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Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतिबीजेपी MLC, MLA ने मंदिर के मेलों में मुस्लिम व्यापारियों के ‘बैन’ का किया विरोध, मंत्री बोले: हिजाब विवाद की ‘प्रतिक्रिया’

बीजेपी MLC, MLA ने मंदिर के मेलों में मुस्लिम व्यापारियों के ‘बैन’ का किया विरोध, मंत्री बोले: हिजाब विवाद की ‘प्रतिक्रिया’

एमएलसी एच विश्वनाथन और विधायक अनिल बेनाके ने मंदिर परिसर में लगने वाले मेले में मुस्लिम व्यापारियों को बैन करने के आह्वान को ‘पागलपन’ करार दिया है. वहीं, राज्य के गृह मंत्री ने कहा कि यह कर्नाटक हाईकोर्ट के हिजाब मामले में आये फैसले को लेकर होने वाले प्रदर्शन के खिलाफ हिंदुओं की प्रतिक्रिया है.

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बेंगलुरू: बसवराज बोम्मई की नेतृत्व वाली सरकार के मंत्रियों ने हिंदू संगठनों के उस बयान पर चुप्पी साध रखी है, जिसमें इन संगठनों ने मंदिर परिसरों और धार्मिक मेलों में मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार करने की बात कही थी. राज्य में जारी हिजाब विवाद की ‘प्रतिक्रिया’ में हिंदू संगठनों ने यह फैसला लिया है. लेकिन, अब बीजेपी के दो निवार्चित सदस्यों ने इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एच विश्वनाथ ने इसे ‘पागलपन’ करार दिया है. विश्वनाथन ने 2019 में बीजेपी ज्वाइन किया था. वहीं, बेलगाम उत्तर से बीजेपी विधायक अनिल बेनाके ने संविधान का हवाला देते हुए कहा कि यह सभी को समान अवसर का अधिकार देता है. उन्होंने कहा कि व्यापार में ‘स्मार्ट’ बनना चाहिए.

कर्नाटक के गृह मंत्री अरगा ज्ञानेंद्र ने हिंदू संगठनों की ओर से लगाए गए इन प्रतिबंधों को हिजाब बैन के खिलाफ प्रदर्शन की ‘प्रतिक्रिया’ बताया है.

ज्ञानेंद्र ने सोमवार को रिपोर्टर से कहा, ‘ये सभी प्रतिक्रियाएं तब आई हैं, जब मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने हिजाब मामले में हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया है. जब कानून और व्यवस्था का सवाल आएगा तब गृह मंत्रालय इस पर ध्यान देगा.’

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 15 मार्च के फैसले में कहा था कि हिजाब ‘इस्लाम के धार्मिक कर्मकांडों का ज़रूरी हिस्सा’ नहीं है. कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.

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‘यह पागलपन है’

कर्नाटक में हिन्दू संगठनों ने राज्य के मंदिर परिसरों में लगने वाले मेलों में मुस्लिम व्यापारियों को प्रतिबंधित करने का फैसला लिया है. पिछले हफ्ते इस मामले को विधानसभा में भी उठाया गया. हालांकि, इस मामले में सरकार की ओर से कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई है.

कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य विश्वनाथ ने सोमवार को कहा, ‘यह पागलपन है. भगवान ने आपसे किसी को बहिष्कृत करने के लिए नहीं कहा है. सरकार को हस्तक्षेप करना होगा. मुझे नहीं पता कि सरकार इस मुद्दे पर चुप क्यों है.’

उन्होंने कहा, ‘क्या वे इस देश के नागरिक नहीं हैं? विभाजन के समय वे भारत में रहे और जिन्ना के साथ जाने से इनकार कर दिया. वे भारतीय हैं. यह स्थिति राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.’

विश्वनाथ राज्य में बीजेपी सरकार की सार्वजनिक आलोचना करते रहे हैं. उनके तेवर तब और हमलावर हो गए, जब पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने उन्हें कैबिनेट में जगह नहीं दी. उन्होंने इससे पहले दावा किया था कि बीजेपी में आने से पहले उनसे जो वादे किए गए थे उनमें यह भी एक था. अन्य विधायकों के साथ उनके बीजेपी में शामिल होने की वजह से साल 2019 में कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन सरकार गिर गई थी.

मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार के फैसले के खिलाफ विधायक बेनाके ने भी सोमवार को कहा, ‘हम (बेलगाम उत्तर का स्थानीय प्रशासन) मंदिर में लगने वाले मेले पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकते हैं. लेकिन, अगर लोग (प्रतिबंध के बिना बहिष्कार) करते हैं, तो हम इसमें कोई मदद नहीं कर सकते. हम प्रतिबंध लगाने की अनुमति नहीं देंगे.’

उन्होंने कहा, ‘लोगों को यह कहना गलत होगा कि वे कहां से खरीदारी करें और कहां से नहीं. संविधान सभी को बराबरी का अधिकार देता है, लेकिन लोगों को ज़्यादा स्मार्ट बनना होगा. लोगों को तय करना होगा कि उन्हें कहां से खरीदारी करनी चाहिए.’

लेखक डॉक्टर के मारुलासिदप्पा सहित 61 लेखकों, बुद्धिजीवियों, प्रोफेसर, एक्टिविस्ट और नागरिकों ने सीएम बोम्मई को इस मामले में सोमवार को पत्र लिखकर ‘राज्य में सांप्रदायिक घृणा फैलाने के सुनियोजित प्रयास’ पर चिंता जाहिर की है.

तीन पन्नों के इस पत्र में राज्य सरकार से संवैधानिक मूल्यों को बचाए रखने और राज्य में साम्प्रदायिक घृणा फैलाने और शांति व सद्भाव बिगाड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है.

पत्र में कहा गया है, ‘भगवत गीता के बजाय, स्कूलों में संविधान पढ़ाएं’. कहा जा रहा है कि आने वाले समय में कर्नाटक के स्कूल के सिलेबस में भगवत गीता को शामिल किया जा सकता है.


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‘हलाल’ मांस के खिलाफ

राज्य में मंदिर परिसरों में लगने वाले मेलों में मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंधों के बीच, कुछ लोगों ने आने वाले उगादी के त्यौहार के दौरान हिंदुओं की ओर से हलाल मांस (धीरे-धीरे जानवर को काटना) के बहिष्कार की बात कह रहे हैं.

हिंदू जनजागृति समिति के पदाधिकारी मोहन गौडा ने सोमवार को प्रेस के लिए जारी एक बयान में कहा, ‘उगादी हिंदुओं का त्यौहार है और इस मौके पर हिंदू घरों में मांस के व्यंजनों को पकाने की प्रथा है. मैं सभी हिंदुओं से हलाल मांस के बहिष्कार की अपील करता हूं, क्योंकि मुसलमान इस्लामिक आयतों के साथ जानवरों का वध करते हैं और वे इसे अल्लाह को पेश करते हैं. हिंदू त्यौहारों में इस मांस का इस्तेमाल हिंदू धर्म के खिलाफ है.’

उन्होंने दावा किया, ‘हलाल सर्टिफिकेशन से बनाए गए पैसे का इस्तेमाल भारत को इस्लामिक देश में बदलने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में होता है.’

उगादी दो अप्रैल को है.

इस हिन्दू त्यौहार के दौरान हलाल मांस के बहिष्कार करने के गौडा के बयान का समर्थन बीजेपी विधायक बसनगौड़ा पाटिल यतनाल ने भी की है.

बीजेपी विधायक यतनाल ने सोमवार को कहा, ‘यह सही है. जब आपने होटल और मीट शॉप के बोर्ड पर ‘हलाल’ लिखा है, तो ‘हलाल’ का क्या मतलब है? इसका अर्थ है थूकना. यह खाने में थूकने की संस्कृति है, जो ठीक नहीं है. हम हिंदू भोजन को ‘परब्रह्म’, भगवान कहते हैं. हिंदू धर्म भोजन में ‘हलाल’ या थूकने की अनुमति नहीं देता है.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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