्ताह विचार करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें पीएम मोदी का जवाब 10 अगस्त के लिए निर्धारित है.


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‘संसद को मुद्दे पर बहस करनी चाहिए’

वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे शांता कुमार ने संसद में मणिपुर मुद्दे पर चर्चा न होने पर निराशा जताई.

कुमार ने दो महिलाओं के वीडियो का हवाला देते हुए कहा कि उनके साथ जो हुआ वह महिलाओं की गरिमा का अपमान और “राष्ट्रीय अपमान” है. उन्होंने आगे कहा कि, “लेकिन इससे भी अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि संसद ने इस मामले को बहस के लिए नहीं उठाया है.”

उन्होंने कहा, “भयानक घटना के वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे थे और देश रो रहा था, लेकिन सांसद प्रक्रिया के नियमों पर बहस करने में व्यस्त थे.”

कुमार ने संसद की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा, “संसद अन्य सभी कार्यों को निलंबित क्यों नहीं कर सकती और इस जघन्य अपराध पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं कर सकती?”

उनके मुताबिक संसद को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर इस गंभीर मुद्दे पर गहन चर्चा कर देश के लिए एक उदाहरण पेश करना चाहिए.

‘बलात्कारियों को फांसी दो’

बलात्कारियों के लिए फांसी की सजा की मांग करते हुए शांता कुमार ने देश में महिलाओं की गुमशुदगी के बढ़ते मामलों पर दुख व्यक्त किया.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “यह दुखद है कि बलात्कार और शीलभंग के मामलों में, हम अभी भी नियमित कानून से निपट रहे हैं, जबकि ऐसी घटनाएं दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. हम उन्हें सबक सिखाने के लिए तीन महीने में फांसी क्यों नहीं दे सकते?”

कुमार के अनुसार, बलात्कार के मामलों को तेजी से निपटाया जाना चाहिए और तीन महीने के भीतर विशेष अदालतों में मुकदमा चलाया जाना चाहिए और दोषियों को फांसी दी जानी चाहिए, ताकि दूसरों को ऐसे जघन्य अपराध करने से रोका जा सके.

उन्होंने कहा, “तभी कानून का शासन स्थापित होगा और लोग परिणाम से डरेंगे.”

सोमवार को राज्यसभा में गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों का हवाला देते हुए, बुजुर्ग नेता ने कहा कि तीन साल में देश में 13 लाख लड़कियां और महिलाएं लापता हो गई हैं.

महिलाओं की सुरक्षा पर केंद्र सरकार के प्रयासों पर संदेह जताते हुए, कुमार ने कहा, “हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं [स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर], लेकिन लड़कियां गायब हो रही हैं – 13 लाख लड़कियां गायब हैं, और किसी को कोई चिंता नहीं है. यह शर्म की बात है और देश की प्रतिष्ठा पर कलंक है कि हम देश में अपनी बेटियों और बहनों की रक्षा करने में सक्षम नहीं हैं.

(अनुवाद/ संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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