नई दिल्ली : टीडीपी के चार राज्यसभा सांसदों के बीजेपी में शामिल होने के बाद अब बारी है, चंद्रबाबू नायडू के 23 विधायकों की पूंजी में सेंध लगाने की. बीजेपी नेताओं के मुताबिक चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी के सात-आठ विधायक बीजेपी हाईकमान के संपर्क में हैं.
निवर्तमान विधायकों के साथ कई सारे पूर्व सांसद और पूर्व विधायक भी बीजेपी में शामिल होना चाहते है पर बीजेपी हाईकमान दलबदल के पक्ष में नहीं है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक वो होलसेल दलबदल की संभावना का इंतज़ार कर रहें हैं.
आंध्र प्रदेश में संगठन विस्तार की महती योजना के तहत इसी हफ्ते बीजेपी ने राज्य संगठन की और सभी जिला प्रमुखों की बैठक बुलाई थी जिसमें सदस्यता अभियान के साथ संगठन विस्तार के लक्ष्य को पूरा करने की रणनीति पर विचार किया गया.
कर्नाटक को छोड़कर दक्षिण भारत में बीजेपी का संगठन उस रफ़्तार से नहीं बढ़ा है. जिस रफ़्तार से बीजेपी दक्षिण के राज्यों में पैर पसारने की कोशिश पिछले एक दशक से कर रहीं है. 2019 के लोकसभा चुनाव में तेलंगाना से 4 लोकसभा सीट जीतने के बाद बीजेपी का हौसला बुलंद है और बीजेपी तेलंगाना के साथ पड़ोसी राज्य आंध्र प्रदेश में पार्टी विस्तार की योजना को नए सिरे से देखना शुरू किया है.
आंध्र प्रदेश में बीजेपी का विस्तार प्लान
टीडीपी के साथ गठबंधन के कारण 2014 में बीजेपी आंध्र प्रदेश से दो सीट विशाखापट्न और नरसापुरम जीतने में कामयाब रही थी. 2014 में इन सीटों पर बीजेपी सांसद हरि बाबू और गोकरराजू टीडीपी के सहयोग से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे पर गठबंधन नहीं होने के कारण जगन और नायडू जैसे बड़े क्षत्रप के बीच 2019 में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला.
बीजेपी को कुल 0.9 प्रतिशत वोट मिला, नोटा को मिले 1.50 फीसदी से भी कम था. यूपीए सरकार में मंत्री रही पुंडेश्वरी बीजेपी के टिकट पर विशाखापट्न से चुनाव जीत नहीं पाई और वाईएसआर, टीडीपी के बाद तीसरे स्थान पर रही. चंद्रबाबू नायडू के फंड मैनेजर रहे राज्यसभा के चार सांसदों के बीजेपी में आने के बाद अब पार्टी टीडीपी नेताओं के अंसतोष को मुखर कर बैकडोर एंट्री मारने की कोशिश कर रही है . राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव के मुताबिक टीडीपी के कई विधायक और पूर्व सांसद बीजेपी के संपर्क में है और जिन पर समय आने पर संगठन फ़ैसला लेगी .
राज्य बीजेपी ईकाई के संगठन महासचिव मधुकर दिप्रिंट से बात करते हुए बतातें हैं कि पार्टी अपने सदस्यता अभियान के ज़रिये संगठन के विस्तार पर ध्यान दे रही है पर टीडीपी से जो नेता बीजेपी में शामिल होना चाहतें हैं उस पर केंद्रीय नेतृत्व जल्दी ही फ़ैसला करेगी.
नायडू के सामने असंतोष को दबाने का संकट
अपने ससुर एनटी रामा राव का तख़्ता पलटकर सत्ता में आए चंद्रबाबू नायडू के सामने विधानसभा और लोकसभा में करारी हार के बाद पार्टी में मुखर असंतोष को दबाने का बडा संकट सामने है. हालांकि, ये पहला मौका नहीं जब चंद्रबाबू नायडू को अपनी पार्टी में टूट और बग़ावत का सामना करना पड़ रहा है . इस बार हालात थोड़े अलग हैं, नायडू के सामने राज्य में आक्रामक जगन की सरकार है और केंद्र में रिश्ते बिगाड़ चुके मोदी की सरकार .2019 की गर्मियां नायडू के लिए 2009 और 2014 की गर्मीयों से अलग है 2014 में नायडू मोदी के साथ थे और पहले कांग्रेस के विरोध में लेकिन न राज्य में और न केंद्र में नायडू के विरोध में आक्रामक सरकार थी .
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के प्लान के मुताबिक 2024 के लोकसभा और विधानसभा की अभी से तैयारी के लिए बीजेपी को आंध्रप्रदेश में एक खिड़की की तलाश है . बीजेपी के पास समय भी है और संसाधन भी पर दिक्कत यह है कि बीजेपी आंध्र प्रदेश के बटवारें के बाद की राजनीति में अभी तक अपने को फ़िट नहीं कर पाई है साथ ही बीजेपी के पास राज्य में कर्नाटक के येदुरप्पा जैसा जनाधार वाला कोई बडा नेता नहीं है.
बीजेपी के पास विस्तार का बंगाल मॉडल भी है. बस उसे एक मुकुल राय जैसे नेता की तलाश है, जो आंध्र अस्मिता के साथ बीजेपी को जोड़ सके.