नई दिल्ली: चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल पूरे होने के अवसर पर यहां चीनी दूतावास द्वारा आयोजित किए गए एक डिजिटल कार्यक्रम में वाम दलों के नेताओं की उपस्थिति पर बृहस्पतिवार को विवाद शुरू हो गया.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय हितों का विरोध करना और अन्य देशों के साथ वफादारी निभाना वाम दलों की पुरानी परंपरा रही है.
हालांकि, इस आरोप को खारिज करते हुए वाम दलों ने कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले का बचाव किया और कहा कि सरकार भी चीन के साथ कई मुद्दों पर वार्ता कर रही है. वाम दलों ने आरोप लगाया कि भाजपा केंद्र सरकार की विफलताओं को छिपाने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए इस विषय को तूल दे रही है.
चीनी दूतावास के मुताबिक उसने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के सौ साल पूरे होने के मौके पर 27 जुलाई को एक डिजिटल कार्यक्रम का आयोजन किया था. इस कार्यक्रम में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के डी राजा, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के एस सेंथिलकुमार और ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के जी देवराजन शामिल हुए थे और इसमें अपना भाषण भी दिया था.
भाजपा सांसद और पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष ने चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर जारी तनातनी के बीच इस कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर वाम दलों के नेताओं की कड़ी आलोचना की.
घोष ने कहा कि उन्होंने दशकों तक वाम दलों के विरोध प्रदर्शन को देखा है. जब अमेरिका ने वियतनाम पर हमला किया तो उन्होंने वियतनाम के समर्थन में नारे लगाए थे.
उन्होंने आरोप लगाया कि रूस और चीन के प्रति उनकी (वाम दलों) निष्ठा है, लेकिन भारत के प्रति नहीं.
उन्होंने कहा, ‘उनकी निष्ठा दूसरे देशों के साथ है. वह कहा करते थे कि चीन का अध्यक्ष उनका अध्यक्ष है.’
वहीं, भाजपा पर पलटवार करते हुए राजा ने कहा कि राष्ट्रीय हितों को लेकर कम्युनिस्टों को कोई पाठ नहीं पढ़ा सकता.
उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजों और पुर्तगालियों से लड़ाई लड़ने में कम्युनिस्ट सबसे आगे थे. देश की स्वतंत्रता के लिए हम लोगों ने कुर्बानियां दीं…हमें कोई चुनौती नहीं दे सकता. भाजपा की क्या भूमिका थी? अब वह अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए इस मुद्दे को उठा रही है.’
उन्होंने कहा कि सरकार खुद चीन के साथ कई मुद्दों पर वार्ता कर रही है.