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Sunday, 22 December, 2024
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42 सेल्स, 42 टार्गेट ग्रुप – कांग्रेस चुनाव के लिए मध्य प्रदेश में नाई से लेकर डॉक्टरों तक पहुंच बनाई

कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई ने कमलनाथ के नेतृत्व में गठित 42 समितियों में से प्रत्येक, कम्यूनिटीज़ से लेकर प्रोफेशनल्स तक साथ ही शिकायतकर्ताओं से लेकर विशेष समूह के लोगों तक को टार्गेट किया है.

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भोपाल: विदिशा जिले के सिरोंज कस्बे में विनोद और विजय सेन का सैलून इनदिनों राजनीति और आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव पर होनेवाली बातचीत से गुलजार है.

जैसे ही दोनों भाई अपने ग्राहकों के बाल काटते हैं या फिर उनकी हजामत बनाते हैं, वे राजनीतिक सलाह के साथ बातचीत को मसालेदार बनाते हैं.

विजय और विनोद कांग्रेस को वोट देने के संभावित लाभों के बारे में बात करते हैं, और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 18 साल के कार्यकाल की “विफलताओं” पर लोगों का ध्यान केंद्रित करते हैं.

विजय सैलून चलाते हैं, जो उनके पिता द्वारा स्थापित किया गया था, विनोद कांग्रेस के केश कला शिल्पी प्रकोष्ठ, या नाई समिति के राज्य प्रभारी के रूप में अपनी भूमिका के साथ नाई का काम करते हैं.

विनोद ने कहा, “नाई के पास आने वाला कोई भी व्यक्ति वहां कम से कम 20 से 30 मिनट बिताता है.”
विनोद ने आगे कहा, “वे समाचार पत्र पढ़ते हैं, कॉल का जवाब देते हैं, सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हैं और अक्सर राजनीति और सामाजिक मुद्दों पर बहस करते हैं. हम पार्टी का प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रचारक के रूप में काम कर रहे हैं.”

केश कला शिल्पी प्रकोष्ठ कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई द्वारा प्रमुख कमल नाथ के नेतृत्व में गठित 42 समितियों में से एक है, जो विभिन्न समूहों – समुदायों से लेकर प्रोफेशनल्स तक और साथ ही सरकार के खिलाफ एक किसी तरह की शिकायत वाले लोगों की जरूरतों तक अपनी पहुंच बनाने के काम में जुटे हैं.

इनमें झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले, खादी एवं ग्राम उद्योग, डॉक्टर और दवा, बुनकर, धर्म और त्योहार, बिजली के लिए अलग-अलग समूह शामिल हैं. समस्या निवारण जैसे बिजली की समस्याओं का समाधान , मंदिर के पुजारी, पैन उत्पादन और व्यवसाय, और मैकेनिक एवं कामगार शामिल हैं.

समुदाय-विशिष्ट समितियों में गुम्मकर अर्ध गुम्मकर, बघेल-पाल, बंजारा, बंगाली और रजक शामिल हैं.

वरिष्ठ कांग्रेस नेता जे.पी.धनोपिया इन समितियों के संयोजक के रूप में कार्य करते हैं, और पार्टी इन पैनलों के साथ नियमित बैठकें करती है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, एक कांग्रेस नेता ने कहा कि 13 प्रकोष्ठ – जैसे कि झुग्गी-झोपड़ी निवासियों और डॉक्टरों के लिए – 2018 में बनाए गए थे.

लेकिन 2020 में सरकार के पतन के बाद आउटरीच प्रक्रिया में तेजी आई, नेता ने पूर्व कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में विद्रोह का जिक्र करते हुए कहा, जिसके कारण कमल नाथ सरकार गिर गई.

नेता के अनुसार, मैकेनिक-मजदूर और बघेल-पाल सहित कुछ प्रकोष्ट हाल ही में पांच महीने पहले बनाए गए हैं.

कांग्रेस के राज्य प्रमुख कमल नाथ ने दिप्रिंट को बताया कि ‘विचार उन सभी समुदायों या समाज के वर्गों तक पहुंचने का है जो सीधे तौर पर आपकी रैलियों में नहीं आते हैं.’

उन्होंने आगे कहा, “चाहे डॉक्टर हों, चरवाहा समुदाय हो, पुजारी हों या फिर अन्य हों.”

“इन समितियों के माध्यम से, कांग्रेस उनकी चुनौतियों, शिकायतों को समझने और उन्हें पार्टी और इसकी विभिन्न पहलों से जोड़ने के लिए समाज के विभिन्न वर्गों तक पहुंच रही है.”

इस आउटरीच दृष्टिकोण की ओर पार्टी का जोर ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस और भाजपा एक करीबी मुकाबले में मामूली अंतर के लिए लड़ रहे हैं.

2018 के विधानसभा चुनावों में, पार्टियों के बीच वोटशेयर का अंतर लगभग 0.1 प्रतिशत था, जिसमें कांग्रेस को भाजपा के 41.02 प्रतिशत के मुकाबले 40.89 प्रतिशत हासिल हुआ था.

230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की सीटों की हिस्सेदारी सिर्फ पांच अधिक थी.


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ये समितियां क्या करती हैं

इनमें से प्रत्येक कांग्रेस समिति का संक्षिप्त विवरण और उद्देश्य साफ है.

2021 में स्थापित, केश कला शिल्पी प्रकोष्ठ, लगभग 5,000 सदस्यों के साथ, सैन समुदाय के कल्याण और अधिकारों से संबंधित मुद्दों को उठाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जैसे कि अन्य पिछड़ा वर्ग के बजाय अनुसूचित जाति के बीच मान्यता देने की मांग.

स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार प्रकोष्ठ को स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों का पता लगाने का काम सौंपा गया है ताकि उनके बलिदानों का सम्मान करने के लिए उन्हें ‘राष्ट्र परिवार’ के रूप में मान्यता दी जा सके.

स्थानीय शासन में अधिक प्रतिनिधित्व की मांग करने के लिए बाघेल-पाल प्रकोष्ठ समुदाय के सदस्यों को एकजुट करने में व्यस्त है – जिसमें अनिवार्य रूप से चरवाहे शामिल हैं.

अरबाज खान की अध्यक्षता वाले मैकेनिक प्रवक्ता एक निर्दिष्ट बाज़ार की मांग कर रहे हैं जहां पेशे के सदस्यों के पास मरम्मत के तहत वाहनों को पार्क करने के लिए पर्याप्त जगह होगी.

खान ने कहा, “जब हमने राज्य में मैकेनिकों तक पहुंचना शुरू किया, तो हमें एहसास हुआ कि उन्हें विशेष रूप से भोपाल जैसे शहरों में जगह के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.” “वे चौराहों के पास कुछ जगह निर्धारित करना चाहते हैं, जहां वे बिना परेशान हुए काम कर सकें.”

झुग्गी-झोपड़ी प्रकोष्ठ भोपाल में चल रहे मेट्रो और सड़क निर्माण कार्य के लिए हटाई जा रही झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहा है.

प्रवक्ता के राज्य प्रभारी निकेश चौहान ने कहा, “जब सरकार हमारी मांगों को स्वीकार नहीं करती है, तो हम झुग्गीवासियों के कल्याण के लिए उनके विधायक निधि से कुछ अनुदान प्राप्त करने के लिए व्यक्तिगत विधायकों के साथ काम करते हैं.”

उन्होंने कहा कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के लिए काम करते हुए, कांग्रेस कार्यकर्ता समुदाय की महिलाओं तक भी पहुंचते हैं और उन्हें 500 रुपये में एलपीजी सिलेंडर उपलब्ध कराने के कांग्रेस के वादे के बारे में बताते हैं.

धर्म एवं उत्सव प्रकोष्ठ भारत भर के प्रमुख संतों और गायकों के साथ ‘कथावचन (प्रवचन सत्र)’ और भजन गायन जैसे कार्यक्रम आयोजित कर रहा है.

जबकि इनमें से कुछ समितियां ग्राहकों तक पार्टी की बातें भी फैलाती हैं – जैसे नाई प्रकोष्ठ के विनोद सेन, और पान उत्पादन और झुग्गी-झोपड़ी-निवासी समितियों के सदस्य – अन्य लोग भाजपा सरकार पर हमला करते हैं.

विधानसभा के चल रहे मानसून सत्र के बीच, मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ ने चौहान सरकार की “पुजारी विरोधी और मंदिर विरोधी नीतियों” के विरोध में विधानसभा में विरोध प्रदर्शन किया और धरना दिया.

मंदिर पुजारी प्रकोष्ठ के प्रमुख शिवनारायण शर्मा ने कहा, “यह सिर्फ कांग्रेस नहीं थी जो हमारा समर्थन कर रही थी. हमें पूरे मप्र में पुजारी समुदायों से समर्थन पत्र मिले.”

उन्होंने कहा, “हमें ब्राह्मणों और गोस्वामी समुदाय के लोगों का भी समर्थन प्राप्त था.”

समितियों को जिला-स्तरीय पैनल बनाने का काम सौंपा गया है. कुछ लोग एक कदम आगे बढ़ गए हैं – ‘डॉक्टर एवं चिकित्सा प्रकोष्ठ’ के पास, ब्लॉक और वार्ड स्तर पर भी पंख हैं.

‘संभावित फायदा अभी साफ नहीं’

अप्रैल में केश कला शिल्पी प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान, नाथ ने – संतों की एससी दर्जे की मांग का जिक्र करते हुए – सदस्यों से “चुनाव खत्म होने तक इंतजार करने” के लिए कहा. उद्घोषणा से जोर-जोर से जय-जय-कार गूंज उठा.

प्रवक्ता के संयोजक जे.पी. धनोपिया ने कहा, “लोग राज्य से नाखुश हैं और इन प्रचारों के माध्यम से वे महसूस कर रहे हैं कि उनकी बात सुनी गई और बड़ी संख्या में कांग्रेस के समर्थन में सामने आ रहे हैं.”

बघेल-पाल प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी जयश्रीराम बघेल ने कहा कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में समुदाय की बड़ी संख्या है और यह पार्टी को बढ़त दिलाएगा.

उन्होंने कहा, “जुलाई 2022 में स्थानीय निकाय चुनावों के दौरान, कमल नाथ ने पाल समुदाय के कई लोगों का समर्थन किया, जिन्होंने जनपद चुनाव लड़ा और जीत भी हासिल की. समुदाय कांग्रेस का समर्थन करने के लिए सामने आया है.”

एक कांग्रेस नेता ने कहा, विभिन्न प्रकोष्ठों द्वारा उठाई गई मांगों पर विचार-विमर्श किया जा रहा है और कुछ को कांग्रेस के घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा.

एक अन्य कांग्रेस नेता ने कहा, इस अभ्यास के माध्यम से, कांग्रेस, जो करीब दो दशकों (लेकिन 2018-2020 की अवधि के लिए) से सत्ता से बाहर है, वार्ड स्तर तक अपने संगठन का पुनर्निर्माण कर रही है.

उज्जैन स्थित मध्य प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस रिसर्च के निदेशक प्रोफेसर यतींद्र सिसौदिया ने कहा कि प्रकोष्ठ बनाने में, कांग्रेस इन समुदायों की आकांक्षाओं को हासिल करने के लिए भाजपा के विचारों की नकल कर रही है.

उन्होंने कहा, “यह भाजपा ही थी जो नाइयों का सम्मेलन आयोजित करती थी और उनकी समस्याएं सुनती थी.” “कांग्रेस इस रणनीति को अपनाते हुए पार्टी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है.”

सिसौदिया ने कहा कि ऐसा कभी नहीं होता कि पूरा समुदाय एक ही दिशा में किसी खास पार्टी के लिए वोट करे.

उन्होंने कहा, “यह मूल रूप से कांग्रेस पार्टी का अधिक से अधिक वोट हासिल करने का प्रयास है.” “लेकिन यह पता लगाना जल्दबाजी होगी कि इस तरह के कदम से कांग्रेस को क्या लाभ होगा. इसने हमेशा बीजेपी के पक्ष में भी काम नहीं किया है. ”

(अनुवाद, पूजा मेहरोत्रा)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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