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Thursday, 25 April, 2024
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‘शिंदे और फडणवीस में नैतिकता है तो इस्तीफा दें’, SC के फैसले पर उद्धव बोले- ये मेरी नहीं देश की लड़ाई

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 16 विधायकों के अयोग्य घोषित किए जाने के मामले को सात बेंच की संविधान पीठ को सौंप दिया है.

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में चल रहे राजनीतिक संकट पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे और देवेंद्र फडणवीस ने जमकर एक दूसरे पर निशान साधा. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को 16 विधायकों के अयोग्य घोषित किए जाने के मामले को सात बेंच की संविधान पीठ को सौंप दिया है. अपना फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल की भूमिका पर भी बड़ा सवाल उठाते हुए भगत सिंह कोश्यारी के फैसले को ग़लत करार दिया है.

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शिंदे और देवेंद्र फडणवीस पर निशाना साधते हुए कहा, “अगर इस मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री में जरा भी नैतिकता होगी तो इस्तीफा देना चाहिए जैसे मैंने इस्तीफा दिया था.”

उन्होंने आगे कहा, इस देश में प्रजातंत्र की रक्षा करना हमारा काम है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मैं इस्तीफा नहीं देता तो शायद मैं फिर मुख्यमंत्री बन जाता. मैं मेरे लिए नहीं लड़ रहा, मेरी लड़ाई जनता के लिए, देश के लिए है. राजनीति में मतभेद होते रहते हैं लेकिन हमारा एक मत यह है कि इस देश को बचाना है.

उद्धव ठाकरे से मिले नीतीश और तेजस्वी यादव

वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की जिसके बाद विपक्ष एकजुटता पर ठाकरे बोले, “हम चाहते हैं कि पूरे देश में अधिक से अधिक पार्टियां एकजुट हों, मिलकर हम सब लड़ेंगे. आज जो केंद्र में है वे देश के लिए कोई काम नहीं कर रहे हैं इसलिए देश के हित में हम सब मिलकर लड़ेंगे. अब यह तय होगा कि कब सबकी मीटिंग होगी.”

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सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बोले, “जो लोग सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर अटकले लगाते हुए कहते थे कि हमारी सरकार जाएगी आज उन्हें जवाब मिल गया है.”

उद्धव के नैतिकता के बयान पर फडणवीस ने कहा, “उन्होंने डर के कारण इस्तीफा दिया था. नैतिकता की बात करना उद्धव ठाकरे को शोभा नहीं देता. मैं उनसे पूछता हूं कि भाजपा के साथ चुनकर आए और मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेस और एनसीपी के साथ जब गए तब नैतिकता को कौनसे डब्बे में डाला था? ”

इस दौरान मुख्यमंत्री शिंदे ने राज्यपाल के निर्णय को सही ठहराया जबकि सुप्रीम कोर्ट ने पार्टी के अंदरूनी मसले पर फैसला देने को गलत ठहराया था. शिंदे ने उद्धव पर निशाना साधते हुए कहा, “इस्तीफा आपने दिया था. आपके पास अल्पमत था, कितने लोग बचे थे? उन्हें पता था उनकी हार हो जाएगी और तब राज्यपाल ने निर्णय लिया जो सही था…शिवसेना और बालासाहेब की विचारधारा को बचाने का काम हमने किया है.”

उन्होंने आगे कहा, नैतिकता की बात अब करने से अच्छा है ये बातें तब करनी चाहिए थी जब चुनाव हुआ था. तब अगर लोगों का निर्णय देखते हुए नैतिकता की बात करते तो भाजपा-शिवसेना की सरकार बन जाती लेकिन इन्होंने कुर्सी पाने के लिए फैसला लिया.

फडणवीस बोले, सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि उद्धव ठाकरे को दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता है. सदस्यता निरस्त किए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि स्पीकर के पास अधिकार है कि वे फैसला लें.

उन्होंने आगे कहा, आज सुप्रीम कोर्ट ने महा विकास अघाड़ी के मंसूबों पर पानी फेर दिया है. महा विकास अघाड़ी की साजिश नाकाम हो गई है…सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि महाराष्ट्र की मौजूदा सरकार पूरी तरह संवैधानिक है.

उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने शिंदे से इस्तीफे कि मांग करते हुए कहा, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिंदे गुट का व्हिप गैरकानूनी है, इसका मतलब है कि उनका व्हिप गैरकानूनी है और हमारे व्हिप ने जो आदेश दिया वह कानूनी है, तो उस व्हिप के मुताबिक सबकी(शिंदे गुट) सदस्यता निरस्त हो जाएगी.

उद्धव ठाकरे को SC से नहीं मिली राहत

गौरतलब है कि फिलहाल एकनाथ शिंदे समेत 16 विधायकों के भविष्य पर फैसला टल गया है. अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले पर फैसला सुनाएगी. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले को सात जजों की बड़ी बेंच के पास भेज दिया है.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि आंतरिक पार्टी के विवादों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. न तो संविधान और न ही कानून राज्यपाल को राजनीतिक क्षेत्र में प्रवेश करने और अंतर-पार्टी या अंतर-पार्टी विवादों में भूमिका निभाने का अधिकार देता है.

कोर्ट ने कहा कि अगर उद्धव ठाकरे इस्तीफा नहीं देते तो उन्हें राहत मिल सकती थी.

महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पूर्व कानून और न्याय मंत्री में डॉ अश्विनी कुमार बोले, स्पीकर के अधिकारों को सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दी है और राज्यपाल के फैसले को गलत बताया क्योंकि उनके सामने कोई परिप्रेक्ष्य नहीं था जिसके आधार पर वे अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर फ्लोर टेस्ट करें. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने खुद ही इस्तीफा दे दिया था.


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