एसोसियेशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और न्यू इलेक्शन वाच की रिपोर्टें, 2016-17 में बीजेपी को मिलने वाले चंदे में एक बड़ी वृद्धि दर्शाती हैं। यह आंकड़ा कांग्रेस द्वारा घोषित राशि, जो कि सूची में दूसरे स्थान पर है, से 10 गुना अधिक है।
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) और नेशनल इलेक्शन वॉच (न्यू) द्वारा नए डेटा मूल्यांकन के अनुसार, बीजेपी द्वारा घोषित चंदे में 593 फीसदी की वृद्धि मिली है, जो कि वित्तीय वर्ष 2016 और 2017 में, 20,000 रुपये से अधिक राशि के रूप में प्राप्त होने वाले आंकड़े हैं।
जबकि 2015-16 में सत्तारूढ़ दल को इस प्रकार के चंदे से मिली राशि 76.85 करोड़ रुपये थी ,जो कि 2016-17 में बढ़कर 532.27 करोड़ रुपये हो गई।
यह आंकड़ा इसी अवधि में कांग्रेस द्वारा जुटाई गई राशि, जो कि कुल चंदे के मामले में सूची में दूसरे स्थान पर है, से दस गुना अधिक है।
2016-17 में कांग्रेस ने 41.90 करोड़ रुपये की घोषित चंदा राशि प्राप्त की थी, हालाँकि यह राशि 2015-16 में मिले 20.42 करोड़ रुपये के चंदे के मुकाबले 105 फीसदी अधिक थी।
एनसीपी की सबसे बड़ी छलांग
आंकड़ों के अनुसार, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने सबसे बड़ी छलांग लगाई है, जिसे घोषित दान में 793 प्रतिशत की वृद्धि मिली ,जो कि वित्त वर्ष 2015-16 में 71 लाख रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2016-17 में 6.34 करोड़ रुपये हो गई।
केवल कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) ने घोषित दान में कमी देखी है। 2015-16 में 1.58 करोड़ रुपये से गिरावट के साथ इसकी राशि 2016 में करीब 9 फीसदी घटकर 1.44 करोड़ रुपये हो गई।
नई रिपोर्ट, राष्ट्रीय राजनीतिक दलों द्वारा घोषित चंदे पर केंद्रित है और चुनाव आयोग को उनके द्वारा उपलब्ध कराये गए आंकड़ों पर आधारित है।
यह पाया गया कि सात राष्ट्रीय दलों – बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, एनसीपी, सीपीआई, सीपीएम और तृणमूल कांग्रेस द्वारा घोषित कुल चंदा 2015-16 में 102.02 करोड़ रुपये था जो कि 478 प्रतिशत बढ़कर 2016-17 में 589.38 करोड़ रुपये हो गया।
अकेले बीजेपी ने 2016-17 में 589.38 करोड़ रुपये में से 532.7 करोड़ रुपये का विवरण दिया है।
अज्ञात चंदा
रिपोर्ट ने अज्ञात स्रोतों से मिले चंदे को चिन्हित किया है और साथ ही साथ राजनीतिक दलों से सूचना अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत उन्हें चंदा देने वाले सभी लोगों की एक सूची प्रदान करने का आग्रह किया है।
यह पाया गया कि 2016-17 में सभी पार्टियों द्वारा घोषित चंदे की राशि 589.38 करोड़ रुपये थी जबकि इसी अवधि में कुल आय 1559.17 करोड़ रुपये थी, जिसमें से 45.59 प्रतिशत चंदे की राशि अज्ञात स्रोतों से आई थी।
बीजेपी के लिए, अज्ञात स्रोतों से “स्वैच्छिक योगदान” कुल आय का 99.98 प्रतिशत रहा, यानि कि यह 2016-17 में कुल 464.94 करोड़ रुपये था।
कांग्रेस ने, “कूपन की बिक्री” यानि कि कुछ राजनीतिक दलों द्वारा चंदा एकत्र करने का एक तरीका, के माध्यम से अज्ञात स्रोतों से कुल आय का 91.69 प्रतिशत अर्जित किया अर्थात 2016-17 में यह 126.12 करोड़ रुपये था।
रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि कम से कम चार दलों – बीजेपी, कांग्रेस, सीपीआई और सीपीएम ने अधूरी जानकारी प्रदान की, जिसमें उन सभी ने कम से कम 166 चंदो के पैन का विवरण घोषित नहीं किया।
रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि, “राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अपने वित्त की सम्पूर्ण जानकारी अवश्य उपलब्ध करानी चाहिए। यह राजनीतिक दलों, चुनावों और लोकतंत्र को मजबूत बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।“
हालांकि, हाल ही में एक बयान में चुनाव आयोग ने कहा था कि राजनीतिक दल आरटीआई अधिनियम के दायरे से बाहर हैं, भले ही केंद्रीय सूचना आयोग (सी.आई.सी) के निर्देश पर छह राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में घोषित कर दिया गया था, जिसका अर्थ है कि वे आर.टी.आई के अधिकार क्षेत्र में थे।
Read in English : BJP donations rose from Rs 76 crore to Rs 532 crore in a year, a 593% jump