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Wednesday, 18 December, 2024
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हिजाब बैन मामले में बोम्मई को BJP का समर्थन लेकिन नेताओं में PM मोदी की वैश्विक छवि धूमिल होने का डर

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में कर्नाटक सरकार के फैसलों का समर्थन किया है. हालांकि, बीजेपी नेताओं में इससे होने वाले प्रभाव को लेकर चिंता है.

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नई दिल्ली: कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद पर बीजेपी नेता फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. नेताओं की चिंता इस मामले के देश के दूसरे हिस्सों और विदेशों में फैलने को लेकर है. साथ ही, वे इस बात से भी चिंतित हैं कि इससे प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक छवि को धक्का लग सकता है. रिपोर्ट और विजुअल में छात्राओं को शैक्षणिक संस्थाओं में हिजाब पहनने पर लगाई गई रोक के खिलाफ प्रदर्शन करते देखा जा सकता है.

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने यहां तक स्वीकार किया कि, ‘मुख्य चिंता यह नहीं है कि इससे चुनाव परिणामों पर बुरा असर पड़ सकता है. यह मामला नागरिक (संशोधन) विधेयक की तरह ही बढ़ रहा है, जिसका नेतृत्व मुस्लिम महिलाएं कर रही थीं. इससे दुनियाभर में पीएम की छवि धूमिल हुई.’

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई के लिए हिजाब मुद्दा एक कठिन परीक्षा है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में राज्य सरकार का समर्थन किया है. सरकार ने कोर्ट में हिजाब बैन को लेकर अपनी सफाई दी है.

शाह ने मंगलवार को नेटवर्क 18 को दिए गए अपने इंटरव्यू में कहा, ‘हमें यह तय करना होगा कि देश संविधान के हिसाब से चले या सनक से’ और इसलिए, ‘मेरा मानना है कि सभी धर्मों के लोगों को स्कूल के ड्रेस कोड को स्वीकार करना चाहिए.’

मंगलवार को बैन के खिलाफ कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान कर्नाटक के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवदगी ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी के तहत हिजाब पहनने का अधिकार नहीं आता है. कर्नाटक के उडुपी जिले की लड़कियों ने हाई कोर्ट में इस बैन को लेकर चुनौती दी है. मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई का आठवां दिन था.

याचिकाकर्ता ने कहा है कि छात्राओं को हिजाब की तरह दिखने वाले और स्कूल यूनिफॉर्म के रंग से मेल खाते दुपट्टे पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए. इस पर नवदागी ने कहा, ‘हम कुछ भी नहीं थोप रहे हैं… राज्य का मानना है कि ऐसा कुछ भी जिससे धार्मिक झलक मिलती हो वह वहां पर नहीं होना चाहिए.’

एक अन्य बीजेपी सूत्र ने कहा, ‘कर्नाटक सरकार ने जो फैसला लिया है, पार्टी का स्टैंड उससे अलग नहीं है.’ हालांकि, पार्टी के सूत्रों ने स्वीकार किया कि हिजाब विवाद से बीजेपी को चुनाव में फायदा मिल सकता है. हालांकि, ‘इसे स्थानीय स्तर पर ही सुलझाया जाना चाहिए.’


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बोम्मई की दिक्कतें

कुछ महीनों से बोम्मई पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं. पिछले साल 30 अक्टूबर को बीजेपी हंगल सीट के लिए हुए उपचुनाव में हार गई थी. यह सीट मुख्यमंत्री के गृह जिले हावेरी में पड़ता है.

दिसंबर में, विवादित धर्मांतरण विरोधी विधेयक को कर्नाटक विधान परिषद में पारित नहीं करवा पाई थी. माना जाता है कि यह विधेयक संघ परिवार का एजेंडा है.

सूत्रों का कहना है कि बोम्मई यह दिखाना चाहते हैं कि वह पार्टी की विचारधारा के प्रति समर्पित हैं और वह अपने प्रतिद्वंदियों के सामने प्रासंगिक बने रहना चाहते हैं. सूत्र ने कहा कि यह माना जा रहा है कि वीएचपी और बजरंग दल जैसी हिंदुत्व ताकतों से मुकाबला करने में मुख्यमंत्री फंस गए हैं. बोम्मई को इन ताकतों का ज्यादा समर्थन नहीं है.

एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा, ‘इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि बोम्मई (कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री) येदियुरप्पा के जैसे नहीं हैं, जिनका सिर्फ परिवार ही नहीं सभी समुदायों के साथ अच्छे संबंध और उन पर अच्छी पकड़ थी.’

उन्होंने कहा कि शुरुआत में हिजाब विवाद शैक्षणिक संस्थाओं और मुस्लिम छात्राओं के बीच थी. लेकिन, ‘वे जब (मुख्यमंत्री) इस मामले में घिर गए, तो सही समय पर कार्रवाई नहीं कर पाए. दिक्कत तब शुरू होती है जब आपको फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन से सहयोग नहीं मिल पाता है और आप हिंदू विरोधी भी दिखना नहीं चाहते.’

हालांकि, बीजेपी नेता ने कहा, ‘इसका यह मतलब नहीं है कि बोम्मई मामले को सही से संभाल न पाए हों.’

कर्नाटक बीजेपी के एक अन्य नेता ने ‘धर्मांतरण विरोधी विधेयक’ को पारित करने में राज्य सरकार की विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि बोम्मई ने ‘फ्रंटल ऑर्गेनाइजेशन और बहुसंख्यक समुदाय को खुश करने के लिए अपने उदार अवतार को त्याग दिया, क्योंकि वह जानते हैं कि वह येदियुरप्पा की विरासत के साथ चुनाव नहीं जीत सकते हैं.’

बीजेपी नेता ने कहा, ‘बोम्मई के पास हिंदुत्व नेता (राजनीति) बनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है. पार्टी में (नलिन कुमार) कटील (सीटी) रवि और (मुरुगेश) निरानी जैसे हार्डकोर हिंदुत्व नेता हैं जो मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं.

सीएम के करीबी सूत्रों ने कहा कि हिजाब मामले में ‘सीएम को दोषी ठहराना’ गलत है, क्योंकि ‘मामले के बढ़ने पर बीजेपी के राष्ट्रीय नेताओं की जानकारी में राज्य सरकार ने फैसला लिया.’


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‘पार्टी ऐसा कभी नहीं चाहती’

देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. ऐसे में हिजाब विवाद बढ़ने से बीजेपी को कर्नाटक में अपनी लोकप्रियता कम होने की चिंता नहीं है. कर्नाटक दक्षिण का एकमात्र राज्य है जहां पर बीजेपी सत्ता में है. बीजेपी नेताओं का एक तबका इस मुद्दे की वजह से बढ़ रहे धार्मिक ध्रुवीकरण से खुश हैं. उन्हें लगता है कि इससे बीजेपी को फायदा होगा.

कुछ लोगों की चिंताएं इसके बिल्कुल उलट हैं. बीजेपी के एक नेता और राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी पदाधिकारी ने कहा कि बीजेपी, हिजाब विवाद के मुद्दे को बढ़ाने के बजाए खत्म करना चाहती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि आने वाले समय में इससे राज्य और पूरे देश में विधि व्यवस्था पर असर पड़ सकता है.

बीजेपी नेता नेता कहा, ‘इसलिए नेताओं को सलाह दी गई है कि वे ऐसे विवादित बयान न दें जिससे स्थिति खराब हो.’

इससे जुड़ी एक और चिंता है कि इससे वैश्विक स्तर पर प्रधानमंत्री मोदी की छवि पर असर पड़ सकता है.

पिछले हफ्ते, विदेश मंत्रालय ने अमेरिका को भारत के आंतरिक मामलों से दूर रहने की चेतावनी दी थी. जब यूएस एंबेसडर एट लार्ज फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम ने टिप्पणी की थी कि कर्नाटक के ‘स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध, धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है और महिलाओं और लड़कियों को कलंकित और हाशिए पर रखने वाला है.’

इससे पहले, नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजाई ने ट्वीट किया था, ‘लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल जाने से रोकना डराने वाला है’

वहीं, स्कॉलर और लेखक प्रोफेसर चोम्सकी ने कहा था कि इस्लामोफोबिया ने भारत में बहुत ही खतरनाक रंग ले लिया है, जिससे लगभग 250 मिलियन भारतीय मुसलमान सताए गए अल्पसंख्यक के रूप में दिखने लगे हैं.

एक भाजपा नेता ने सीएए का उदाहरण देते हुए कहा, ‘वैश्विक स्तर पर होने वाली छीछालेदर और अंतर्राष्ट्रीय आलोचना के भय की वजह से हम इसको लागू नहीं कर सके जबकि इन कानूनों को लागू करने के लिए काफी जोर था.’

पार्टी सूत्रों ने निजी तौर पर स्वीकार किया कि हिजाब का मुद्दा कॉलेज स्तर पर ही निपटाया जा सकता था.

पार्टी के एक सूत्र ने बताया, ‘आरएसएस और बजरंग दल का कॉलेज के मैनेजमेंट बॉडी (जहां हिजाब के मामले ने तूल पकड़ा था) और तटीय क्षेत्र में असर है. मुख्यमंत्री का इन प्रतिद्वंदी संगठनों पर कम प्रभाव होने के कारण चीजें कठिन होती गईं. सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (इस्लामिक संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की राजनीतिक इकाई) ने इस अवसर का लाभ इलाके में बजरंग दल का मुकाबला करने के लिए उठाया.’

बीजेपी सूत्रों का यह भी कहना था कि बोम्मई अपने कैबिनेट के मंत्रियों पर ही नियंत्रण रखने में सक्षम नहीं हैं.

कुछ नेताओं ने मध्य प्रदेश के चार बार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का उदाहरण देते हुए कहा कि उनका नियंत्रण पार्टी और अपनी कैबिनेट पर बोम्मई से ज्यादा है. साथ ही, हिंदुत्ववादी संगठनों पर भी चौहान का असर बोम्मई की तुलना में कहीं ज्यादा है जिसके कारण वे विवादास्पद मुद्दों के सुलझाने में सफल हो जाते हैं.

एक नेता ने कहा, ‘जब उनके (चौहान) शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने यूनिफार्म ड्रेस कोड की बात कही तब चौहान ने उनका विरोध किया और बिना सरकार से संपर्क किए बयान देने पर आपत्ति जताई. यहां तक कि मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी परमार का समर्थन नहीं किया और कॉलेज कैंपस में हिजाब पहनने वाली औरतों के मुद्दे पर विरोध करने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की.’

इस घटना से तुलना करते हुए सूत्रों ने कहा कि बोम्मई का कर्नाटक के नेताओं पर कोई नियंत्रण नहीं है, इसका पता इस बात से भी चलता है कि राज्य के मंत्री केएस ईश्वरप्पा ‘भविष्य में आने वाले 100 या 200 या 500 वर्षों के बाद भगवा झंडे को राष्ट्रीय झंडे में बदलने की बात’ मीडिया से कह जाते हैं. उनके इस बयान से विधानसभा में काफी हंगामा हुआ था.

एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा, ‘संघ परिवार की ओर से उठाए गए दूसरे वैचारिक मुद्दों और हिजाब को लेकर पैदा हुए इस विवाद में फर्क है. ‘लव जिहाद’ और ‘धर्मांतरण’ की तरह इस विवाद को पार्टी या आरएसएस ने शुरू नहीं किया है. पार्टी ऐसा कभी नहीं चाहती थी.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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