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Sunday, 3 November, 2024
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मजबूत आईटी टीम , इन्फ्लुएंसर और बेहतर कंटेंट: BJP का 2024 के लिए सोशल मीडिया पर जोर

बीजेपी सांसद सोशल मीडिया वर्कशॉप में शामिल हुए. यहां पार्टी प्रमुख जे.पी. नड्डा ने उनसे सोशल मीडिया पर सरकार की लोकप्रिय योजनाओं सहित बड़े नैरेटिव के साथ आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कहा.

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नई दिल्ली: ‘अपनी टीम में ज्यादा से ज्यादा सोशल मीडिया वरियर्स को भर्ती करें, इन्फ्लुएंसर्स के साथ बातचीत करें, पीएम मोदी के नेतृत्व के ‘फील-गुड’ को हर जगह फैलाएं, चुनावी राज्यों में पोलिटिकल कंटेंट बढ़ाएं और इंस्टाग्राम व यूट्यूब रील्स के जरिए मिलेनियल्स को अपने साथ जोड़े’- ये कुछ निर्देश हैं जो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी के आउटरीच बढ़ाने के लिए भाजपा के नेताओं ने अपने सांसदों और नेताओं को दिए हैं.

राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने सोशल मीडिया प्रमुखों, सांसदों के निजी कर्मचारियों और वालियंटर्स के लिए आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला में भाग लिया. लोगों के साथ जुड़ने और उनसे संवाद करने के लिए ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का किस तरह से इस्तेमाल करना है, इसके बारे में यहां उन्हें गाईड किया गया था.

मंगलवार को कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए नड्डा ने सांसदों से कहा कि हर सांसद को सिर्फ दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों और भाषणों पर नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों और सरकार की लोकप्रिय योजनाओं समेत सोशल मीडिया पर एक बड़े नैरेटिव के साथ आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना है.

कार्यशाला में भाग लेने वाले नेताओं में से एक ने दिप्रिंट को बताया कि नड्डा ने सांसदों से अपने ट्विटर हैंडल के कंटेंट की गुणवत्ता जानने के लिए अपने सोशल मीडिया कर्मियों के साथ नियमित रूप से बातचीत करने को भी कहा है.

नेता ने बताया कि नड्डा ने कहा था, ‘आप सिर्फ सांसद ही नहीं हैं, बल्कि पार्टी के ब्रांड एंबेसडर हैं. यह आपकी पोस्ट में दिखना चाहिए.’

नेता ने कहा कि नड्डा ने सांसदों से निगेटिव कमेंट का जवाब देने और एक कदम आगे बढ़कर उस व्यक्ति को यह समझने के लिए फोन करने को कहा कि आखिर उस व्यक्ति ने ऐसा कमेंट क्यों लिखा. इस तरह वे लोगों के साथ और बेहतर तरीके से जुड़ सकेंगे.

कार्यशाला को भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े और पार्टी के सोशल मीडिया व आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने भी संबोधित किया था.

कार्यशाला में भाग लेने वाले एक सोशल मीडिया प्रमुख ने दिप्रिंट को बताया कि मालवीय का भाषण तकनीकी पहलुओं पर केंद्रित था. साथ ही उनका जोर इस बात पर भी था कि नेटिज़न्स को अपने साथ कैसे जोड़े रखा जाए और आउटरीच कैसे बढ़ाया जाए.

उन्होंने सांसदों से अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर ज्यादा से ज्यादा पोलिटिकल और गुणवत्तापूर्ण कंटेंट का इस्तेमाल करने को कहा. उन्होंने कहा कि सिर्फ अच्छा कंटेंट ही लोगों का साथ जुड़ाव पैदा कर सकता है.

सांसदों के सोशल मीडिया अधिकारियों से एक दिन में ज्यादा कंटेंट पोस्ट करने के लिए कहते हुए मालवीय ने खेद व्यक्त किया कि ज्यादातर सांसद ऐसा कंटेंट डालने में विफल रहते हैं जिसका बड़ा राजनीतिक प्रभाव होता है.

मालवीय ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि 2008 के जयपुर सीरियल धमाकों के एक आरोपी को हाल ही में राजस्थान में रिहा कर दिया गया था. लेकिन ज्यादातर सांसद अपने सोशल मीडिया हैंडल पर अशोक गहलोत सरकार को घेरने के लिए इस मुद्दे को उठाने में विफल रहे.

उन्होंने सांसदों से YouTube पर ध्यान देने के लिए भी कहा, जिसके व्यूवर्स की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. आईटी सेल प्रमुख ने बताया कि बहुत कम सांसदों के पास खुद का कोई YouTube चैनल है.


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‘जागरूकता फैलाने के लिए नमो ऐप का इस्तेमाल करें’

वर्कशॉप का एक सत्र ‘नमो ऐप’ को समर्पित था. यह ऐप यूजर्स को मोदी सरकार की पहल और उपलब्धियों के बारे में अपडेट रखता है.

वर्कशॉप में भाग लेने वाले सांसदों ने दिप्रिंट को बताया कि पार्टी नेतृत्व ने उनसे कहा कि ऐप पर सरकार द्वारा शुरू किए गए कई ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ फीचर के बारे में जनता को जानकारी नहीं है. जैसे पेंशनभोगियों को जीवन प्रमाण पत्र जारी करने की सरलीकृत प्रक्रिया आदि.

उन्होंने कहा कि नमो ऐप पर इस तरह की दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी पोस्ट की जानी चाहिए. और साथ ही सांसदों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि लोगों के जीवन को प्रभावित करने वाली ऐसी अनूठी पहल सोशल मीडिया पर शेयर की जाए.

एक अन्य नेता ने कहा कि सोशल मीडिया प्रमुखों को विभिन्न राज्यों में भाजपा सरकारों द्वारा किए गए लोकलुभावन उपायों और विकास कार्यों को सोशल मीडिया पर फैलाने के अलावा पीएम के काम को यथासंभव आगे बढ़ाने के लिए नए तरीके अपनाने के लिए कहा गया था.

पार्टी नेतृत्व ने बताया कि तीनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म- ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम का इस्तेमाल अलग-अलग लक्षित समूहों को ध्यान में रखते हुए किया जाना चाहिए. इंस्टाग्राम का इस्तेमाल मिलेनियल्स को अपने साथ जोड़ने के लिए, ट्विटर के जरिए ग्राफिक्स के साथ जुड़े तथ्यों को आगे बढाने और फेसबुक का इस्तेमाल विस्तृत भाषाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए करना है.

सोशल मीडिया वारियर्स की भर्ती पर फोकस

बिहार के एक नेता ने दिप्रिंट को बताया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए और अधिक सोशल मीडिया वोलियंटर्स की भर्ती करने और प्रचार शुरू होने से पहले सभी निर्वाचन क्षेत्रों में सोशल मीडिया सेल स्थापित करने पर पूरा फोकस था. उन्होंने कहा कि पार्टी की विचारधारा और मोदी के नेतृत्व की ओर आकर्षित होने वाले ‘राष्ट्रवादी युवाओं’ की एनर्जी का इस क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि सोशल मीडिया सेल के प्रमुखों को 2024 के आउटरीच कार्यक्रम के लिए युवाओं को आकर्षित करने और भर्ती करने के लिए अगले दो-तीन महीनों में जिला और मंडल स्तर पर हाइपर लोकल कार्यक्रम आयोजित करने के लिए कहा गया है.

बीजेपी के एक पदाधिकारी ने कहा कि पार्टी नेतृत्व ने देश भर में नए तरीकों से ‘फील गुड’ मोदी फैक्टर को लोगों तक पहुंचाने और ग्रामीण इलाकों में डिजिटल डिवाइड को कम करने पर काम करने पर जोर दिया.

पार्टी नेतृत्व ने इस वर्कशॉप में विधानसभा चुनाव से पहले पूरे गुजरात में आयोजित सोशल मीडिया कॉन्क्लेव और उत्तर प्रदेश में अपनाई गई प्रचार रणनीति की सराहना की, जिसके कारण सीएम योगी आदित्यनाथ एक ब्रांड बन गए.

वर्कशॉप में उल्लेख किया गया कि कैसे यूपी इकाई के चुनाव अभियान ‘फर्क साफ है’ ने योगी सरकार के लिए ‘फील गुड’ मूड बनाया था.

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, सोशल मीडिया प्रमुखों को बिना आपा खोए विपक्ष के हमलों का सक्रिय रूप से मुकाबला करने के लिए कहा गया है.

भाजपा के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, ‘हमसे कहा गया है कि जब भी विपक्ष प्रधानमंत्री और पार्टी पर हमला करे, तो जवाब बिना आपा खोए सभ्य तरीके से दिया जाना चाहिए. यह तथ्यों और आंकड़ों के साथ होना चाहिए. साधारण सोशल मीडिया पोस्ट की तुलना में इसे ज्यादा समय तक लोग देखते हैं. अन्य ट्वीट और फेसबुक पोस्ट की तुलना में ग्राफिक्स की ज्यादा रिकॉल वैल्यू है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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