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गुरूवार, 1 मई, 2025
होमराजनीतिआधे आंबेडकर, आधे अखिलेश वाले पोस्टर को लेकर SP पर BJP और BSP का हमला, दलित भावनाओं के अपमान का आरोप

आधे आंबेडकर, आधे अखिलेश वाले पोस्टर को लेकर SP पर BJP और BSP का हमला, दलित भावनाओं के अपमान का आरोप

समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के पदाधिकारियों ने पार्टी मुख्यालय में पोस्टर लगाया और बाद में अखिलेश यादव को इसकी फ्रेम की हुई तस्वीर भेंट की.

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लखनऊ: समाजवादी पार्टी मुख्यालय के बाहर डॉ. बी.आर. आंबेडकर और अखिलेश यादव के आधे-आधे चेहरे वाले पोस्टर लगे हैं, जिन्हें एक साथ रखकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया गया है. भारतीय जनता पार्टी और बहुजन समाज पार्टी दोनों के नेताओं ने सपा प्रमुख पर दलितों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है.

मंगलवार शाम को सपा की युवा शाखा समाजवादी पार्टी लोहिया वाहिनी के पदाधिकारियों ने पार्टी के एक कार्यक्रम में लोगों का स्वागत करते हुए पोस्टर लगाया. अगले ही दिन पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने अखिलेश को फ्रेम में ऐसी ही तस्वीर दी.

भाजपा आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने बुधवार को एक्स पर एक तस्वीर शेयर की, जिसमें अखिलेश सपा के कार्यक्रम में फोटो फ्रेम पकड़े हुए हैं. अमित मालवीय ने हिंदी में पोस्ट में लिखा, “भारत के संविधान के निर्माता और दलित समुदाय के प्रतीक डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता कि उनके चेहरे को विकृत करके उस पर अखिलेश यादव का चेहरा लगा दिया जाए.”

उन्होंने आगे लिखा, “चाहे अखिलेश यादव कितनी भी बार जन्म लें, वे बाबा साहब की महानता या समाज के वंचित वर्गों के उत्थान में उनके योगदान की बराबरी नहीं कर सकते.” मालवीय के ट्वीट के बाद उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई के पदाधिकारियों ने राज्य के जिलों में सपा प्रमुख के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने “दलित विरोधी समाजवादी पार्टी” जैसे नारे लगाए. बाद में भाजपा ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, जिसमें केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पोस्टरों के लिए समाजवादी पार्टी की आलोचना की.

अर्जुन राम मेघवाल ने मीडिया से कहा, “समाजवादी पार्टी के एक पोस्टर में आधा चेहरा बाबा साहब का है, जबकि आधा चेहरा अखिलेश यादव का है. यह पोस्टर बाबा साहब अंबेडकर का अपमान है. वे इस फोटो को दिखाकर दलितों के वोट पाने की कोशिश कर रहे हैं.”

अखिलेश को भ्रमित बताते हुए मेघवाल ने कहा कि कांग्रेस ने सुनिश्चित किया कि बाबा साहब 1952 में अपना पहला चुनाव हार जाएं और 1953 में उपचुनाव हार जाएं, इसलिए “अब जब अखिलेश यादव कांग्रेस के साथ हैं, तो दलित समुदाय उनका समर्थन कैसे कर सकता है?” भाजपा नेता ने अखिलेश को उनके पिता मुलायम सिंह द्वारा स्थापित एक पारिवारिक पार्टी का मुखिया भी बताया.

अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, “बाबा साहब भाई-भतीजावाद के खिलाफ थे. उनकी (अखिलेश की) विचारधारा बाबा साहब से मेल नहीं खाती.” बाद में, यूपी के समाज कल्याण मंत्री और दलित नेता असीम अरुण ने एक बयान जारी कर कहा कि सपा द्वारा धन संचय करना आंबेडकर का घोर अपमान है. असीम अरुण ने कहा कि सपा का दलितों और पिछड़े वर्गों को कमतर आंकने का इतिहास रहा है.

उन्होंने याद दिलाया कि किस तरह अखिलेश यादव ने यूपी के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कई कल्याणकारी योजनाओं को खत्म कर दिया था. बसपा सुप्रीमो मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने भी अखिलेश पर निशाना साधा. उन्होंने एक बयान में कहा, “सपा के लोगों ने हमारे बाबा साहब की तस्वीर के साथ जो छेड़छाड़ की है, वह अक्षम्य अपराध है. सपा द्वारा इसके लिए माफी न मांगना यह साबित करता है कि यह एक सुनियोजित साजिश है, जिसका मास्टरमाइंड अखिलेश यादव है.”

अखिलेश ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है, जबकि उनकी पार्टी के पदाधिकारियों ने उनका बचाव किया है. दिप्रिंट से बात करते हुए सपा प्रवक्ता आशुतोष वर्मा ने कहा, “भाजपा की सोच बहुत संकीर्ण है। वे हमेशा वास्तविक मुद्दों से भटकाने की कोशिश करते हैं. वे नहीं चाहते कि लोग पहलगाम हमले के दौरान सुरक्षा चूक पर सवाल उठाएं.” आशुतोष वर्मा ने कहा कि भाजपा और बसपा सपा के दलितों तक लगातार पहुंच बनाने से डरे हुए हैं क्योंकि पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) के मुद्दे पर अखिलेश के बयान के बाद दलितों का एक बड़ा वर्ग उनके साथ है. “इसलिए, वे हमारे पार्टी प्रमुख को बेवजह निशाना बना रहे हैं.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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