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Sunday, 5 May, 2024
होमचुनावBJP सांसद दीया कुमारी ने कहा- राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध बड़ा मुद्दा, गहलोत को नहीं मिलेगा वोट

BJP सांसद दीया कुमारी ने कहा- राजस्थान में महिलाओं के खिलाफ अपराध बड़ा मुद्दा, गहलोत को नहीं मिलेगा वोट

जयपुर के पूर्व शाही परिवार की सदस्य, कुमारी ने पार्टी की दिग्गज नेता वसुंधरा राजे के साथ तुलना को खारिज कर दिया, कहा कि अगर बीजेपी राजस्थान चुनाव जीतती है तो पार्टी का संसदीय बोर्ड सीएम का फैसला करेगा.

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नई दिल्ली : भाजपा उम्मीदवार दीया कुमारी, जो जयपुर के पूर्व शाही परिवार की सदस्य हैं, जिन्होंने चुनावी राज्य राजस्थान में एक हलचल पैदा की है, कुछ लोग उन्हें पार्टी की मजबूत नेता और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे “की जगह लेने वाला” बता रहे हैं, जबकि अन्य केवल उनके बारे में उत्सुकता जाहिर कर रहे हैं.

कुमारी ने खुद ही अपनी प्राथमिकताएं तय कर ली हैं, अगर वह अगले महीने राज्य का चुनाव जीतती हैं, जिसके लिए वह भाजपा की विद्याधर नगर की “सुरक्षित सीट” से लड़ रही हैं, जिसे पार्टी ने पिछले तीन विधानसभा चुनावों में जीता है. वह लोकल मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेंगी और महिलाओं की समस्याओं को हल करने में योगदान देना चाहेंगी, उन्होंने पिछले हफ्ते दिप्रिंट से बातचीत में ये बात कही थी, उन्होंने ये बात तब कही थी जब उनसे सत्ता में आने पर उनके पहले काम के बारे में पूछा गया था.

गौरतलब है कि दीया कुमारी ने विद्याधर नगर सीट से आज अपना नामांकन भी फाइल कर दिया है.

उन्होंने सीएम के तौर पर गहलोत के कार्यकाल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढ़ते मामलों के आरोपों को दोहराते हुए कहा, “निर्वाचन क्षेत्र में लड़कियों के लिए एक सैटेलाइट अस्पताल और कॉलेज की जरूरत है. सड़क नेटवर्क दयनीय है और जल निकासी एक समस्या है. औद्योगिक क्षेत्र के भी कई मुद्दों को सुलझाने की जरूरत है. गहलोत जी के (वर्तमान सीएम और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत) के शासन के दौरान महिलाओं ने क्यों खुद को असुरक्षित महसूस किया, इस पर भी गौर किया जाएगा.”

राजसमंद से भाजपा सांसद और महारानी गायत्री देवी की पोती, 52 वर्षीय कुमारी, तब से शहर में चर्चा का विषय बन गई हैं, जब से भाजपा ने तीन बार के मौजूदा विधायक नरपत सिंह राजवी को विद्याधर नगर का टिकट देने से इंकार कर दिया है.

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कहा जा रहा है कि कि भाजपा में उनका कद लगातार बढ़ रहा है और ऐसे संकेत मिले हैं कि उन्हें राजपूतों और महिला मतदाताओं – राजे के मूल समर्थन आधार – को लुभाने के लिए तैयार किया जा रहा है.

यह पूछे जाने पर कि यदि भाजपा राजस्थान में कांग्रेस से सत्ता छीन लेती है तो क्या वह मुख्यमंत्री होंगी, कुमारी ने कहा, “यह पार्टी का संसदीय बोर्ड है, जो तय करेगा कि मुख्यमंत्री कौन होगा.” अभी, हमारा सीएम का चेहरा कमल है, जो कि भाजपा का सिम्बल है. प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) पहले ही यह बात कह चुके हैं.”

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें राजे की “जगह पर” तैयार किया जा रहा है, कुमारी ने अपनी एक समय की मेंटर, जो शादी के बाद धौलपुर शाही परिवार का अब हिस्सा हैं, के साथ तुलना को खारिज कर दिया.

कुमारी ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के दौरान बोलते हुए कहा, “जहां तक उनकी जगह पर लाए जाने का सवाल है, कोई भी किसी का विकल्प नहीं बन सकता. हर किसी की अपनी खासियत और गुण होते हैं. ऐसी बातें केवल मीडिया में चलती हैं, हकीकत में नहीं,”

हाल के महीनों में, कुमारी, सीएम और कांग्रेस नेता गहलोत पर भाजपा की ओर से हमला करने में सबसे आगे रही हैं, और राज्य में महिलाओं के मुद्दों पर मुखर रही हैं.

पिछले महीने संसद में महिला आरक्षण बिल पारित होने के तुरंत बाद, पीएम नरेंद्र मोदी ने पार्टी की परिवर्तन यात्रा के समापन पर 25 सितम्बर को जयपुर का दौरा किया था.

जबकि राजे इस कार्यक्रम से अनुपस्थित थीं, कुमारी की उस सभा में खास उपस्थिति थी, जहां 500 महिलाओं को पीएम का स्वागत करने और महिला आरक्षण बिल के पारित होने के लिए उनका आभार व्यक्त करने के लिए चुना गया था. कुमारी, भाजपा नेता अलका गुर्जर के साथ, मंच संचालन के प्रबंधन की प्रभारी थीं.

अगस्त में, जब पार्टी ने परीक्षा पेपर लीक, कानून-व्यवस्था के मुद्दों और महिलाओं के खिलाफ कथित अत्याचार जैसे मुद्दों के खिलाफ ‘नहीं सहेगा राजस्थान‘ अभियान चलाया, तो कुमारी ने जयपुर में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और यहां तक कि गहलोत के आवास पर धरना भी दिया.

जब भाजपा ने सीएम के तौर पर गहलोत के कार्यकाल के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराध में कथित वृद्धि को उजागर करने के लिए भीलवाड़ा जिले में एक लड़की के “बलात्कार और हत्या” का मामला उठाया, तो पार्टी ने इस विषय पर दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए कुमारी को चुना.

दिप्रिंट से बात करते हुए, कुमारी ने आरोप लगाया कि “सीएम गहलोत ने लोगों से कई वादे किए, लेकिन उन्हें पूरा नहीं किया”, उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा, परीक्षा पेपर लीक और बेरोजगारी “राजस्थान में सबसे चिंताजनक मुद्दों” में से थे और “लोग इस चुनाव में गहलोत को माफ नहीं करेंगे.”

जब विद्याधर नगर की “सुरक्षित सीट” से उनके चुनाव लड़ने बारे यह पूछने पर कि क्या उन्हें एक बड़ी भूमिका के लिए तैयार किया जा रहा है, तो पार्टी ने इस विचार को खारिज कर दिया कि निर्वाचन क्षेत्र को जीतने के लिए बहुत अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं है.

“उन्होंने कहा, ऐसी कोई सुरक्षित सीट नहीं है. हमेशा अधिक मेहनत करने की जरूरत है, न कि अति आत्मविश्वासी बनने की. जहां तक बीजेपी की बात है तो इस चुनाव में हर सीट सुरक्षित है, जबकि कांग्रेस के लिए हर सीट असुरक्षित है.”


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‘मैंने राजनीति में प्रवेश के लिए किसी तरह की योजना नहीं बनाई’

सितम्बर 2013 में, कुमारी ने मोदी की मौजूदगी में भाजपा में प्रवेश किया, जो जयपुर में राजे की विधानसभा रैली को संबोधित करने आए थे. इसी कार्यक्रम में शीर्ष निशानेबाज राज्यवर्धन सिंह राठौर भी भाजपा में शामिल हुए थे. कहा जाता है कि राठौर और कुमारी दोनों को राजे ने पार्टी के राजपूतों के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए चुना था.

इसके तुरंत बाद, कुमारी को सवाई माधोपुर विधानसभा क्षेत्र से आदिवासी नेता किरोड़ी लाल मेना के खिलाफ मैदान में उतारा गया, जिन्होंने राजे के खिलाफ विद्रोह किया था. कुमारी ने 2013 में इस सीट से चुनाव जीता था, लेकिन 2018 के राज्य चुनाव में वह नहीं लड़ी थीं. उन्होंने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया था, लेकिन यह अफवाह थी कि राजे उन्हें मैदान में उतारने के खिलाफ थीं.

2019 में, कुमारी को भाजपा आलाकमान ने राजसमंद से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतारा था. उस वर्ष उन्हें राजस्थान के लिए पार्टी का महासचिव भी बनाया गया था.

दिप्रिंट से बात करते हुए कुमारी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में अपने पिता की हार के बाद वह राजनीति में शामिल होने को लेकर थोड़ी आशंकित थीं.

जबकि उनकी दादी गायत्री देवी ने 1962 के लोकसभा चुनावों में स्वतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जयपुर सीट से अपनी शानदार जीत का गिनीज रिकॉर्ड बनाया था, कुमारी के पिता भवानी सिंह ने 1989 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के टिकट पर राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई थी, लेकिन बीजेपी उम्मीदवार से हार गए थे.

कुमारी ने कहा, “मैं राजनीति में प्रवेश करने को लेकर थोड़ा आशंकित थी, क्योंकि उस समय (1990 के दशक में) मैं सीधे तौर पर इसमें शामिल नहीं थी और न ही मेरा परिवार इसमें ज्यादा शामिल था. मैं सामाजिक कार्य, स्कूल और संग्रहालय प्रबंधन जैसी अन्य गतिविधियों में शामिल थी और सोच रही थी कि मुझे राजनीति में प्रवेश करना चाहिए या नहीं. इसलिए, मैंने अपना समय लिया.”

उन्होंने कहा, “2013 में, मैं मोदी जी और वसुंधरा जी की उपस्थिति में पार्टी में शामिल हुई और तब से पूरी निष्ठा के साथ काम कर रही हूं.”

जब उनसे पूछा गया कि विधायक बनने से लेकर सांसद बनने तक और अब फिर से विधानसभा चुनाव लड़ने तक की अपनी अब तक की राजनीतिक यात्रा को वह कैसे देखती हैं, तो कुमारी ने कहा: “मैंने राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने से पहले कुछ भी योजना नहीं बनाई थी.”

उन्होंने कहा, “(2013) विधानसभा चुनाव जीतने के बाद, मैंने सवाई माधोपुर में अथक परिश्रम किया, क्योंकि यह निर्वाचन क्षेत्र काफी पिछड़ा हुआ है. लोगों से स्नेह पाना काफी फायदेमंद रहा.’ मैंने 2018 का चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन भाजपा ने मुझे 2019 (लोकसभा चुनाव) में राजसमंद से मैदान में उतारा. राजसमंद एक बड़ा और बहुत अलग निर्वाचन क्षेत्र है व चुनौतीपूर्ण भी है.”

‘कांग्रेस विधायकों ने नहीं निभाए वादे’

राजस्थान में, जहां कांग्रेस अपनी कल्याणकारी योजनाओं पर भरोसा कर रही है, ‘काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से’ नारे के साथ प्रचार कर रही है, वहीं भाजपा सत्ता पाने के लिए सत्ता विरोधी लहर और पीएम मोदी की साख पर भरोसा कर रही है.

कुमारी ने आरोप लगाया कि “पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस विधायकों ने लोगों की आकांक्षाओं को पूरा नहीं किया है.”

कुमारी ने दिप्रिंट को बताया, “गहलोत जी को इस चुनाव में वोट नहीं मिलने वाला है क्योंकि महिलाओं के खिलाफ अपराध राजस्थान में एक नियमित घटना बन गई है. राज्य के कई हिस्सों में हर दिन ऐसे दर्जनों मामले सामने आते हैं, लेकिन गहलोत प्रशासन कार्रवाई करने में विफल रहा है. पेपर लीक और भ्रष्टाचार बड़े पैमाने पर है और (कांग्रेस नेता) प्रियंका गांधी ने जब राज्य का दौरा किया तो उन्होंने इन मुद्दों पर एक शब्द भी नहीं बोला.”

उन्होंने यूएस टॉक शो होस्ट ओपरा विन्फ्रे के साथ अपनी बातचीत के बारे में भी बताया, जिन्होंने दो-भाग की सीरीज की शूटिंग के लिए 2012 में भारत का दौरा किया था.

जब उनसे राजनीति के अलावा उनकी रुचियों के बारे में पूछा गया और मुलाकात के दौरान उन्होंने ओपरा के साथ क्या चर्चा की, तो कुमारी ने कहा: “ओपरा विन्फ्रे बहुत गर्मजोशी भरी और मिलनसार महिला हैं और, मुझे आश्चर्य हुआ कि वह बहुत आध्यात्मिक हैं.”

उन्होंने कहा, ‘हमने राजनीति पर नहीं, बल्कि सामाजिक कार्यों पर चर्चा की. उनकी इसमें काफी दिलचस्पी थी. हमारा फाउंडेशन (प्रिंसेस दीया कुमारी फाउंडेशन) कौशल विकास, विरासत, महिला सशक्तीकरण और संग्रहालयों पर काम कर रहा है और हमने इन पर विस्तार से चर्चा की.”

(अनुवाद और संपादन : इन्द्रजीत)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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