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Friday, 8 November, 2024
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गुजरात में AAP नेताओं के बढ़ते दौरों से सतर्क हुई BJP, पार्टी कार्यकर्ताओं से करेगी चाय पर चर्चा

बीजेपी ने सांसदों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि टिकट न मिलने या किसी अन्य शिकायत पर 'कोई भी पार्टी न छोड़े' और गतिविधियों में पार्टी कार्यकर्ताओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी हो.

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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के गुजरात में सक्रिय होने और उसके शीर्ष नेताओं को अक्सर राज्य का दौरा करते हुए देख, भाजपा ने 182 सदस्यीय विधानसभा चुनाव से पहले अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट बनाए रखने की कवायद शुरू कर दी है. विधानसभा चुनाव इस साल के अंत में होने वाले हैं.

भाजपा ने अपने सांसदों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि ‘टिकट न मिलने या किसी अन्य शिकायत पर’; ‘कोई भी पार्टी न छोड़े’ और गतिविधियों में पार्टी कार्यकर्ताओं की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी हो.

हालांकि राज्य में आप का कोई राजनीतिक आधार नहीं है. लेकिन राज्य में उसकी बढ़ती धमक को देखते हुए पार्टी सभी भाजपा नेताओं को एकजुट रखकर इससे निपटना चाह रही है- यह एक ऐसी रणनीति है जिसे भाजपा ने उन कई राज्यों में अपनाया है, जहां उसकी उपस्थिति न के बराबर है.

दिप्रिंट को पता चला है कि जल्द चुनाव की उम्मीद के साथ भाजपा की तैयारी जोरों पर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अगले महीने दौरे पर भी आने की संभावना है.

पार्टी सूत्रों के अनुसार, गुजरात भाजपा अध्यक्ष सी.आर. पाटिल ने पार्टी सांसदों और भाजपा पेज कमेटियों के नेताओं (चुनाव के लिए समर्पित हर पेज के लिए गठित पांच सदस्यीय पैनल) से चाय पर सदस्यों से मिलने और उनके साथ दोस्ताना संबंध बनाने के लिए कहा है, खासकर त्योहारों के मौसम की शुरुआत के साथ.

भाजपा ने अतीत में इन जमीनी स्तर की पेज समितियों को नगरपालिका और विधानसभा चुनावों में अपनी जीत का श्रेय दिया था.

गुजरात भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पाटिलजी ने जोर देकर कहा कि हमें जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने की जरूरत है और इसलिए पार्टी के सांसदों सहित वरिष्ठ नेताओं को त्योहार के इस समय का फायदा पेज कमेटी के सदस्यों के साथ-साथ मतदाताओं के घरों में जाने के लिए करने की जरूरत है.’

पाटिल ने आणंद में पेज कमेटी के सदस्यों की एक सभा को संबोधित करते हुए ये निर्देश दिए थे. वहां उन्होंने जिला कमलम कार्यालय का उद्घाटन भी किया.

पिछले हफ्ते पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा सांसदों और वरिष्ठ नेताओं से मिलने के लिए दो दिनों के लिए गुजरात में थे और उन्होंने भी उनसे जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ने के लिए कहा. इसके साथ ही अगर कोई शिकायत है तो उसका निबटारा करने की भी बात कही.

भाजपा 1995 से गुजरात में सत्ता में है. फिलहाल वह 2017 के राज्य चुनावों में मिली सीटों की संख्या को सुधार कर 100 से ऊपर ले जाने की कोशिशों में जुटी है. उस समय कांग्रेस ने कड़ी टक्कर देते हुए 78 सीटें जीतकर भाजपा को 99 पर सीमित कर दिया था.

भाजपा गुजरात में प्रमुख चुनौती के रूप में उभरने के आप के ठोस प्रयास से भी चिंतित है. नई पार्टी ने पहले ही राज्य में कुछ जमीन हासिल कर ली है- पिछले साल आप को नगरपालिका चुनावों में सूरत में 28 फीसदी, गांधीनगर में 21 फीसदी और राजकोट में 17 फीसदी वोट मिले थे.


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‘ये चुनाव हैं अहम’

पार्टी के सूत्रों के अनुसार, भाजपा इस बात से चिंतित है कि त्योहारों के मौसम की शुरुआत के साथ उसका गुजरात चुनाव अभियान प्रभावित हो सकता है. इसलिए उन्होंने अपने सभी कार्यकर्ताओं को जनता के साथ-साथ जमीनी स्तर के सदस्यों तक पहुंच बनाने के लिए इस समय का इस्तेमाल करने के लिए कहा है.

भाजपा के एक दूसरे वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘पेज कमेटी के सदस्यों के घरों में जाने के अलावा, पार्टी के सांसदों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को भी गांवों का चक्कर लगाना चाहिए और लोगों से मिलना चाहिए. लेकिन (उन्हें कहा गया है) बड़े समूहों में न जाएं, प्रचार के लिए इसका इस्तेमाल न करें और छोटी बैठकें करें, जो पार्टी के रुख के साथ-साथ राज्य सरकार के काम को बताने में अधिक प्रभावी साबित होगी.’

नेता के मुताबिक, पिछले हफ्ते नड्डा के दौरे के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही दो दिवसीय दौरे पर गुजरात में हैं और पीएम मोदी के 10 अक्टूबर को वहां पहुंचने की संभावना है.

नड्डा के दौरे पर नेताओं के साथ उनकी बैठक में भाग लेने वाले एक भाजपा सांसद ने कहा, ‘बैठक में अधिकांश सांसदों ने भाग लिया और नड्डाजी का संदेश बिल्कुल साफ था – कि हर सांसद को अपने निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी लेनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे अधिक से अधिक सीटें जीतें.’

उन्होंने बताया, ‘नड्डाजी ने कहा कि ये चुनाव काफी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये 2024 (लोकसभा) चुनावों से पहले के चुनाव हैं. उन्होंने सांसदों से यह भी कहा कि टिकट न मिलने या किसी अन्य शिकायत पर कोई भी कार्यकर्ता पार्टी न छोड़े, इस बात का खास ध्यान रखें. साथ ही जोर देते हुए कहा कि भाजपा सांसदों को जमीनी स्तर पर लोगों के साथ ज्यादा से ज्यादा जुड़ने और बूथ एवं शक्ति केंद्र के स्तर पर अधिक भागीदारी की जरूरत है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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