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Sunday, 22 December, 2024
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BJP ने कहा- सोरोस ‘भारत की छवि को खराब करने’ की कोशिश कर रहे, RSS के मुखपत्र ने उन्हें ‘भड़काने वाला’ बताया

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी सहित भाजपा नेताओं ने हंगेरियन-अमेरिकी अरबपति पर निशाना साधा है, जब उन्होंने कहा कि हिंडनबर्ग-अडाणी विवाद भारत में 'डेमोक्रेटिक रिवाइवल' को बढ़ावा दे सकता है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी व्यवसायी जॉर्ज सोरोस की टिप्पणी का उद्देश्य भारत की छवि को गलत तरीके से पेश करना और उसके लोकतंत्र को कमजोर करना है. ईरानी ने गुरुवार को एक इवेंट में अरबपति निवेशक पर यह कहते हुए निशाना साधा कि हिंडनबर्ग-अडाणी विवाद भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुत्थान को बढ़ावा दे सकता है.

ईरानी ने मीडिया को बताया, “जिस व्यक्ति ने बैंक ऑफ इंग्लैंड को तोड़ा, एक व्यक्ति जिसे आर्थिक युद्ध अपराधी के रूप में नामित किया गया है, उसने अब भारतीय लोकतंत्र को तोड़ने की इच्छा व्यक्त की है. जॉर्ज सोरोस, जो कई देशों के खिलाफ दांव लगाते हैं, उन्होंने अब भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अपने बुरे इरादों की घोषणा कर दी है.” ईरानी ने कहा, सोरोस ने 1992 में ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ सट्टेबाजी करके 1 बिलियन डॉलर कमाने के बारे में जिक्र किया.

उन्होंने कहा कि सोरोस एक ऐसी सरकार चाहते हैं जो उनकी “नापाक योजनाओं” की सफलता सुनिश्चित करने के लिए लचीला हो. ईरानी ने आरोप लगाया, “उन्होंने विशेष रूप से पीएम मोदी जैसे नेताओं को टारगेट करने के लिए एक बिलियन डॉलर से अधिक की फंडिंग की घोषणा की है, जो कि काफी महत्वपूर्ण है.”

गुरुवार को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अथॉरिटेरियनिज़म और जलवायु परिवर्तन के बारे में बोलते हुए सोरोस ने अडाणी संकट पर भी चर्चा की और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विदेशी निवेशकों के सवालों का जवाब देना होगा.


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उन्होंने कहा, “मोदी और बिजनेस टाइकून अडाणी करीबी सहयोगी हैं; उनका भाग्य आपस में जुड़ा हुआ है. अडाणी इंटरप्राइजेज ने शेयर बाजार में फंड जुटाने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही. अडाणी पर स्टॉक मैनिपुलेशन का आरोप है और उनका स्टॉक ताश के पत्तों की तरह ढह गया. मोदी इस विषय पर चुप हैं, लेकिन उन्हें विदेशी निवेशकों और संसद में सवालों का जवाब देना होगा.”

सोरोस ने कहा, “यह भारत की संघीय सरकार पर मोदी की पकड़ को काफी कमजोर कर देगा और बहुत जरूरी संस्थागत सुधारों को आगे बढ़ाने के लिए दरवाजा खोल देगा. मैं भोला हो सकता हूं, लेकिन मैं भारत में एक लोकतांत्रिक पुनरुद्धार की उम्मीद करता हूं.”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुखपत्र ऑर्गनाइज़र की भी अपने नवीनतम संस्करण में सोरोस पर एक कवर स्टोरी है, जहां वह उसे “मास्टर इन्स्टिगेट” कहता है. लेख में कहा गया है, “जॉर्ज सोरोस की ओपन सोसाइटी फाउंडेशन, अपने प्रमाणित मूल्यों के विपरीत, लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने के लिए वामपंथी-इस्लामवादी-मिशनरी गठजोड़ की फंडिंग करती है. सोरोस और उनके नेटवर्क के लिए, ‘राष्ट्रवादियों’ के खिलाफ युद्ध के नाम पर, भारत सामाजिक दरार पैदा करने, सभ्यता की नींव को कमजोर करने और अंततः लोकतांत्रिक व्यवस्था को अस्थिर करने का सबसे प्रमुख लक्ष्य है.

पिछले संस्करण में लिखे एक अन्य लेख में, अडाणी पर हिंडनबर्ग रिसर्च के “हमले” की तुलना 1992 के स्टर्लिंग संकट (ब्लैक वेन्सडे) से की गई थी जिसमें सोरोस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. लेख में कहा गया है कि इस तरह के हेरफेर और “कंपनियों, मुद्राओं और बदले में, अर्थव्यवस्थाओं को दुर्भावनापूर्ण तरीके से टारगेट करना” नया नहीं है.

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अन्य नेताओं ने भी शुक्रवार को सोरोस पर निशाना साधा. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सी.टी. रवि ने उन्हें “अमेरिकन मैडमैन” कहा और दावा किया कि सोरोस “भारत में राष्ट्रवादी सरकार” की जगह “पप्पू” को लाना चाहते हैं.

रवि ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और उसका पूरा “बुरा माहौल” पूरे दिल से सोरोस का समर्थन कर रहे थे और भारत के विकास और समृद्धि को “अस्थिर” करने के लिए सब कुछ कर रहे थे.

पार्टी महासचिव बी.एल. संतोष ने ट्वीट किया, ‘डिस्ट्रक्टर-इन-चीफ ऑफ डिमॉक्रेसी, इसके मूल्य और परंपराएं अपने सभी साथियों के विफल होने के बाद ताक लगा के बैठे हैं. ध्यान दें, तार्किक रहें. हम सच्चाई के पक्ष में हैं. सत्य की ही जीत होती है.”

जॉर्ज सोरोस कौन है

सोरोस एक हंगेरियन-अमेरिकी व्यवसायी, निवेशक और फिलैंथ्रोपिस्ट हैं, जो उस व्यक्ति के रूप में प्रसिद्ध हैं, जिसने “बैंक ऑफ इंग्लैंड को तोड़ दिया” और ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ दांव लगाकर सिर्फ एक महीने में 1.5 बिलियन डॉलर कमाए.

पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तहत भारत में अथॉरिटेरियनिज़म के कथित उदय और “लोकतांत्रिक संस्थानों के कमजोर होन” के बारे में भी चिंता व्यक्त की है.

2020 में दावोस में, उन्होंने कहा था, “भारत में सबसे बड़ा और सबसे भयावह झटका लगा, जहां एक लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नरेंद्र मोदी एक हिंदू राष्ट्रवादी राज्य बना रहे हैं, एक अर्ध-स्वायत्त मुस्लिम क्षेत्र कश्मीर पर दंडात्मक उपाय कर रहे हैं, और लाखों मुस्लिों को वंचित करने की धमकी दे रहे हैं.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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