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Thursday, 21 November, 2024
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SC के फैसले को BJP ने बताया ‘लोकतंत्र की जीत’, तो उद्धव बोलें- नैतिक आधार पर CM इस्तीफा दे देना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बड़ी राहत देते हुए बीजेपी के समर्थन से शिवसेना सरकार के गठन में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था.

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नई दिल्ली: जहां एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सत्तारूढ़ गठबंधन ने गुरुवार को महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को लोकतंत्र की ‘जीत’ बताया तो वहीं प्रतिद्वंद्वी उद्धव ठाकरे खेमे ने सरकार को ‘अनैतिक’ और ‘असंवैधानिक’ करार दिया. 

महाराष्ट्र के सीएम शिंदे ने यहां एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, ‘मैं इस बारे में बात नहीं करूंगा कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बारे में क्या कहा, लेकिन मैं यह कहूंगा कि उन्होंने उस समय की स्थिति के अनुसार काम किया.’

उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ बैठे शिंदे ने कहा, ‘क्या होता अगर शक्ति परीक्षण हुआ होता और उनकी (एमवीए) सरकार उसमें भी विफल हो जाती?’

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की ‘जीत’ बताते हुए डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा कि वह कोर्ट के आदेश से संतुष्ट हैं.

फडणवीस ने यहां मुंबई में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘यह लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की जीत है. हम सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले से संतुष्ट हैं.’

उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की ‘साजिश’ विफल हो गई है.

उन्होंने कहा, ‘मौजूदा सरकार पूरी तरह से कानूनी है.’

महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने भी उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह एक ‘मेधावी’ फैसला है और यह राज्य की राजनीतिक स्थिति के बारे में नहीं है.

नार्वेकर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि अदालत ने राजनीतिक स्थिति पर आदेश दिया है, यह एक सराहनीय फैसला है. यह एक निष्पक्ष फैसला था. इसलिए, मैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का स्वागत करता हूं.’

हालांकि, फैसले के बाद, उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को ‘नैतिक आधार’ पर पद से इस्तीफा देने के लिए कहा.

उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने मेरी पार्टी छोड़ दी है, उन्हें मुझसे सवाल पूछने का कोई अधिकार नहीं है. अगर वर्तमान मुख्यमंत्री में कोई नैतिकता है, तो उन्हें मेरी तरह इस्तीफा देना चाहिए. उन्होंने मेरी पार्टी और मेरे पिता की विरासत को धोखा दिया. मैंने इस्तीफा देकर गलत किया होगा, लेकिन मैंने नैतिक आधार पर ऐसा किया.’

महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार की नैतिकता और कानूनी अधिकार पर सवाल उठाया. 

मीडिया से बात करते हुए सिंघवी ने कहा, ‘अध्यक्ष को विधायकों को अयोग्य घोषित करना चाहिए. ऐसा करने से ही न्याय मिलेगा.’

उन्होंने कहा, ‘जब राज्यपाल, स्पीकर और व्हिप की मान्यता के खिलाफ निष्कर्ष हैं तो इस सरकार को क्या नैतिक और कानूनी अधिकार है कि वह एक मिनट और भी जारी रहे?’

महाराष्ट्र में पिछले साल के राजनीतिक संकट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कुछ देर बाद ही शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार ‘अवैध है और संविधान के खिलाफ बनाई गई है’.

उन्होंने गुरुवार को कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शिवसेना (शिंदे ग्रुप) का व्हिप अवैध है. मौजूदा सरकार अवैध है और संविधान के खिलाफ बनी है.’

उन्होंने कहा, ‘हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं. देश में लोकतंत्र और न्याय व्यवस्था अभी भी जीवित है. इस सरकार को तुरंत इस्तीफा देने की जरूरत है. वर्तमान सरकार अवैध है, अगर उद्धव ठाकरे ने नैतिकता के मामले में इस्तीफा नहीं दिया होता वह मुख्यमंत्री बन जाते. इसका मतलब है कि नई सरकार का गठन अवैध है और संविधान के खिलाफ है.’

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने भी शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार को ‘असंवैधानिक’ बताया.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को बड़ी राहत देते हुए बीजेपी के समर्थन से शिवसेना सरकार के गठन में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, क्योंकि उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट का सामना किए बिना इस्तीफा दे दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का एकनाथ शिंदे गुट के अनुरोध के आधार पर फ्लोर टेस्ट का आह्वान करना ‘उचित नहीं’ था क्योंकि उनके पास यह निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त आधार नहीं था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे सदन का विश्वास खो चुके थे.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने कहा कि वह एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को अयोग्य नहीं ठहरा सकती है और ना ही उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल कर सकती है क्योंकि उन्होंने विधानसभा में शक्ति परीक्षण का सामना करने के बजाय इस्तीफा देना चुना था.

अदालत ने कहा कि शिवसेना के भीतर पार्टी के मतभेदों के परिणामस्वरूप महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट पैदा हुआ.


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