scorecardresearch
Saturday, 9 November, 2024
होमराजनीतिBJP का 'मिशन साउथ'- तेलंगाना में आज से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू

BJP का ‘मिशन साउथ’- तेलंगाना में आज से राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक शुरू

यह बैठक 18 साल बाद हैदराबाद में हो रही है और पार्टी नेताओं के मुताबिक, यह इस बात की पुष्टि करती है कि शीर्ष नेतृत्व अपने 'मिशन साउथ' एजेंडे को लेकर कितना गंभीर है.

Text Size:

हैदराबाद: दक्षिण में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के मकसद के साथ भाजपा इस सप्ताह के अंत में तेलंगाना में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आयोजित करने के लिए पूरी तरह तैयार है.

यह बैठक 18 साल बाद हैदराबाद में हो रही है और पार्टी नेताओं के मुताबिक, यह इस बात की पुष्टि करती है कि शीर्ष नेतृत्व अपने ‘मिशन साउथ’ एजेंडे को लेकर कितना गंभीर है.

उच्च स्तरीय बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, 14 एनडीए शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों (सभी सीएम भाग नहीं लेंगे) और उपमुख्यमंत्रियों सहित 300 से अधिक नेता, राष्ट्रीय समिति के सदस्य और राज्य पार्टी अध्यक्ष मौजूद रहेंगे.

पीएम मोदी रविवार को हैदराबाद में एक जनसभा को भी संबोधित करने वाले हैं.

भाजपा के एक प्रेस नोट के अनुसार, दो दिनों तक चलने वाले कार्यक्रम की व्यवस्था की निगरानी के लिए 34 समितियों का गठन किया गया है.

बैठक से पहले केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों सहित पार्टी के नेताओं और राष्ट्रीय पदाधिकारियों को कथित तौर पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने ‘मिशन तेलंगाना’ के हिस्से के रूप में राज्य के 119 विधानसभा क्षेत्रों में 48 घंटे बिताने और जनता से मिलने का निर्देश दिया था.

तेलंगाना बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने दिप्रिंट को बताया कि बाद में कुछ बाधाओं के चलते समय घटाकर 24 घंटे करना पड़ा.

तेलंगाना भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘जनता के बीच जाने-पहचाने सभी प्रमुख शीर्ष नेताओं जैसे केंद्रीय मंत्री या प्रमुख सांसदों को हैदराबाद और उसके आसपास निर्वाचन क्षेत्र बांट दिए गए हैं. हमारा मानना है कि इन क्षेत्रों में हमारे लिए काफी गुंजाइश है.’

नेता ने कहा, ‘पूर्व सांसदों या विधायकों को हैदराबाद से दूर स्थित निर्वाचन क्षेत्रों की जिम्मेदारी सौंपी गई है. उनका काम है कि जनता से बात करें, समझें कि मुख्य मुद्दे क्या हैं और हमारी योजना को चाक-चौबंद करने के लिए हमें प्रतिक्रिया दें.’

दिप्रिंट को मिली सूची के अनुसार, बेंगलुरू के सांसद तेजस्वी सूर्या को करीमनगर, केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर को हैदराबाद के बाहरी इलाके कुथबुल्लापुर, रंगा रेड्डी जिले के सांसद किरेन रिजिजू को राजेंद्र नगर, टॉनी जुबली हिल्स से सांसद गिरिराज सिंह और छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता रमन सिंह को गोशामहल भेजा गया है. बीजेपी के विवादित नेता राजा सिंह गोशामहल से विधायक हैं.

केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी को चंद्रयानगुट्टा भेजा गया, जिसके मौजूदा विधायक एआईएमआईएम के अकबरुद्दीन ओवैसी हैं, जबकि अभिनेता से राजनेता बनी खुशबू सुंदर को चारमीनार भेजा गया है.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खैरताबाद का जिम्मा सौंपा गया है.

भाजपा नेता ने कहा, ‘हम उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चारमीनार के पास भाग्यलक्ष्मी मंदिर ले जाने की भी योजना बना रहे हैं.’

चारमीनार और हैदराबाद में मक्का मस्जिद के बगल में स्थित छोटा भाग्यलक्ष्मी मंदिर है. भाजपा के फोकस के चलते ये मंदिर पिछले डेढ़ साल में शहर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण फ्लैशपॉइंट बन गया है.

एक वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर नागेश्वर राव ने कहा, ‘भाजपा का मानना है कि उनके पास तेलंगाना में पैर पसारने की काफी जगह है. यही वजह है कि उन्होंने बैठक के लिए इस जगह को चुना. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 के अंत में हो रहे हैं और हिमाचल में भी चुनाव होने हैं लेकिन पार्टी ने उन राज्यों के बजाय हैदराबाद को चुना.’

वह आगे कहते हैं, ‘यह दिखाता है कि वे इस क्षेत्र को राजनीतिक महत्व देना चाहते हैं.’

दक्षिणी राज्यों में भाजपा ने अब तक केवल कर्नाटक में सरकार का नेतृत्व किया है. हालांकि पार्टी तेलंगाना में अपनी पैठ बना रही है. उपचुनावों और 2020 के ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनावों में इसके प्रदर्शन से ये साबित भी हुआ है.

वीकेंड पर राज्य में भाजपा की योजनाओं के बारे में बात करते हुए पार्टी नेता एन.वी. सुभाष ने कहा, ‘वे केंद्र सरकार की योजनाओं के जरिए लोगों को कैसे लाभ पहुंच रहा है और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार के अधूरे वादों को उजागर करने के लिए पुस्तिकाएं वितरित करने की योजना बना रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘बीजेपी 2018 से पहले यहां मजबूत नहीं थी लेकिन अब देखिए. हमारी उपस्थिति को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है.’


यह भी पढ़ें: पावर, पार्टी, गौरव, पिता की विरासत- उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में क्या-क्या गंवाया


ताकत का प्रदर्शन

बीजेपी प्रेस नोट में कहा गया है कि 3 जुलाई को पीएम की जनसभा के लिए 10 लाख लोगों को जुटाने की उम्मीद में पार्टी नेताओं को अपने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से 10,000 लोगों को इकट्ठा करने के लिए कहा गया है. नोट में कहा गया है कि आयोजन के लिए 50,000 जोनल, जिला और राज्य स्तर के नेताओं से भी चंदा लिया जा रहा है.

दिप्रिंट से बात करते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा कि भाजपा राज्य में विभिन्न भाषाई समुदायों के लिए ‘सम्मेलन (सभा)’ भी आयोजित करेगी.

नेता ने कहा, ‘अलग-अलग राज्यों से काफी लोग तेलंगाना में आकर रह रहे हैं. भाजपा गुजरात, केरल और राजस्थान के ऐसे समुदायों और अन्य लोगों के साथ सम्मेलन करेगी. विचार उनके साथ जुड़ने और उन्हें यह समझाने का है कि भाजपा सरकार (केंद्र में) उनके लिए क्या कर रही है.’

अपनी इस यात्रा के दौरान मोदी तेलंगाना के पारंपरिक व्यंजनों का भी आनंद लेंगे. इन व्यंजनों को करीमनगर के एक कैटरर जी. यदम्मा द्वारा विशेष रूप से तैयार किया जाएगा.

लेकिन बैठक से पहले ही भाजपा को यहां एक झटका मिल चुका है. उसके ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चार पार्षद- हस्तिनापुरम की पार्षद बनोथ सुजाता नाइक, राजेंद्रनगर की पोदावु अर्चना प्रकाश, जुबली हिल्स की डी. वेंकटेश और आदिकमेट की सुनीता प्रकाश गौड़- गुरुवार को सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में शामिल हो गए. ऐसा ही तंदूर नगर परिषद की फ्लोर लीडर सिंधुजा गौड़ ने किया.


यह भी पढ़ें: उद्धव ठाकरे ने ‘पार्टी विरोधी गतिविधियों’ के कारण एकनाथ शिंदे को शिवसेना से निकाला


टीआरएस ही नहीं, कांग्रेस भी चुनौती

तेलंगाना में सिर्फ टीआरएस ही नहीं, बल्कि कांग्रेस भी भाजपा के लिए एक चुनौती है.

राव ने कहा कि भाजपा राज्य में यह उच्च स्तरीय बैठक कर रही है ताकि एक ‘धारणा’ बनाई जा सके कि वे टीआरएस के लिए एक बड़ा खतरा बन सकते हैं. साथ ही उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस को दूर रखना भी उनके लिए एक चुनौती होगी’.

नाम न छापने की शर्त पर एक भाजपा नेता ने कहा, ‘कांग्रेस का सबसे बड़ा फायदा यह है कि उनके जमीनी कार्यकर्ता यहां बहुत मजबूती से खड़े हैं और पार्टी में उनके पास अच्छी संख्या में लोकप्रिय चेहरे हैं. रेवंत रेड्डी की (प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में) नियुक्ति के बाद उनके पूरे कैडर का मनोबल बढ़ गया है और यह हमारे लिए एक चुनौती होगी.’

भाजपा के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि वे राजनीतिक ढांचे में कांग्रेस को कोई जगह नहीं देना चाहते हैं. नेता ने दिप्रिंट से कहा, ‘पश्चिम बंगाल में भी हम प्रमुख विपक्षी दल के रूप में उभरे और भविष्य में सत्ता हासिल करने के लिए पूरी तरह से आश्वस्त हैं. जहां तक हमारे ‘मिशन साउथ’ का संबंध है, तेलंगाना हमारी योजना में महत्वपूर्ण है’.


यह भी पढ़ें: शिंदे को क़ाबू में रखना, पर पूर्व CM के लिए भी संदेश- BJP ने फडणवीस पर डिप्टी CM बनने का दबाव क्यों बनाया


बढ़ते कदम

राव ने कहा कि राज्य में भाजपा की उपस्थिति बढ़ रही है. उन्होंने बताया, ‘हम यह निष्कर्ष नहीं निकाल रहे हैं कि भाजपा तेलंगाना में सत्ता में आएगी या फिर वह कब सत्ता में आएगी लेकिन इसकी उपस्थिति बढ़ रही है.’

2020 में दुब्बाका उपचुनाव में टीआरएस के खिलाफ भाजपा की जीत पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था. इसके बाद उसी साल जीएचएमसी चुनावों में भी भाजपा का शानदार प्रदर्शन रहा- जब उसने निगम के 150 वार्डों में से 48 पर जीत हासिल की. उस साल टीआरएस ने 55 और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने 44 सीटें जीती थीं.

फिर 2021 में हुजुराबाद उपचुनाव में जीत मिली. यह उपचुनाव तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव और टीआरएस नेता के पूर्व सहयोगी रहे भाजपा के एटाला राजेंद्र के बीच व्यक्तिगत दुश्मनी निकालने के लिए एक जीत हार के खेल यानी ग्रज मैच में बदल गया था.

अगर नंबरों को देखें तो भाजपा टीआरएस के साथ मुकाबला करने के करीब नहीं है. 119 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के केवल तीन विधायक हैं, जबकि टीआरएस के पास 100 से ज्यादा विधायक हैं. भाजपा के चार सांसद हैं, जिनमें से एक 2019 में केसीआर की बेटी कविता को हराकर सत्ता में आया था, जबकि टीआरएस के पास 16 सांसद (राज्य सभा समेत) हैं.

भाजपा केसीआर के शासन को लेकर राज्य में बढ़ती नाराजगी को भुनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. खासकर उन इलाकों में जहां बेरोजगार युवाओं और शिक्षकों को सरकार से काफी शिकायतें हैं.

यह दिखाने के लिए कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का तेलंगाना से कितना अच्छा जुड़ाव है, पीएम मोदी ने इस महीने की शुरुआत में दिल्ली में हैदराबाद के नगर निगम पार्षदों से मुलाकात की थी.

हालांकि, विश्लेषकों और अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि तेलंगाना में टीआरएस या कांग्रेस पर हमला करने से पहले भाजपा को पार्टी के अंदरूनी मसलों पर काम करना होगा.

उन्होंने कहा कि पार्टी को राज्य के नेताओं के बीच आंतरिक मुद्दों को सुलझाना चाहिए.

भाजपा नेताओं से दिप्रिंट ने कहा कि राज्य पार्टी के अंदर अलग-अलग ‘गुट’ हैं. मजबूत चेहरों और जमीनी कार्यकर्ताओं की कमी पार्टी के लिए एक और चुनौती है.

राव ने कहा, ‘यह भाजपा के लिए एक बड़ी राजनीतिक घटना है. मोदी की जनसभा और पार्टी नेताओं के कार्यों से टीआरएस और भाजपा के बीच वाकयुद्ध होगा जो अगले एक महीने तक जारी रहेगा’. वह आगे कहते हैं, ‘पार्टी की योजना राज्य की सामाजिक जनसांख्यिकी और मोदी की राष्ट्रीय छवि को इस्तेमाल करने की है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: फ्री, राहत, पेंशन की वापसी- यानी राज्यों के लिए वित्तीय संकट का पूरा इंतजाम


 

share & View comments