नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को दावा किया कि शहर के सिविल लाइंस इलाके स्थित दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सरकारी आवास के ‘सौंदर्यीकरण’ पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए गए और इसने ‘नैतिक’ आधार पर उनके इस्तीफे की मांग की.
हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई लेकिन सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) ने बीजेपी पर पलटवार किया है.
आप के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने ‘टाइम्स नाउ’ से बात करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री आवास 75-80 साल पहले 1942 में बनाया गया था. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने ऑडिट के बाद इसके जीर्णोद्धार की सिफारिश की थी.
पीडब्ल्यूडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यह नवीनीकरण नहीं था और पुराने ढांचे के स्थान पर एक नया ढांचा बनाया गया है. वहां उनका शिविर कार्यालय भी है. खर्च लगभग 44 करोड़ रुपये है, लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि पुराने ढांचे को नए के साथ बदला गया है.’’
सूत्रों द्वारा उपलब्ध कराए गए दस्तावेज़ से पता चलता है कि 43.70 करोड़ रुपये की स्वीकृत राशि के मुकाबले कुल 44.78 करोड़ रुपये सिविल लाइंस में छह-फ्लैगस्टाफ रोड पर केजरीवाल के सरकारी आवास के ‘‘अतिरिक्त निर्माण या बदलाव’’ पर खर्च किए गए.
दस्तावेजों से पता चलता है कि राशि नौ सितंबर, 2020 से जून, 2022 के बीच छह किश्तों में खर्च की गई. दस्तावेज़ के मुताबिक, कुल खर्च में 11.30 करोड़ रुपये आंतरिक सज्जा, 6.02 करोड़ रुपये पत्थर और मार्बल फर्श, एक करोड़ रुपये इंटीरियर कंसल्टेंसी, 2.58 करोड़ रुपये बिजली संबंधी फिटिंग और उपकरण, 2.85 करोड़ रुपये अग्निशमन प्रणाली, 1.41 करोड़ रुपये वार्डरोब और एसेसरीज फिटिंग पर और किचन उपकरणों पर 1.1 करोड़ रुपये का खर्च शामिल है.
दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एक बयान में कहा कि केजरीवाल के बंगले के ‘‘सौंदर्यीकरण’’ पर 45 करोड़ रुपये ऐसे समय में खर्च किए गए जब दिल्ली कोविड-19 से जूझ रही थी.
सचदेवा ने कहा, ‘‘केजरीवाल को अपने उस नैतिक अधिकार के बारे में दिल्ली के लोगों को जवाब देना चाहिए, जिसके तहत उन्होंने अपने बंगले के सौंदर्यीकरण पर लगभग 45 करोड़ रुपये खर्च किए, जब कोविड के दौर में अधिकांश सार्वजनिक विकास कार्य ठप थे.’’
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यह स्थापित हो गया है कि केजरीवाल एक घर में नहीं बल्कि एक ‘शीश महल’ में रहते हैं और मुख्यमंत्री से ‘नैतिक’ आधार पर इस्तीफा देने के लिए कहा.
उन्होंने कहा कि सितंबर, 2020 से दिसंबर, 2021 तक 16 महीने की अवधि में कोविड चरम पर था, जब औद्योगिक गतिविधियां ठप थीं और दिल्ली सरकार का राजस्व आधे से भी कम हो गया था और सरकार ने धन की कमी का हवाला देते हुए विकास परियोजनाओं को रोक दिया था.
सचदेवा ने आरोप लगाया, ‘‘उस नाजुक दौर में केजरीवाल ने अपने घर पर करीब 45 करोड़ रुपये उड़ाये, यह उनकी संवेदनहीनता का बड़ा सबूत है.’’
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास के ‘‘सौंदर्यीकरण’’ पर 45 करोड़ रुपये खर्च करने की खबरें सामने आने के बाद, कांग्रेस नेता अजय माकन ने भी मंगलवार को केजरीवाल के लोक सेवक के रूप में अपने पद पर बने रहने के अधिकार पर सवाल उठाया.
माकन ने कहा कि केजरीवाल ने कथित तौर पर अपने आलीशान बंगले पर सार्वजनिक धन के 45 करोड़ रुपये खर्च किए, जिसमें वियतनामी मार्बल, महंगे पर्दे और महंगे कालीन जैसी फालतू चीजें शामिल हैं.
उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी का नाम ‘आम आदमी पार्टी’ रखने और एक आम आदमी की तरह रहने की प्रतिज्ञा करने के बावजूद केजरीवाल ने अपने बंगले पर एक बड़ी राशि ऐसे समय खर्च की जब दिल्ली के लोगों को कोविड महामारी के दौरान ऑक्सीजन सिलेंडर की सख्त मांग थी.
दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी ने आरोप लगाया कि केजरीवाल की ‘‘सादगी और ईमानदारी’’ बेनकाब हो गई है और उन्हें तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए.
आप के राज्यसभा सांसद चड्ढा ने हालांकि भाजपा के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा, ‘‘यह सरकारी आवास है, यह अरविंद केजरीवाल की संपत्ति नहीं है.’’
चड्ढा ने कहा, ‘‘जब तक आप दिल्ली के मुख्यमंत्री के आवास की प्रधानमंत्री के आवास और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों के आवासों के खर्च से तुलना नहीं करते हैं, तब तक आपको यह कैसे पता लगेगा कि यह कम है या अधिक?’’
उन्होंने दिल्ली में केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर खर्च की गई राशि का बचाव करने के लिए प्रधानमंत्री और भाजपा शासित राज्यों में मुख्यमंत्रियों पर खर्च का भी हवाला दिया.
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