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Thursday, 25 April, 2024
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मोदी की फटकार के बाद केरल बीजेपी ने तैयार की योजना, ईसाइयों को लुभाने का है एजेंडा

बीजेपी का मानना है कि केरल में लव जिहाद के मुद्दे पर उसकी सोच वही है जो ईसाई संप्रदाय की है. पार्टी केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचने पर भी फोकस कर रही है.

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नई दिल्ली: इसी महीने छिपे तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फटकार खाने के बाद, केरल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेता फौरन योजनाएं बनाने में लग गए हैं, कि ईसाइयों तथा केंद्रीय याजनाओं के लाभार्थियों तक पहुंचकर पार्टी के आधार को कैसे फैलाया जाए.

वरिष्ठ पार्टी पदाधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि कुछ नेताओं पर गाज गिर सकती है, चूंकि केंद्रीय नेतृत्व अपनी केरल इकाई के संगठनात्मक ओवरहॉल के लिए कमर कस रहा है, जो इसी सप्ताह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के राज्य के दौरे के दौरान शुरू होगा.

इसी महीने, कोच्चि में बीजेपी कोर कमेटी की एक बैठक में शिरकत करते हुए, मोदी ने पार्टी की केरल यूनिट के अपने जनाधार को न बढ़ा पाने पर नाराज़गी का इज़हार किया था. मीटिंग में हिस्सा लेने वाले एक पार्टी नेता ने दिप्रिंट को बताया, कि मोदी ने इस ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया कि 2016 में बीजेपी ने केरल में सिर्फ एक सीट जीती थी, लेकिन 2021 में उसके विधायकों की तालिका गिरकर बिल्कुल शून्य पर आ गई.

नेता ने बताया कि मोदी ने इसपर भी ‘नाराज़गी’ जताई, कि पार्टी केरल में अल्पसंख्यक समुदायों तथा उन लोगों का विश्वास नहीं जीत पाई, जो केंद्र सरकार की योजनाओं से फायदा उठा रहे हैं.

ऐसा पहली बार नहीं है कि मोदी ने ईसाई समुदाय तक पहुंच बढ़ाने की ज़रूरत पर बल दिया है. जुलाई में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक को संबोधित करते हुए, उन्होंने पार्टी नेताओं को सलाह दी थी कि वो ग़ैर-हिंदुओं से संपर्क बढ़ाएं, और उत्तरपूर्वी प्रांतों के अपने नेताओं से कहा था कि वो केरल का दौरा करें, और ‘ईसाई समुदाय के हितों के संरक्षण के लिए पार्टी की ओर से किए जा रहे प्रयासों को उजागर करें’.

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कोच्चि बैठक में मोदी की झिड़की के बमुश्किल एक हफ्ते के बाद, बीजेपी ने पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को केरल में पार्टी के मामलों का प्रभारी नियुक्त कर दिया.

2021 के केरल विधान सभा चुनावों में, कुल 140 में से 115 सीटों पर लड़ते हुए, बीजेपी को 11.3 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए लेकिन वो एक भी सीट नहीं जीत पाई. इसके विपरीत, 2016 में पार्टी 98 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, और 10.53 प्रतिशत वोट हासिल करते हुए, उसने एक सीट- तिरुवनंतपुरम ज़िले की नेमोम- जीत ली थी, जबकि सात सीटों पर उसके उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे थे.

केरल में बीजेपी का वोट शेयर सबसे ज़्यादा 2019 के लोकसभा चुनावों में था, जब उसकी झोली में कुल 13 प्रतिशत वोट आए, लेकिन फिर भी वो राज्य से अपने किसी उम्मीदवार को संसद में नहीं भिजवा पाई.


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प्रदेश बीजेपी प्रमुख ने कहा- केरल कोई अपवाद नहीं

केरल बीजेपी प्रमुख के सुरेंद्रन ने ये तो स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री ने इसी महीने कोर कमेटी मीटिंग को संबोधित किया था, लेकिन उन्होंने ये दावा किया कि मोदी ने केवल राज्य में केंद्रीय स्कीमों के लाभार्थियों तक पहुंच बनाने की ज़रूरत पर बल दिया था. इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि केरल के अलावा पीएम दूसरे राज्यों में भी ‘ऐसी बैठकों में शरीक होकर प्रदेश इकाइयों के कामकाज की जानकारी लेते रहे हैं’.

सुरेंद्रन ने दिप्रिंट से कहा, ‘इसी तरह केरल में भी वो कोर ग्रुप बैठक में शरीक हुए, और केवल इस बात पर ज़ोर दिया कि पार्टी को केंद्रीय येजनाओं के लाभार्थियों तक ज़्यादा जोश के साथ पहुंचने की ज़रूरत है, ताकि उन्हें जानकारी मिल सके कि बीजेपी सरकार क्या कर रही है, और वो आसानी के साथ उन योजनाओं का लाभ उठा सकें’.

उन्होंने आगे कहा कि पार्टी एक विशेष मुहिम शुरू करेगी, जिसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों का पता लगाया जाएगा, और उन लोगों तक पहुंचा जाएगा जो इनके फायदों के हक़दार हैं, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.

बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने केरल इकाई को ये भी निर्देश दिया है, कि ऐसे असेम्बली क्षेत्रों की पहचान की जाए जहां पार्टी की जीत के कुछ अवसर हैं, और उन लोक सभा चुनाव क्षेत्रों में एक विशेष प्रचार मुहिम शुरू करे, जहां उसे कुछ फायदा मिलने की उम्मीद है.

सुरेंद्रन ने कहा, ‘हम लोगों तक पहुंच रहे हैं, केवल लाभार्थियों तक नहीं बल्कि विशेष समूहों तक भी, जिनमें हाशिए पर रह रहे लोग शामिल हैं. हम ईसाइयों समेत सभी अल्पसंख्यकों तक भी पहुंच रहे हैं, और सूबे के बहुत से हिस्सों में स्थानीय लोगों से मिल रहे हैं. साथ ही, हम हिंदू समुदाय से भी मिल रहे हैं और उनके घरों पर जाकर, उन्हें पार्टी के विज़न तथा केंद्र सरकार की योजनाओं से अवगत करा रहे हैं’.

नाम न बताने की इच्छा के साथ एक वरिष्ठ बीजेपी पदाधिकारी ने कहा, कि पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि केरल इकाई राज्य के अल्पसंख्यक समुदायों में अपनी पैठ बनाए. इस ओर इशारा करते हुए कि गोवा में पार्टी को ईसाइयों का समर्थन हासिल है- जहां उसके पास उस समुदाय से विधायक और मंत्री हैं- पदाधिकारी ने कहा कि ‘पता नहीं कैसे केरल में ऐसा नहीं हुआ है’.

पदाधिकारी ने कहा, ‘जहां तक हमारे जनाधार का सवाल है, हमारे पास 10-12 प्रतिशत वोट हैं और वो कहीं नहीं जाएंगे. लेकिन केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि हम अल्पसंख्यकों तक पहुंच बनाएं, और इस प्रतिशत में इज़ाफा करें. मौजूदा हालात में मुस्लिम वोट बीजेपी की ओर नहीं जाएंगे. फिलहाल वो पूरी तरह कांग्रेस या एलडीएफ (सीपीआई-एम की अगुवाई वाले वाम लोकतान्त्रिक मोर्चे) के साथ हैं’.

‘लव जिहाद पर बीजेपी और चर्च के विचार समान’

उन्होंने आगे कहा कि केरल बीजेपी के सामने चुनौती ये है कि वो ‘चर्च का विश्वास हासिल करे, और उसकी एक छोटी सी मिसाल ‘लव जिहाद’ का मुद्दा है, जहां चर्च और बीजेपी के विचार एक समान हैं’.

बीजेपी पाला के बिशप और थालासेरी के बिशप के बयानों को एक संकेत के तौर पर देखती है, कि केरल में ‘लव जिहाद’ के मुद्दे पर पार्टी की सोच वही है जो ईसाई समुदाय की है.

पिछले साल सितंबर में, पाला बिशप मार जोज़फ कल्लारनगट्ट ने ये बयान देकर एक विवाद खड़ा कर दिया था, कि मुसलमानों का उद्देश्य ‘अपने धर्म को बढ़ावा देना और ग़ैर-मुस्लिमों का ख़ात्मा करना है’.

दिल्ली में एक बीजेपी नेता ने नाम छिपाने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘2019 में हमने काफी हद तक सबरीमला पर ध्यान केंद्रित किया था, और एलडीएफ के प्रति लोगों का ग़ुस्सा साफ नज़र आता था’.

2018 में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद- जिसमें 10 से 50 वर्ष के बीच की महिलाओं पर, राज्य के एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल सबरीमला मंदिर में दाख़िले पर प्रतिबंध को रद्द कर दिया गया था- एक जन आंदोलन खड़ा हो गया था जिसमें कांग्रेस तथा बीजेपी दोनों ने, फैसले को लागू करने के एलडीएफ सरकार के प्रयास का विरोध किया था.

बीजेपी नेता ने आगे कहा, ‘लेकिन, अंत में उसका फायदा कांग्रेस को मिला, चूंकि अल्पसंख्यक समुदाय (ईसाई और मुसलमान) ये सोच रहे थे कि राहुल गांधी पीएम बन सकते हैं, चूंकि वो वहां से चुनाव लड़े थे’. 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस की अगुवाई वाले युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने, केरल की 20 में से 19 सीटें जीत लीं.

बीजेपी नेता ने कहा, ‘इसलिए 2024 ईसाई समुदाय के लिए एक परीक्षा है, कि वो किस पक्ष को चुनेंगे. उस मायने में ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण रहेंगे’.

एक दूसरे वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि केरल इकाई के भीतर कई दौर की बातचीत हुई थी, और विशेष कार्यक्रमों के ज़रिए ईसाई संप्रदाय तक पहुंच बनाने के सम्मिलित प्रयास किए जा रहे हैं. बीजेपी सूत्रों ने कहा कि मोदी ने इसपर भी ज़ोर दिया, कि दूसरे दलों के प्रमुख नेताओं को, ख़ासकर जिनका ताल्लुक़ ईसाई समुदाय है, अपने साथ पार्टी में लाया जाए.

पहले हवाला दिए गए पदाधिकारी ने कहा, ‘हम कई नेताओं से संपर्क साधने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इसमें कुछ समय लगेगा क्योंकि हमें उन्हें वो विश्वास दिलाने की ज़रूरत है, जो उन्हें पार्टी से चाहिए’.

बीजेपी राष्ट्रीय प्रवक्ता टॉम वडक्कन ने स्वीकार किया, कि केरल में पार्टी की चुनावी सफलताएं ‘पार्टी नेताओं की तसल्ली के मुताबिक़ नहीं रही हैं’.

वडक्कन ने कहा, ‘लेकिन हमारा वोटिंग प्रतिशत बढ़ा है. चुनौतियों का सामना किया जा रहा है. अब हम एक बड़े पैमाने पर विकास के एजेंडा के संचार पर फोकस कर रहे हैं, जिसपर डबल इंजिन सरकारें काम करती हैं, चूंकि उस सोच में एकता मौजूद है’.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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