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Thursday, 28 November, 2024
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BJP जिस कांग्रेस प्रत्याशी को ‘जिन्ना समर्थक’ कहती है, उसे निशाना बनाने के लिए योगी, नड्डा को दरभंगा भेजा

कांग्रेस के मजकूर उस्मानी दरभंगा की जाले सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां पिछले दो दिन में प्रचार के दौरान योगी आदित्यनाथ और जेपी नड्डा ने राम मंदिर और अनुच्छेद 370 हटाने का श्रेय लिया.

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दरभंगा: भाजपा ने अपने दो बड़े चेहरों-उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा को बिहार में दरभंगा जिले की जाले सीट पर चुनाव प्रचार के लिए उतारा, जहां कांग्रेस उम्मीदवार मजकूर उस्मानी, जिन्हें भाजपा ‘जिन्ना समर्थक’ कहती है, चुनाव लड़ रहे हैं.

उस्मानी मई 2018 में एएमयू छात्र संघ के अध्यक्ष थे, जब यह विश्वविद्यालय परिसर में मोहम्मद अली जिन्ना के चित्र को लेकर विवाद में घिर गया था.

संघ का कहना था कि विश्वविद्यालय में जिन्ना का पोर्ट्रेट 1938 से लगा हुआ है, जब उन्हें कई अन्य नेताओं के साथ छात्रसंघ की मानद सदस्यता प्रदान की गई थी.

उस्मानी की उम्मीदवारी को लेकर उस समय विवाद उत्पन्न हो गया, जब भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने ‘जिन्ना का समर्थन’ करने वाले किसी व्यक्ति को मैदान में उतारने के लिए कांग्रेस की खिंचाई की थी.

जाले में 7 नवंबर को बिहार चुनाव के अंतिम चरण में मतदान होगा, और भाजपा के मौजूदा विधायक जिबेश कुमार के पक्ष में आदित्यनाथ और नड्डा दोनों ने क्रमशः 4 नवंबर और 5 नवंबर को इस निर्वाचन क्षेत्र में प्रचार किया.


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योगी ने पाकिस्तान का मुद्दा उठाया, नड्डा ने राम मंदिर और अनुच्छेद 370

जाले में अपनी रैली के दौरान आदित्यनाथ ने दरभंगा में कुछ विकास परियोजनाओं से जुड़े कार्यों का उल्लेख करने के अलावा पाकिस्तान का मुद्दा उठाया.

यूपी के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘आपने पिछले हफ्ते खबर में सुना कि पाकिस्तानी संसद में पुलवामा (हमले) पर चर्चा हुई थी. मंत्रियों में से एक ने कहा कि अगर हम (एयरफोर्स विंग कमांडर) अभिनंदन को नहीं छोड़ते तो भारत पाकिस्तान पर हमला कर देता. प्रधानमंत्री इमरान खान को पसीना आ रहा था, पाकिस्तानी सेना प्रमुख के पैर कांप रहे थे. मोदी के दौर में पाकिस्तान का डर साफ दिखता है.’

फिर उन्होंने कहा, ‘हम दरभंगा में एक एयरपोर्ट बना रहे हैं, यहां एम्स स्थापित किया गया है, एनडीए के शासनकाल में माता जानकी पथ बनने जा रहा है.’

वहीं, नड्डा ने वोट मांगने के लिए अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण और जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का हवाला दिया.

उन्होंने एक रैली में कहा, ‘जब मैं यहां (बिहार) आया, तो पत्रकारों ने मुझसे पूछा कि आप राम मंदिर का मुद्दा क्यों उठा रहे हैं? मैंने कहा, मैं यहां सीता माता की जन्मभूमि (दरभंगा) में हूं. मुझे यहां राम मंदिर मुद्दा क्यों नहीं उठाना चाहिए? लोग यहां खुश हैं कि राम मंदिर का निर्माण होने जा रहा है. मोदी ने सुनिश्चित किया कि फैसला सुनाने के लिए सुप्रीम कोर्ट हर दिन राम मंदिर मामले की सुनवाई करे.’

उन्होंने आगे कहा, ‘कांग्रेस ने राम मंदिर के निर्माण का विरोध किया और (अदालत) सुनवाई में बाधाएं डालीं. अनुच्छेद 370 हटने पर दरभंगा से लोग तिरंगा फहराने के लिए जम्मू-कश्मीर गए थे. मोदी जी और अमित शाह ने अनुच्छेद 370 खत्म किया जाना सुनिश्चित किया. मुझे यहां अनुच्छेद 370 का मुद्दा क्यों नहीं उठाना चाहिए? वे (कांग्रेस) अभी भी इसका विरोध कर रहे हैं. आप जानते हैं कि मोदी जी के नेतृत्व में आपको एनडीए को वोट देना है.’

ध्रुवीकरण भाजपा को फायदा पहुंचाएगा

जाले में भूमिहार और ब्राह्मण आबादी के अलावा एक बड़ा तबका मुस्लिम मतदाताओं का है. भाजपा के सूत्रों ने कहा कि अगर वोटों का ध्रुवीकरण होता है तो भाजपा विधायक के लिए यह सीट जीतना आसान होगा.

जाले के मतदाताओं का कहना है उस्मानी को कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ेगा क्योंकि हिंदू मतों के ध्रुवीकरण की संभावना अधिक है.

जाले में पान की दुकान चलाने वाले रवि मिश्रा ने कहा, ‘यहां जीतना उस्मानी के लिए आसान नहीं होगा. पहले से ही ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि अगर उस्मानी जीतते हैं, तो यह सीट मुसलमानों के लिए आरक्षित हो जाएगी. इसलिए हिंदू वोटवैंक का ध्रुवीकरण हो सकता है.’

उन्होंने कहा, ‘उस्मानी ध्रुवीकरण रोकने की हरसंभव कोशिश के तहत लोगों से शिक्षा और स्वास्थ्य के नाम पर वोट देने की अपील कर रहे हैं. हालांकि, योगी आदित्यनाथ ने हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के लिए प्रचार के दौरान पाकिस्तान और अंतरजातीय शादियों के मुद्दे उठाए.


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उस्मानी का काम, जाले में लाइब्रेरी स्थापित करना

पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे उस्मानी ने शिक्षा को अपने अभियान का केंद्रीय विषय बनाया है.

जिन्ना विवाद और कुछ समाचार चैनलों पर उन्हें ‘जिन्ना समर्थक’ बताने वाले शो चलने का जिक्र करते हुए उस्मानी ने दिप्रिंट से कहा कि उन्होंने चैनलों को कानूनी नोटिस भेजे हैं.

उन्होंने कहा, ‘यह भाजपा का दुष्प्रचार है. वे चुनाव में ध्रुवीकरण चाहते हैं इसलिए इस मुद्दे को उठाया. मेरा जिन्ना से कोई लेना-देना नहीं है. उसी समय मैंने कहा था कि चूंकि यह (जिन्ना का पोर्ट्रेट) इतिहास का हिस्सा है, इसलिए इसे उसकी जगह पर ही रखा जाना चाहिए. लेकिन मेरे नामांकन के बाद कई लोग चुनाव का ध्रुवीकरण करना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने यह मुद्दा उठाया है.’

हाल ही में दंत चिकित्सा का कोर्स पूरा करने वाले 26 वर्षीय उस्मानी ने कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान जाले के कुछ गांवों में लाइब्रेरी स्थापित करने का काम शुरू किया था.

उस्मानी ने जाले के हर गांव में या कम से कम हर ब्लॉक में एक लाइब्रेरी खोलने का लक्ष्य रखा है.

देउरा भंडुली गांव में मौलाना अबुल कलाम आजाद के नाम पर एक लाइब्रेरी स्थापित की जा चुकी है.

उन्होंने कहा, ‘हमारा क्षेत्र सांस्कृतिक रूप से समृद्ध रहा है. पहले यहां शिक्षा अच्छी थी, अच्छे स्कूल और कॉलेज थे, कई स्थानों पर लाइब्रेरी थीं, जो अब बंद हो चुकी हैं. मैं पढ़ाई के दौरान ही लाइब्रेरी के महत्व को अच्छी तरह समझ गया था. इसलिए जब मैं लॉकडाउन के दौरान (जाले) आया, तो मैंने गांवों में लाइब्रेरी खोलने के लिए एक आंदोलन शुरू किया.’

उस्मानी ने आगे कहा, ‘मैंने दूसरों से पुस्तकें उधार ली हैं और पुस्तकालयों का नवीनीकरण किया है. मैं हर ब्लॉक में महात्मा गांधी के नाम पर एक लाइब्रेरी शुरू करना चाहता हूं. गांधी राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं, उनके जीवन चरित्र और उनके विचारों को हर जगह फैलाया जाना चाहिए. इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में ड्रॉपआउट की दर ज्यादा है, ऐसे में ये लाइब्रेरी गांव का स्वरूप बदलने में अहम भूमिका निभाएंगी.’

उन्होंने कहा कि शिक्षा के अलावा स्वास्थ्य ‘मेरे लिए एक और प्राथमिकता वाला क्षेत्र होगा.’

उस्मानी ने कहा, ‘एक डॉक्टर होने के नाते मैं हर ब्लॉक में एक छोटी डिस्पेंसरी और अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक अच्छा अस्पताल चाहता हूं ताकि लोगों को हमेशा दिल्ली या पटना का रुख न करना पड़े.’

उनके एक प्रोफेसर ने दिप्रिंट को बताया, ‘यह अच्छा है कि वह शिक्षा को अपने अभियान का केंद्रीय विषय बना रहे हैं. यह उनकी विश्वसनीयता बढ़ाएगा. लोग उन्हें एक गंभीर उम्मीदवार के रूप में देखेंगे.’

‘चुनाव अभियान के लिए पिता, मित्रों से उधार लिया’

उस्मानी सबसे गरीब चुनाव प्रत्याशियों में से एक हैं. चुनावी हलफनामे के मुताबिक उनके पास 1 लाख रुपये की संपत्ति है.

उन्होंने बताया कि चुनाव प्रचार के लिए अपने पिता से 60,000 रुपये और दोस्तों से 30,000 रुपये लिए हैं.

उस्मानी ने आगे कहा, ‘मैं बिना पैसे के चुनाव अभियान चला रहा हूं. मेरे पिता किराये के मकान में रहते हैं. मैं अमीर उम्मीदवारों के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले सबसे गरीब प्रत्याशियों में से एक हूं. क्या आपने आज के समय में कोई ऐसा प्रत्याशी देखा है जो उधार के पैसे पर चुनाव लड़ रहा हो? कई राजनेताओं के बेटे बहुत सारे संसाधनों के बलबूते चुनावी मैदान में हैं. केवल मैं वास्तव में एक किसान पुत्र हूं, जिसके पास पैसा नहीं है. लेकिन मैं सिद्धांतों की राजनीति करना चाहता हूं, अलीगढ़ के मेरे कई दोस्त मेरी मदद कर रहे हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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